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Friday, 29 April 2016

दोनों हथेलियों में ऐसी रेखा यानी अनियमित मासिक

दोनों हथेलियों में ऐसी रेखा यानी अनियमित मासिक

हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार जिन महिलाओं की हथेली कठोर होती है और हथेली में रेखाएं कम होती हैं साथ ही दोनों हथेलियों में जीवनरेखा सीधी होती हैं उन्हें भी मासिक धर्म की अनयमितता का सामना करना पड़ता है।
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हथेली में यहां हो क्रॉस का निशान

हथेली में यहां हो क्रॉस का निशान



हस्तरेखा विज्ञान कहता है कि जिन महिलाओं की हथेली में मंगल क्षेत्र पर क्रॉस का निशान हो या मंगल का पर्वत दबा हुआ और हाथ अधिक सख्त या अधिक नर्म हो तो इस तरह की महिलाओं मासिक धर्म की परेशानी होती है।

ऐसी स्थिति में महिलाओं को कमर दर्द और खून की कमी की शिकायत हो सकती है।
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हस्तरेखा से जानें मासिक धर्म की परेशानी

हस्तरेखा से जानें मासिक धर्म की परेशानी

मासिक धर्म महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा विषय है। इसमें अनियमितता से महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और उनमें चिड़चिड़ापन, कमर दर्द, अनिद्रा, रक्त की कमी और मानसिक तनाव जैसे समस्याएं होती है।

हस्तरेखा विज्ञान में कुछ ऐसी रेखाओं और हाथों की स्थितियों का उल्लेख किया गया है जिसे देखकर यह समझा जा सकता है किन महिलाओं को अनयमित मासिक धर्म की परेशानी हो सकती है।




इन्हें मासिक धर्म के समय अधिक कष्ट होता है

जिन महिलाओं की हथेली में मंगल रेखा टूटी होती है और मंगल पर्वत दबा होता है उन्हें मासिक धर्म के समय अधिक कष्ट होता है।

जिनकी हथेली जीवनरेखा अधिक कटी फटी होती है उन्हें भी इस तरह की समस्या का समाना करना पड़ता है।
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इस शौक के कारण स्वास्थ्य प्रभावित होता है

इस शौक के कारण स्वास्थ्य प्रभावित होता है



समुद्रशास्त्र के अनुसार गुरु पर्वत का अधिक ऊंचा होना बताता है कि व्यक्ति जरुरत से अधिक खाने पीने का शौकीन होगा। तंबाकू और शराब पीने का शौक हो सकता है। इसके कारण इन्हें पेट संबंधी रोग और अपच की शिकायत हो सकती है।

ऐसा व्यक्ति धर्म कर्म के काम तो करता है लेकिन जरुरत से अधिक दिखावा भी करता है। इस पर्वत पर क्रास के चिन्ह या जाली होने पर भी व्यक्ति बहुत अधिक खाने पीने वाला होता है। जिनके गुरु पर्वत पर जाली या क्रास का चिन्ह होता है उन्हें भी धन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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आर्थिक परेशानी बताता है

आर्थिक परेशानी बताता है



हथेली में तर्जनी ऊंगली के नीचे के स्थान को गुरु पर्वत कहते हैं। समुद्रशास्त्र के अनुसार यह स्थान व्यक्ति के जीवन में गुरु के प्रभाव को बताता है। गुरु धर्म, धन और व्यक्ति के चरित्र को भी दर्शता है।

गुरु पर्वत दबा हुआ होना व्यक्ति के जीवन में आर्थिक पक्ष की कमजोरी को दर्शाता है। लेकिन अधिक ऊंचा होना उससे भी बुड़ी स्थिति को बताता है।
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बंद मुट्ठी में ब्रह्मा जी का लेख

बंद मुट्ठी में ब्रह्मा जी का लेख



आपने देखा होगा कि बच्चा जब जन्म लेता है तो उसकी मु्ट्ठी बंद रहती है। कहते हैं इस बंद मुट्ठी में ब्रह्मा जी व्यक्ति का भाग्य लिखकर उसे धरती पर भेजते हैं।

अगर व्यक्ति अपनी कुंडली नहीं भी बनाए तो हथेली देखकर जीवन की हर छोटी बड़ी चीजें जान सकता है। ब्रह्मा जी ने समुद्रशास्त्र में कुमार कार्तिक को हस्तरेखा से जुड़ी कई राज की बातें बताई हैं। उनमें से एक राज यह भी है।
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Kya aapka anghutha aisa hai

अंगूठा छोटा और मोटा हो



समुद्रशास्त्र के अनुसार जिन व्यक्तियों का अंगूठा छोटा और मोटा होता है वह बड़े ही क्रोधी होते हैं। ऐसे व्यक्ति बुद्घि और विवेक की बजाय भावुकता से काम लेते हैं। ऐसे व्यक्तियों को सफलता के लिए बौद्घिकता योग्यता को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।




ऐसे व्यक्ति जल्दी बहकावे में आ जाते हैं



जिन व्यक्तियों के अंगूठे का ऊपरी भाग अधिक पतला होता है उनमें आत्मबल की कमी होती है। ऐसे व्यक्ति दूसरों की बातों और विचारों से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। इनमें निर्णय क्षमता की कमी होती है।



बुद्घिमान होते हैं ऐसे अंगूठे वाले



जिन व्यक्तियों के अंगूठे का दूसरा पोर पहले और तीसरे पोर से अधिक पतला होता है वह बड़े ही समझदार और दूरदर्शी होते हैं।

ऐसे व्यक्ति कोई भी निर्णय सोच-समझकर उठाते हैं। इनमें अच्छे सलाहकार के गुण पाए जाते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज और परिवार में सम्मानित होते हैं।





अंगूठा अगर ऊपर से मोटा है



समुद्रशास्त्र में बताया गया है कि जिस व्यक्ति के अंगूठे का तीसरा पोर यानी यानी ऊपरी भाग अधिक मोटा होता है वह बहुत ही चालक और जिद्दी व्यक्ति होता है।

ऐसे व्यक्ति में भावुकता की कमी रहती है। यह अपने मतलब और फायदे को ध्यान में रखकर ही दूसरों की सहायता करते हैं या उनसे नाता रखते हैं।




अगर आपका अंगूठा यूं मुड़ जाता है



जिन व्यक्तियों का अंगूठा लचीला होता है और पीछे के ओर मुड़ जाता है वह लचीले स्वभाव वाले व्यक्ति होते हैं। ऐसे व्यक्तियों में परिस्थिति के अनुसार खुद को ढाल लेने की योग्यता होती है। इन खूब धन कमाने की चाहत होती है लेकिन प्रयास करने पर भी धन बचाना इनके लिए कठिन होता है।

यह अपने समय को बेकार नष्ट करने की बजाय कुछ उपायोगी कामों में लगाना पसंद करते हैं। इनके स्वभाव में एक कमी यह होती है कि दूसरों की बातों से जल्दी प्रभावित हो जाते हैं और जल्दी भावुक हो जाते हैं।


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Thursday, 28 April 2016

गुरु पर्वत के सामान्य लक्षण

गुरु पर्वत के सामान्य लक्षण

तर्जनी के आधार पर स्थित पर्वत गुरु के पर्वत के रूप में जाना जाता है। यह व्यक्ति मे नेतृत्व, वर्चस्व, अधिकार, गर्व, आत्म-प्रशंसा और सम्मान की हद तक का प्रतिनिधित्व करता है। विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को शासन का नेतृत्व करने वाला तथा संगठित करने एवं असामान्य विचार पर काम करने की इच्छा को दर्शाता है लेकिन, यह अच्छे गुण केवल तभी कार्यान्वित हो सकते हैं यदि मस्तिष्क रेखा लंबी और स्पष्ट हो।

गुरु पर्वत की ऊंचाई | Elevation of the Guru Parvat

विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को महत्वाकांक्षी बनाता है। यह लोग धन से अधिक अपने ओहदे को महत्व देते हैं। ऐसे लोग अच्छे सलाहकार होते हैं। यह लोग कानून के दायरे मे रह कर कार्य करते हैं। ऐसे लोग अनेक तरह के व्यंजन खाने के शौकीन होते हैं और अपने परिवार से मोह करते हैं।
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अधिक विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को अहंकारी, दिखावटी, क्रूर और इर्ष्यालु बनाता है। ऐसे लोग अधिक खर्चीले होते हैं।
यदि गुरु पर्वत अर्धविकसित हो तो व्यक्ति में गुरु संबंधित बुनियादी प्रवृत्ति विकसित नही होती है।

गुरु पर्वत से संबंधित उंगलियां | Finger Related to Guru Parvat

गुरु की उंगली तर्जनी उंगली होती है। यदि तर्जनी उंगली सामान्य से अधिक लंबी हो, तो व्यक्ति में लापरवाही और तानाशाही बढ़ जाती है। जब यह छोटी हो तो व्यक्ति मे ये विशेषताएँ लुप्त होती हैं। यदि यह उंगली विकृत है तो व्यक्ति चालाक, स्वार्थी और  पाखंडी होता है।
जब तर्जनी उंगली का पहला खंड लंबा हो तो व्यक्ति राजनीति, धर्म, और शिक्षण क्षेत्रों में कुशल होते हैं। यदि उंगली का दूसरा खंड लंबा हो तो व्यक्ति व्यापारी होता है और उंगली का तीसरा खंड लंबा हो तो ऐसे व्यक्ति विभिन्न प्रकार के व्यंजन के शौकीन होते हैं।

गुरु पर्वत का शीर्ष | Apex of Guru Parvat

गुरु पर्वत के बिंदु पर जब चारों ओर से रेखाएं जुड़ती हैं तो उसे शिखर रुप मे जाना जाता है। यदि यह शिखर गुरु पर्वत के केंद्र मे हो तो व्यक्ति गुरु संबंधित गुणों को बनाए रखता है। यदि यह शिखर शनि पर्वत की ओर  झुका हो तो व्यक्ति अनुशासित, गंभीर, उदास और उपेक्षित होगा। जब यह शिखर हृदय रेखा के पास स्थित हो तो व्यक्ति अपने परिवार के लिये कार्य करेगा। जब यह शिखर मस्तिष्क रेखा के पास स्थित हो तो व्यक्ति बौद्धिक गतिविधियों में शामिल किया जाएगा ।
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मंगल पर्वत की सामान्य विशेषताएँ

मंगल पर्वत की सामान्य विशेषताएँ

हथेली में मंगल पर्वत दो स्थानों पर स्थित है। पहला, यह जीवन रेखा के ऊपरी स्थान के नीचे स्थित है,और दूसरा उसके विपरीत हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच मे स्थित है। पहला स्थान व्यक्ति मे शारीरिक विशेषताओं को और दूसरा मानसिक विशेषताओं को दर्शाता है। यह व्यक्ति मे निर्भयता, साहस, उद्दंडता, क्रोध, उत्साह, बहादुरी और वीरता की हद को दर्शाता है। ऐसे लोग अपने उद्देश्यों के प्रति दृढ़ संकल्प रहते हैं। आमतौर पर यह नेक दिल और उदार होते हैं लेकिन यह अप्रत्याशित और आवेगी भी होते हैं। इनका सबसे बड़ा दोष इनमें आवेग और आत्म नियंत्रण की कमी है। मस्तिष्क रेखा लंबी होने के बावजूद यह सभी प्रकार की कठिनाइयों और ख़तरों का सामना करते हैं।
लोग ऐसे व्यक्तियों कि आलोचना उनके क्रोध और विचारों में कट्टरवादी होने के कारण करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को आत्म -नियंत्रण का अभ्यास  करना चाहिये  और सभी प्रकार की मदिरा और उत्तेजक पदार्थो  से दूर रहना चाहिए।

उन्नत मंगल पर्वत | Elevation of Mangal Parvat

विकसित मंगल पर्वत, व्यक्ति को अत्यंत प्रभावशाली बनाता है और जल्दबाजी में निर्णय लेने वाला बनाता है। ऐसे लोग प्रत्येक कार्य को जल्दी मे करते हैं और आक्रामक स्वभाव वाले होते हैं। अक्सर अंत मे चीजें तोड़ते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत साहसी होते हैं और शत्रु की बड़ी संख्या होने पर भी यह नही डरते। मंगल ग्रह अगर विकसित हो तो  लोग अक्सर आर्मी या सशस्त्र बल के साथ जुड़े होते हैं।
यदि मंगल पर्वत अधिक विकसित है तो व्यक्ति मे मंगल संबंधित विशेषताएँ बढ़ती हैं। ऐसे लोग अत्यंत शक्तिशाली बन जाते हैं और अपनी शक्ति के द्वारा वह कमजोरों का शोषण करते हैं। अक्सर ऐसे लोग समाज विरोधी गतिविधियों जैसे चोरी, डकैती, लूट आदि मे शामिल होकर अत्यंत क्रूर बन जाते हैं।
कम विकसित मंगल पर्वत व्यक्ति को कायर बनाता है। लेकिन वह बहादुर  होने का दावा करता है।  जब अवसर की मांग और समय आता है, तो वह अपने कदम वापस ले लेता है।

मंगल पर्वत का शीर्ष | Apex of Mangal Parvat

यदि मंगल पर्वत का उन्नयन शुक्र पर्वत की ओर स्थित है, तो व्यक्ति प्यार में उत्साही होता है और जब वह गुरु पर्वत की ओर झुका हो तो यह प्रतिनिधित्व करता है कि व्यक्ति अपने जन्म से ही अनुशासित होगा। यदि इसका उन्नयन अँगूठे के पास शीर्ष पर उपस्थिति हो तो अर्थ है कि व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने की ओर प्रेरित रहेगा और हठी भी होगा। जब उन्नयन हृदय रेखा की ओर झुकाव लिये हो तो व्यक्ति भावनाओं मे कभी नही बहेगा। यदि उन्नयन चंद्र पर्वत के पास स्थित हो तो व्यक्ति रचनात्मक मस्तिष्क और चुंबकीय व्यक्तित्व वाला होता है।
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शनि पर्वत के सामान्य लक्षण

शनि पर्वत के सामान्य लक्षण

शनि पर्वत, मध्यमा उँगली के आधार पर स्थित होता है। यह एकांत प्रिय, विवेकी, मूक दृढ़ संकल्प, गूढ विध्या की ओर झुकाव, नियतिवाद और अंत में भाग्य मे परम विश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। विकसित शनि पर्वत व्यक्ति को ज्ञान की खोज का विश्लेषक बनाता है।

शनि पर्वत का विकास | Elevation of Shani Parvat

पूर्ण विकसित शनि पर्वत व्यक्ति को दार्शनिक बनाता है, और व्यक्ति सदैव जीवन और मृत्यु के विषय पर चिंतित रहता है। उसे सभी सांसारिक बातें व्यर्थ लगती हैं। ऐसे लोग मेहनती होते हैं। परन्तु अवसाद में जल्दी घिर जाते हैं। ये लोग कानून के अच्छे अनुयायी और अंतर्मुखी होते हैं। ऐसे लोगों का व्यवसाय मशीनरी उत्पादक या मूर्तिकार से संबंधित होता है।
एक हाथ पर अति विकसित शनि पर्वत अशुभ माना जाता है। अति विकसित शनि पर्वत व्यक्ति को सदैव  आतंक से त्रस्त, दुखी, मृत्यु पर चिंतित, लालच, अविश्वासी और जीवन के प्रति उत्साह में कमी को दर्शाता है।
एक हाथ पर अविकसित शनि पर्वत व्यक्ति को विचारशील और मेहनती बनाता है लेकिन वह सदैव जोखिम कार्य से दूर रहता है। वह कम वेतन में संतुष्ट रहेगा और जब तक कि उसे कोई जोखिम लेने की जरूरत नही पड़ती, वह नही लेता है।

शनि की उंगली | Finger of Shani

मध्यमा उंगली को शनि की उंगली कहते है। यदि शनि की उंगली का प्रथम खंड लंबा हो तो व्यक्ति का झुकाव धार्मिक ग्रंथ और रहस्यवादी कला के अध्ययन की ओर होता है। यदि मध्यमा का द्वितीय खंड लंबा हो तो व्यक्ति का व्यवसाय संपत्ति संबंधी, रसायन, जीवाश्म ईंधन या लोहा मशीनरी से संबंधित होता है, जब तीसरा खंड लंबा हो तो दर्शाता है कि व्यक्ति चालाक, स्वार्थी  और दुराचार मे युक्त रहता है।

शनि पर्वत का शीर्ष | Apex of Shani Parvat


यदि शनि का शिखर शनि के पर्वत पर स्थित हो, तो व्यक्ति विचारशील, दूरदर्शी और बुद्धिमान होता है। जब यह मध्यमा उँगली की ओर झुका हो, तो व्यक्ति गूढ कला में गहरी रुचि रखता है। यदि इसका शिखर सूर्य पर्वत की दिशा में थोड़ा बदलाव लिये हो तो व्यक्ति किसी के द्वारा व्यक्त राय से कभी सहमत नही होगा।  जब इसका शिखर हृदय रेखा की ओर हो तो व्यक्ति आत्म केन्द्रित हो जाता है। ऐसे व्यक्ति अंतर्मुखी होते हैं तथा भीड़ से दूर रहते हैं।
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चंद्रमा पर्वत के सामान्य लक्षण

चंद्रमा पर्वत के सामान्य लक्षण

चंद्र पर्वत, अंगूठे के सामने हथेली के आधार पर स्थित होता है। यह पर्वत एक मजबूत कल्पना शक्ति को दर्शाता है। यह लोगों में भावनात्मक या कलात्मक और सौंदर्य, रोमांस, रचनात्मकता, आदर्शवाद आदि को प्रदर्शित करता है। पूर्ण विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को कला प्रेमी बनाता है ऐसे लोग कलाकार, संगीतकार, लेखक बनते हैं।
ऐसे व्यक्ति मजबूत कल्पना शक्ति के गुणी होते हैं। यह लोग अति रुमानी होते हैं लेकिन अपनी इच्छाओं के प्रति  आदर्शवादी होते हैं। शुक्र पर्वत की तरह इनमें भावुकता या कामुकता वाला स्वभाव नही होता है।

चन्द्र पर्वत का विकास | Elevation of Chandra Parvat

पूर्ण विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को भावनाओं मे बहने वाला और किसी को उदास न देखने वाला होता है। प्रायः यह लोग वास्तविकता से परे कल्पनाप्रधान और अच्छे लेखक और कलाकार होते हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों में ऐसे लोग उन्मादी और तर्कहीन व्यवहार करते हैं। इसके अतिरिक्त ये निर्णय लेने मे अधिक समय लेने वाले और अत्यधिक महत्वाकांक्षी होते हैं।
अति विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को आलसी और सनकी बनाता है। ऐसे व्यक्ति कल्पना से पूर्ण और वास्तविकता से दूर रहते हैं। कभी कभी, यह एक हल्के रूप में विकसित हो कर एक प्रकार का पागलपन भी हो सकता है।
यदि चंद्र पर्वत अविकसित है, तो व्यक्ति मे अच्छी कल्पना का अभाव, दूरदर्शिता का अभाव, नए और  रचनात्मक विचारों का अभाव रहता है, यह लोग क्रूर और स्वार्थी होते हैं।

चन्द्र पर्वत का शीर्ष | Apex of Chandra Parvat

यदि चंद्र पर्वत का शिखर अंगूठे के आधार की ओर स्थित है तो व्यक्ति अपने  उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए दृढ संकल्पी होता है। जब इसके शिखर का झुकाव शुक्र पर्वत की ओर हो तो व्यक्ति का झुकाव संगीत, कला, रंगमंच की ओर होता है। जब यह मणिबंध की ओर झुका हो तो व्यक्ति की रुचि यात्राओं की ओर रहती है लेकिन उसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।

राहु और केतु के पर्वत | Rahu and Ketu Parvat

एक हथेली में इन दोनों ग्रहों के पर्वत की स्थिति विवादास्पद है, प्राचीन हस्तरेखा शास्त्र ने इन  ग्रहों के पर्वत के विषय े में अधिक विवरण नहीं दिया है। राहु वर्तमान परिस्थितियों का जबकि केतु अतीत की घटनाओं के लिए हमारे प्रतिक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करता है। राहु पर्वत मस्तिष्क रेखा और मंगल पर्वत के नीचे स्थित होता है,  और इसके विपरीत केतु चंद्र पर्वत और शुक्र पर्वत के मध्य स्थित होता है।
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शुक्र पर्वत के सामान्य लक्षण

शुक्र पर्वत के सामान्य लक्षण

हथेली पर अंगूठे के आधार पर स्थित पर्वत, शुक्र पर्वत कहलाता है। यह अनुग्रह, आकर्षण, वासना और सौंदर्य की उपस्थिति या अनुपस्थिति को दर्शाता है। यह  प्रेम और साहचर्य  की इच्छा और सौंदर्य की  हर रूप में पूजा करने को भी दर्शाता है। अति विकसित शुक्र पर्वत लोगो को सुन्दर और विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षित करता है।
विशिष्ट शुक्र पर्वत वाले व्यक्ति को सौंदर्य बोध और सौंदर्य शास्त्र का ज्ञान होता है। यह लोग सौंदर्य की खोज मे प्रसन्नता से जीवन जीते हैं। यद्यपि बुरे समय मे भी ऐसे व्यक्ति दयालु, सहानुभूति और उदार होते हैं। यह  लोग क्षमाशील प्रकृति एवं प्रेम से युक्त और कामुकता के लिये प्रेरित रहते हैं ।
ये लोग मेहमाननवाज और उदार होते हैं और अपने मित्रों का मनोरंजन करना पसंद करते है। यह अच्छी पोशाकों के साथ अच्छे स्वाद की पसंद और नापसंद को भी खुल कर दर्शाते है। यह स्पष्टवादी होते हैं और क्रोध में आवेगी भी हो जाते हैं।

शुक्र पर्वत की ऊँचाई | Elevation of Shukra Parvat

हाथ पर विकसित शुक्र पर्वत उत्कृष्ट संकेत है कि व्यक्ति चुंबकीय व्यक्तित्व का होगा। और यह विपरीत सेक्स के बीच लोकप्रिय होते हैं। ऐसे लोगों में जिज्ञासु  शक्ति हावी होती है लेकिन जब यह  किसी से प्यार करते हैं तो उनकी गुलामी भी कर सकते हैं।
हाथ पर अति विकसित शुक्र पर्वत व्यक्ति मे इन्द्रिय सुख को बढाता है। ऐसे लोग प्रेम संबंधों में स्वार्थी होते हैं और सदैव शारीरिक सुख की इच्छा रखते हैं।
कम विकसित शुक्र पर्वत व्यक्ति मे सौंदर्य की भावना की कमी को दर्शाता है। ऐसे लोग सुस्त और कठोर हो जाते है। वह कोई भावना से प्रभावित नही होते हैं।

शुक्र पर्वत का शीर्ष | Apex of Shukra Parvat

शुक्र पर्वत के शिखर के झुकाव के लक्षण चंद्र पर्वत के समान हैं। यदि पर्वत के शिखर का झुकाव अंगूठे की ओर हो तो व्यक्ति अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये अग्रसर रहता है। जब इसके शिखर का झुकाव शुक्र पर्वत की ओर हो तो व्यक्ति को संगीत, कला, रंगमंच मे झुकाव रहता है। यदि इसकी उपस्थित मणिबंध की ओर हो तो व्यक्ति को यात्राओं का शौकीन होता है परन्तु उसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं  का सामना करना पड़ सकता है।
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Wednesday, 27 April 2016

मस्तिष्क रेखा:(Brain Line)

मस्तिष्क रेखा:(Brain Line)



हथेली के एक छोर से दूसरे छोर तक उंगलियो के पर्वतो तथा हृदय रेखा के समानान्तर जाने वाली रेखा को मस्तिष्क रेखा कहते हैं (Parallel line to heart line is called mind line)। यह आवश्यक नहीं कि मस्तिष्क रेखा एक छोर से दूसरे छोर तक (हथेली) जायें, यह बीच में ही किसी भी पर्वत (Planetary Mounts) की ओर मुड सकती है। 

यदि हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा आपस में न मिलें तो उत्तम रहता है (Brain line is good if mind line or heart line are not together)। स्पष्ट एंव बाधा रहित रेखा उत्तम मानी जाती है। कई बार मस्तिष्क रेखा एक छोर पर दो भागों में विभाजित हो जाती है। ऎसी रेखा वाला व्यक्ति स्थिर स्वभाव का नहीं होता है, सदा भ्रमित रहता है।

 लाल किताब में सामुद्रिक ज्ञान यानी पामिस्ट्रि (Palmistry) के आधार पर व्यक्ति की जन्मकुण्डली का निर्माण होता है, तथा जिन व्यक्तियो को अपनी जन्मतिथि तथा जन्म समय मालूम नही उनके लिए लाल किताब बहुत लाभकारी है।
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हृदय रेखा: (Heart Line)

हृदय रेखा: (Heart Line)



हथेली के मध्य में एक भाग से लेकर दूसरे भाग तक लेटी हुई रेखा को हृदय रेखा कहते हैं (Vertical line starts from middle of palm and end on heart line called heart line)। 

यदि हृदय रेखा एकदम सीधी या थोडा सा घुमाव लेकर जाती है तो वह व्यक्ति को निष्कपट बनाती है। यदि हृदय रेखा लहराती हुई चलती है तो वह व्यक्ति हृदय से पीडित रहता है।

यदि रेखा टूटी हुई हो या उस पर कोइ निशान हो तो व्यक्ति को हृदयाघात हो सकता है(There is Chance of heart attack if heart line is break)।
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भाग्य रेखा:(Fate Line)

भाग्य रेखा:(Fate Line)




हृदय रेखा के मध्य से शुरु होकर मणिबन्ध तक जाने वाली सीधी रेखा को भाग्य रेखा कहते हैं (Straight Line start from middle of heart and end on Manibandh line called fate line) ।स्पष्ट रुप से दिखाई देने वाली रेखा उत्तम भाग्य का घौतक है।

यदि भाग्य रेखा को कोइ अन्य रेखा न काटती हो तो भाग्य में किसी प्रकार की रुकावट नही आती।परन्तु यदि जिस बिन्दु पर रेखा भाग्य को काटती है तो उसी वर्ष व्यक्ति को भाग्य की हानि होती है।कुछ लोगो के हाथ में जीवन रेखा एंव भाग्य रेखा में से एक ही रेखा होती है।

इस स्थिति में वह व्यक्ति आसाधारण होता है, या तो एकदम भाग्यहीन या फिर उच्चस्तर का भाग्यशाली होता है (If there is no fortune line on your palm it means you are not a middle class)। ऎसा व्यक्ति मध्यम स्तर का जीवन कभी नहीं जीता है।
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जीवन रेखा (Life Line)

जीवन रेखा (Life Line)



जीवन रेखा हृदय रेखा के ऊपरी भाग से शुरु होकर आमतौर पर मणिबन्ध पर जाकर समाप्त हो जाती है (Life line start from heart line and end on Manibandh line)। यह रेखा भाग्य रेखा के समानान्तर चलती है, परन्तु कुछ व्यक्तियो की हथेली में जीवन रेखा हृदय रेखा में से निकलकर भाग्य रेखा में किसी भी बिन्दु पर मिल जाती है।

जीवन रेखा तभी उत्तम मानी जाती है यदि उसे कोइ अन्य रेखा न काट रही हो तथा वह लम्बी हो इसका अर्थ है कि व्यक्ति की आयु लम्बी होगी तथा अधिकतर जीवन सुखमय बीतेगा। रेखा छोटी तथा कटी होने पर आयु कम एंव जीवन संघर्षमय होगा(If there is breakage in life line or there is any cut it means your life is short and in struggle)।
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तराजू (Weigh Scale)

तराजू (Weigh Scale)

आप धनवान बनना चाहते हैं तो देखिये आपकी हथेली में तराजू का निशान है या नहीं। सामुद्रिक ज्योतिष में इस निशान को बहुत ही शुभ कहा गया है। इस निशान का होना यह बताता है कि आप पर देवी लक्ष्मी की कृपा है। यह निशान हाथ में लक्ष्मी योग बनाता है जिससे आपको काफी धन और सुख सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।

इन चिन्हों के अलावा भी कई चिन्ह हाथों में पाये जाते हैं जिनमें सूर्य और हाथी का निशान शुभ कहलाता है। हाथी का निशान शुक्र पर्वत पर होने से ब्रह्म योग बनता है जिनके प्रभाव से व्यक्ति ज्ञानी, बुद्धिमान, चतुर और कुशल वक्ता बनता है।

आप "हथेली में पाये जाने वाले चिन्ह" इस शीर्षक के प्रथम, द्वितीय और तृतीय तीनों भाग को आप पढ़ चुके हैं और हाथों में पाये जाने वाले विभिन्न निशानों और चिन्हों का क्या फल होता है इसकी अच्छी जानकारी आपको हो गयी है।
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कमल (Lotus)

कमल (Lotus)

कमल चिन्ह भी स्वास्तिक की भांति शुभ माना गया है, इसे भगवान विष्णु का चिन्ह कहा गया है। हथेली पर यह निशान विष्णु योग कहलाता है। जिनके हाथों में यह निशान पाया जाता है वे भाग्यवान होते हैं, उन पर भगवान विष्णु की कृपा रहती है। विष्णु को शास्त्रों में पालनकर्ता के रूप में सम्बोधित किया गया है। जिस पर इनकी कृपा होती है वे हर प्रकार के सांसारिक सुख एवं मान प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। आपकी हथेली पर यह चिन्ह होने से आप वाक्पटु होते हैं और कुशल वक्ता के रूप में जाने जाते हैं साथ ही नेतृत्व में माहिर होते हैं।
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स्वास्तिक (Swastik)

स्वास्तिक (Swastik)

शास्त्रों में स्वास्तिक को शुभ चिन्ह के रूप में दर्शाया गया है। सामुद्रिक ज्योतिष भी इसे शुभ चिन्ह के रूप में मान्यता देता है। सामुद्रिक ज्योतिष के अनुसार जिनकी हथेली पर स्वास्तिक का चिन्ह होता है वे बहुत ही भाग्यशाली होते हैं। अपनी हथेली को गौर से देखिये अगर आपकी हथेली पर भी यह चिन्ह तो समझ लीजिए की आप धनवान होंगे और दुनियां में काफी मान प्रतिष्ठा प्राप्त करेंगे।
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लटकन (Tassel)

लटकन (Tassel)

यह आम तौर पर जीवन रेखा के अंतिम सिरे पर होता है जो बताता है कि वृद्धावस्था में होने वाले कष्ट और मृत्यु के विषय में बताता है। यह निशान अगर जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा के साथ लगकर बना हुआ है तो बुढ़ापे में आपकी याददाश्त कमज़ोर होगी। अगर यह निशान हृदय रेखा पर दिखाई दे रहा है तो यह इस बात का सूचक है कि दिल की हालत अच्छी नहीं रहेगी। हृदय पर लगने वाले आघात के कारण मानसिक रूप से विचलित और परेशान रहेंगे।
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छतरी (Tent)

छतरी (Tent)

कुछ लोगों के हाथों की उंगली में छतरीनुमा निशान बना होता है। जिनकी उंगली में ऐसे निशान पाए जाते हैं वे व्यक्ति दयालु होते हैं, लोगों की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं। इनकी उदारता व परोपकार की भावना का लोग अनुचित फायदा भी उठाते हैं। ये अपनी कला से जीवन में कामयाब होते हैं परंतु इनका पारिवारिक जीवन कठिनाईयों एवं मुश्किलों का घर रहता है।
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त्रिशूल (Trident)

त्रिशूल (Trident)

त्रिशूल का चिन्ह हथेली में होना बहुत ही शुभ होता है। यइ निशान जिस रेखा के शुरू में होता है उस रेखा की गुणवत्ता एवं प्रभाव में वृद्धि होती है और आपको इसका शुभ फल प्राप्त होता है। 

यह जिस रेखा पर होता है उस रेखा का प्रभाव तो बढ़ता ही साथ ही जिस रेखा की ओर इसका सिरा होता होता है वह भी शक्तिशाली एवं प्रभावशाली हो जाता है। त्रिशूल का निशान सामुद्रिक ज्योतिष में अति उत्तम कहा गया है यह जिस पर्वत पर होता है 

वह पर्वत काफी फलदायी होता है साथ ही उसके समीप के पर्वत भी उत्तमता प्रदान करने वाले हो जाते हैं। यह निशान मंगल पर्वत पर होने से शिवयोग बनता है जो आपको परोपकारी , धनवान, गुणवान एवं प्रतिष्ठा प्रदान करता है।
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धब्बा (Spot)

धब्बा (Spot)

हस्त रेखीय ज्योतिष में धब्बे के निशान को शुभ नहीं माना जाता है। यह निशान रोग और बीमारी को दर्शाता है। अलग अलग व्यक्ति के हाथों में यह निशान अलग अलग रंग के होते हैं।

 धब्बो के निशान और इनका रंग दोनों ही सामुद्रिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ज्योतिष की इस विधा में बताया गया है कि लाल रंग का यह निशान मस्तिष्क रेखा पर मौजूद हो तो यह इस बात का संकेत है कि आपको चोट लग सकती है अथवा शरीर का कोई अंग गिरने या आघात लगने के कारण क्षतिग्रस्त हो सकता है।

 यह निशान स्वास्थ्य रेखा पर होना यह बताता है कि आप बुखार एवं कुछ शारीरिक रोग से पीड़ित होंगे। नीला और काला धब्बा हथेली पर होना इस बात का सूचक है कि आप तंत्रिक तंत्र (Nervous System) में परेशानी महसूस करेंगे। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जीवन रेखा पर जहां जहां यह धब्बा होता है उस उम्र में आप रोगग्रस्त रहते हैं।
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जाल (Grille)

जाल (Grille)

हथेली पर जालीनुमा निशान होना सामुद्रिक ज्योतिष की दृष्टि से शुभ नहीं है। यह निशान हथेली पर जहां भी होता है उस स्थान से सम्बन्धित फल को नष्ट कर देता है। यह निशान जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत की गुणवत्ता कम हो जाती है। इस निशान के होने से आपको जीवन में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, अगर आपके हाथों में भी यह निशान है तो समझ लिये आपको कठिनायों पर विजय हासिल करने के लिए काफी कठिनाईयों का सामना करना होगा। हस्त रेखा विज्ञान में ऐसा माना जाता है कि अगर यह निशान अपोलो पर्वत पर हो तो आपको सफलता का स्वाद मुश्किल से मिलता है।

हथेली के विभिन्न पर्वत पर इस निशान का क्या प्रभाव होता है आइये इसे देखते हैं। अगर यह निशान गुरू पर्वत पर हो तो यह आपको घमंडी, अपने आपको बढ़ा चढ़ा कर दिखाने वाला और अहमवादी बनाता है। सूर्य पर्वत पर चिन्ह का होना बताता है कि आप झूठी प्रतिष्ठा के लिए दिखावा करते और आज्ञानियों वाला काम कर जाते हैं। चन्द्र पर्वत पर जालीनुमा निशान बताता है कि आप अंदर से व्याकुल, अस्थिर और वेचैन रहते हैं। अगर आप प्यार में दिवानगी की हद पार कर जाते हैं तो संभव है कि आपकी हथेली के शुक्र पर्वत पर जालीनुमा निशान मौजूद हो, क्योंकि इस स्थान पर जाली का होना यही बताता है। शनि पर्वत पर यह निशान आपको शारीरिक रूप से अस्वस्थ एवं कमज़ोर बनाता है साथ ही यह आपको दुखी रखता है।

हथेली में पाये जाने वाले चिन्ह की पहली और दूसरी कड़ी आप पढ़ चुके हैं, कुछ और रोचक चिन्हों के विषय में जानने के लिए भाग तीन देखें।
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वर्गाकार रेखा (Square)

वर्गाकार रेखा (Square)

हथेली में वर्गाकार रेखा शुभ चिन्ह के रूप में जाता है। इस रेखा को रक्षा कवच के रूप में भी जाना जाता है क्योकि यह निशान आपको जीवन में आने वाली समस्याओं को सहने की ताकत देता है और आपके अंदर की क्षमता को बढ़ाता है जिससे आप आने वाली किसी भी कठिनाई से लड़कर अपने आपको सामान्य स्थिति मे ले आते हैं।

 हथेली में मौजूद अलग अलग पर्वत पर इस चिन्ह का प्रभाव भी अलग होता है जैसे अगर यह चिन्ह गुरू पर्वत पर हो तो आप महत्वाकांक्षी होते हैं आपके सपने आसमान की बुलंदियों को छूते हैं।

सूर्य पर्वत पर यह निशान होने से आप लोकप्रियता और प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए अत्यंत उत्सुक होते हैं। आपकी हथेली में चन्द्र पर्वत पर अगर वर्ग का चिन्ह है तो आप बहुत अधिक कल्पनाशील होते हैं आप ख्वाबो व ख्यालों की दुनियां में खोये रहते हैं। मंगल पर्वत पर इस चिन्ह का होना इस बात का इशारा है कि आपको अपने शत्रुओं से सावधान रहना चाहिए अन्यथा शत्रु आपको परेशान कर सकते हैं।


 बुध पर्वत पर वर्गाकर निशान का होना मानसिक असंतुलन को दर्शाता है। इस स्थति के होने से आपका मन चचल रहता है, आप किसी एक विषय पर अपने मन को स्थिर नहीं कर पाते हैं।

शुक्र पर्वत पर यह चिन्ह उन स्थितियों में आपको बचाता है जब आप आवेग या जोश में आकर कोई कदम उठा लेते हैं और संकट में घिर जाते हैं। शनि पर्वत पर यह निशान शुभ नहीं माना जाता है। इस स्थान पर इस चिन्ह के होने से आपको जीवन में कई स्थानों पर आपको नुकसान या क्षति की स्थिति से गुजरना होता है।
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चक्र (Circle)

चक्र (Circle)

हस्त रेखीय ज्योतिष में चक्र के निशान को शुभ नहीं माना गया है। यह निशान जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत से सम्बन्धित फल की हानि करता है, अगर यह किसी पर्वत पर स्थित होकर किसी रेखा को छूता है तो जिस रेखा को यह छूता है उसके शुभ प्रभाव की हानि हो जाती है। यह भी कहा गया है कि अगर यह रेखा चन्द्र पर्वत पर हो तब आपको जलक्षेत्र से सावधान रहना चाहिए क्योंकि इस स्थिति में आपको जल में डूबकर मरने की संभावना रहती है।

सूर्य पर्वत इस सम्बन्ध में अपवाद माना गया है। अगर यह चिन्ह सूर्य पर्वत पर होता है तो इसे अशुभ नहीं माना जाता है क्योंकि इस स्थान पर यह सूर्य ग्रह से मिलने वाले फल की वृद्धि करता है और आपको सूर्य का शुभ प्रभाव दिलाता है।
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त्रिकोण (Triangle)

त्रिकोण (Triangle)

आप श्रृंखला के पहले भाग में पढ़ चुके होंगे कि सभी चिन्ह शुभ नहीं होते हैं और न तो सभी अशुभ प्रभाव डालने वाले होते हैं। यहां हम जिस चिन्ह की बात कर रहे हैं वह चिन्ह हथेली में होना शुभता की निशानी होती है।

 इस चिन्ह को यानी त्रिकोण को श्रेष्ठ चिन्ह कहा गया है। हस्तरेखीय ज्योतिष के अनुसार अगर यह आपके हाथ में है तो आप भले ही आसमान को न छू पाएं परन्तु ज़मीन पर मजे में जीवन गुजार सकते हैं कहने का तात्पर्य यह है कि इस चिन्ह से बहुत बड़ी उपलब्धि तो नहीं मिलती है लेकिन यह बुरी स्थिति से भी बचाव करती है।

त्रिकोण चिन्ह साफ व स्पष्ट होने से आपकी सोचने समझने की क्षमता अच्छी रहती है व आपकी बुद्धि तेज चलती है। यह चिन्ह जिस स्थान पर होता है उस स्थान पर मौजूद ग्रह शक्तिशाली हो जाते हैं और आपको उस ग्रह से अनुकूलता प्राप्त होती है। यह चिन्ह जब अलग अलग पर्वत पर होता है तब कैसा फल मिलता है आइये अब इसे देखें। हस्तरेखीय ज्योतिष के अनुसार जब यह चिन्ह बृहस्पति पर होता है तब आपमें प्रबंधन की क्षमता बहुत ही अच्छी रहती है, आप किसी भी संस्था को सही तरह से चलाने में सक्षम होते हैं एवं जनसमुदाय को निर्देशित करने की योग्यता रखते हैं।

त्रिकोण का चिन्ह अगर सर्य पर्वत पर हो तो आप गंभीर स्वभाव के होते हैं व कला के क्षेत्र में अपने प्रयास एवं लगन से धीरे धीरे सफलता एवं प्रसिद्धि हासिल करते हैं। आपकी हथेली मे चन्द्र पर्वत पर त्रिकोण का निशान होना इस बात का सूचक होता है कि आप आपकी कल्पना व आपकी सोच निराधार नहीं होती है। आप जो भी सोचते या कल्पना करते हैं उनका एक दृढ़ आधार होता है। त्रिकोण का चिन्ह मंगल पर्वत पर होने से आप संघर्ष की स्थिति से दूर रहते हैं अगर ऐसी स्थिति आ भी जाती है तो आप अपनी चतुराई एवं अक्लमंदी से स्थितियों को अपनी ओर कर लेते है, साथ ही आप कठिन घड़ी में भी अपने आप पर नियंत्रण बनाये रखने में सक्षम होते हें और संकट की स्थिति में सूझ बूझ भरा निर्णय लेते हैं।

आर्थिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि यह चिन्ह जब बुध पर्वत पर होता है तब आप व्यापार, व्यवसाय एवं आर्थिक विषयों में सूझ बूझ भरा निर्णय लेते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में कामयाब होते हैं। शुक्र प्यार मुहब्बत का स्थान होता है, शुक्र पर्वत पर इस चिन्ह के होना प्रेम और प्रेमी दोनों के लिए ही शुभ माना जाता है। इस स्थान पर यह चिन्ह होने से आप अपने मन को काबू में रख पाने में सफल होते हैं अर्थात आपका अपने मन पर नियंत्रण होता है एवं आपमें सहनशीलता रहती है जो प्यार की कामयाबी के लिए आवश्यक कहा गया है।

आप अपनी हथेली को गौर से देखिये कहीं यह चिन्ह शनि पर्वत पर तो नहीं है। अगर शनि पर्वत पर यह चिन्ह है तो आपके विषय में यही कहा जा सकता है कि यह आपको गुप्त विद्याओं की ओर आकर्षित करेगा आप तंत्र, मंत्र, यंत्र के पुजारी होंगे। आप लोगों को अपनी चमत्कारी विद्याओ से चकित करने की चाहत रखेंगे।
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गुणा (Cross)

गुणा (Cross)

हस्त रेखा अध्ययन में इस चिन्ह को कई अर्थों में देखा जाता है क्योंकि यह चिन्ह कठिन, निराशा, दुर्घटना और जीवन में आने वाले बदलाव को दर्शाता है। इस चिन्ह को यूं तो शुभ नहीं माना जाता है परंतु कुछ स्थिति में यह लाभदायक भी होता है। यह चिन्ह जब बृहस्पति पर होता है तब आपकी रूचि गुप्त एवं रहस्यमयी विषयों में होती है। इस स्थिति में आप दर्शनशास्त्र में अभिरूचि लेते हैं इसी प्रकार जब यह निशान हथेली के मध्य होती है तब आप पूजा पाठ एवं अध्यात्म में रूचि लेते हैं आप अलसुलझे रहस्यो पर से पर्दा हटाने की कोशिश करते हैं अर्थात पराविज्ञान की ओर आकर्षित रहते हैं।

हस्त रेखा से भविष्य का आंकलन करने वाले कहते हैं गुणा का चिन्ह जब सूर्य पर्वत पर होता है तब आपको विभिन्न प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में आपकी आर्थिक दशा कमज़ोर रहती है आपके अंदर की कला का विकास सही से नहीं हो पाता है और न तो आपको प्रसिद्धि मिल पाती है। मंगल पर्वत पर बुध के नीचे अगर यह चिन्ह नज़र आ रहा है तो आपको अपने शत्रुओं से सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि इस स्थिति में आपको अपने शत्रुओं से काफी खतरा रहता है। इसी प्रकार मंगल पर्वत पर यह चिन्ह बृहस्पति के नीचे दिखाई दे रहा तो यह भी शुभ संकेत नहीं है इस स्थति आपको संघर्ष से बच कर रहना चाहिए अन्यथा आपकी जान को खतरा रहता है।

यह चिन्ह अगर शनि पार्वत पर हो और भाग्य रेखा को छू रहा हो तो यह समझना चाहिए कि दुर्घटना अथवा संघर्ष में जान का खतरा हो सकता है। शनि पर्वत के मध्य यह चिन्ह हो तब इसी तरह की घटना होने की संभावना और भी प्रबल हो जाती है। गुणा का चिन्ह जीवन रेखा पर होना जीवन के लिए घातक होता है, जीवन रेखा में जिस स्थान पर यह होता है उस स्थान पर प्राण को संकट रहता है। जीवन रेखा पर यह चिन्ह होने से आपके अपने करीबी रिश्तेदारों से अच्छे सम्बन्ध नहीं रहते हैं। शुक्र पर यह निशान एवं प्रेमी दोनों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।
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द्वीप (Island)

द्वीप (Island)

द्वीप चिन्ह को हस्तरेखीय ज्योतिष में दुर्भाग्यशाली चिन्ह माना जाता है (Island is inauspicious Sign in Palmistry)। यह जिस पर्वत पर होता है उस पर विपरीत प्रभाव डालता है। गुरू पर्वत पर यह चिन्ह होने पर गुरू कमज़ोर हो जाता है जिससे आपके मान सम्मान की हानि होती है और आप जीवन में अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में असफल होते हैं। द्वीप चिन्ह सूर्य पर्वत पर होने से सूर्य का प्रभाव क्षीण होता है फलत: आपकी कलात्मक क्षमता उभर नहीं पाती है। चन्द्र पर्वत पर इस चिन्ह के होने से आपकी कल्पना शक्ति प्रभावित होती है।

मंगल पर्वत पर द्वीप चिन्ह होने से आपके अंदर साहस एवं हिम्मत की कमी होती और बुध पर इस चिन्ह के होने से आपका मन अस्थिर होता है जिससे आप किसी भी काम को पूरा करने से पहले ही आपका मन उचट जाता है और आप काम में बीच में ही अधूरा छोड़ देते हैं। जिनके शुक्र पर्वत पर द्वीप के निशान होते हैं वे बहुत अधिक शौकीन होते हैं और सुन्दरता के प्रति दीवानगी रखते हैं। आपके शनि पर्वत पर यदि द्वीप बना हुआ है तो आपके जीवन में शनि का प्रकोप रहेगा यानी काफी मेहनत के बाद ही आपका कोई काम सफल होगा। आपका एक काम बनेगा तो दूसरी परेशानी सिर उठाए खड़ी रहेगी।

हस्तरेखा विशेषज्ञ कहते हैं द्वीप चिन्ह अगर हृदय रेखा पर साफ और उभरी नज़र आ रही है तो आप हृदय रोग से पीड़ित हो सकते हैं, इस स्थिति में आपको दिल का दौरा भी पड़ सकता है। यह चिन्ह का मस्तिष्क रेखा पर होने से आपको मानसिक परेशानियों का सामना करना होता है व आपके सिर में दर्द रहता है।
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hatheli me तारा (Star):

तारा (Star):

सबसे पहले हम तारा का जिक्र करते हैं। हथेली में इस चिन्ह को अत्यंत शुभ कहा गया है (Star sign is auspicious in Astrology)। किसी रेखा के अंतिम सिरे पर जब तारा होता है तब उस रेखा का पभाव काफी बढ़ जाता है। तारा हथेली के जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत की शक्ति काफी बढ़ जाती है जिससे आपको उस पर्वत से सम्बन्धित फल में उत्तमता प्राप्त होती है। तारा जिस पर्वत पर होता है उसके अनुसार मिलने वाले फल की बात करें तो यह अगर बृइस्पति पर हो तो आप शक्तिशाली एवं प्रतिष्ठति होंगे व आपके मान सम्मान में इजाफा होगा।

तारा सूर्य पर्वत पर दिख रहा है तो इसका मतलब यह है कि आपके पास पैसा भी होगा और आप अच्छे पद एवं प्रभाव में होंगे फिर भी मन में खुशी की अनुभूति नहीं होगी। आपके हाथों तारा अगर चन्द्र पर्वत पर है तो आप लोकप्रियता एवं यश प्राप्त करेंगे हो सकता है कि इस स्थिति में आप कलाकर हो सकते हैं। मंगल पर्वत पर तारा होने से आपका भाग्य अच्छा रहेगा और आपके सामने एक से एक अवसर आते रहेंगे।

आप विज्ञान के क्षेत्र में कामयाबी प्राप्त कर सकते हें और इस क्षेत्र में एक के बाद एक सफलता हासिल कर सकते हैं। आप किसी से प्रेम करते हैं तो देखिये आपके शुक्र पर्वत पर तारा का निशान है या नहीं। अगर इस स्थान पर तारा का निशान है तो आप प्रेम में कामयाब रहेंगे। शनि पर्वत पर तारा का निशान होना इस बात का संकेत है कि आप जीवन में कामयाबी हासिल करेंगें, परंतु इसके लिए आपको काफी परेशानी व कठिनाईयों से गुजरना होगा।
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Tuesday, 26 April 2016

सख्त या कठोर हथेली वाला व्यक्ति

सख्त या कठोर हथेली वाला व्यक्ति

ऐसी हथेली वाले व्यक्ति को अपनी किसी भी प्रकार की आवश्यकता की पूर्ति के लिए मेहनत करनी पड़ेगी। वह शारीरिक एवं मानसिक दोनों प्रकार की मेहनत करने वाला होगा। रोजी-रोटी परिश्रम से पाएगा। उसकी जिंदगी संघर्षमय होगी या यूँ कहिए कि उसकी जिंदगी श्रममय होगी। वह जल्दी ही गरम परंतु जल्दी ही ठंडा हो जाने वाला रहेगा।
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हथेली यदि मुलायम हो तो

हथेली यदि मुलायम हो तो

ऐसे व्यक्ति की सभी आवश्यकताएँ आसानी से पूर्ण हो जाएँगी। वह किसी अमीर घर का व्यक्ति हो सकता है। ऐसा व्यक्ति सुस्त होगा तथा मेहनत पसंद नहीं होगा। 

फिर भी वह इतना किस्मत वाला होगा कि सभी कुछ सही समय पर सहजता से प्राप्त होगा। दिल का कोमल परंतु अय्याश किस्म का होगा। उसकी कुछ खास चुनिंदा आदतें होंगी। कामचोर होगा। वह चाहे जिस परिस्थिति में से आया हो, खुशकिस्मत ही रहेगा।
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अँगूठे तथा प्रथम अँगुली के मध्य कम अंतर हो तो

अँगूठे तथा प्रथम अँगुली के मध्य कम अंतर हो तो

संकुचित विचारों वाला तथा कंजूस प्रवृत्ति का होगा। दिल का कठोर होगा तथा इच्छा शक्ति दृढ़ होगी। जिद्दी एवं अव्यावहारिक होगा।

 भावनाओं में बहने वाला नहीं होगा तथा प्रत्येक कदम फूँक-फूँककर रखने वाला होगा। स्वस्थ एवं स्पष्टवादी होगा। अवसरों एवं लोगों को अपने फायदे के लिए उपयोग करने वाला होगा। घमंडी एवं असहयोगी होगा।
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अँगूठे तथा प्रथम अँगुली के मध्य ज्यादा अंतर हो तो

अँगूठे तथा प्रथम अँगुली के मध्य ज्यादा अंतर हो तो

यह व्यक्ति खुले दिल एवं दिमाग वाला होगा। दूसरों को मदद करेगा। वह अत्यंत भावुक एवं संवेदनशील होगा। उसका दिल बहुत जल्दी पसीज जाता है। वह खर्चीला होगा, अदूरदर्शी होगा तथा बिना सोचे-समझे कदम उठाने वाला रहेगा। 

धार्मिक प्रवृत्ति वाला होगा, अंधविश्वासी होगा तथा मानव प्रेमी होगा। सहज स्वभाव का होगा तथा जल्दी ही किसी के प्रभाव में आने वाला होगा। अति कल्पनाशील या अवास्तविकता में जीने वाला होगा।
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नीचे से खुली हथेली से हाथ मिलाने वाला व्यक्ति

नीचे से खुली हथेली से हाथ मिलाने वाला व्यक्ति

वह सहज स्वभाव का होगा। सबसे सरलता से मिलेगा। सामने वाले को स्वीकारेगा एवं सम्मान करेगा। कभी-कभी सामने वाले से अपने को हीन समझेगा।

 एक अच्छा मेजबान भी होगा। वह डरपोक होगा। बहुत जल्दी विचलित होगा। सामनेवाला उसे आसानी से अपने वश में कर सकता है और अपनी बात से सहमत करवा सकता है।

 वह हीनभावना से ग्रस्त होगा। बहुत अच्छा सहयोगी भी हो सकता है। मिलनसार होगा, शांतिप्रिय होगा, परंपरा का पालन करेगा। कुल मिलाकर दिल का साफ होगा।
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सामने वाले की हथेली को ऊपर से दबाकर हाथ मिलाने वाला व्यक्ति

सामने वाले की हथेली को ऊपर से दबाकर हाथ मिलाने वाला व्यक्ति

यदि कोई व्यक्ति सामने वाले की हथेली को ऊपर से दबाकर हाथ मिलाता है तो वह निम्न स्वभाव का होगा। वह गुस्सैल एवं घमंडी होगा। सुपीरियरीटी कॉम्प्लेक्स उसमें कूट-कूटकर भरा होता है।

 सामने वाले को तुच्छ या नहीं के बराबर मानता है। अपने आपको सभी से उच्च समझता है। दूसरों की चिंता नहीं करता। दूसरों पर अपना प्रभाव जमाकर या दबाब डालकर काम करवाता है।

 तानाशाही प्रवृत्ति का होता है। वह चाहता है कि लोग उसे मानें, जानें एवं सम्मान दें। चाहे वह कैसा भी हो, हर जगह अपने को उच्च मानता है।
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एक हाथ मिलाते हुए दूसरा हाथ सामने वाले के हाथ पर किसी जगह रखने वाला व्यक्ति

एक हाथ मिलाते हुए दूसरा हाथ सामने वाले के हाथ पर किसी जगह रखने वाला व्यक्ति

मानो कोई व्यक्ति किसी दूसरे से हाथ मिलाता है। हाथ मिलाते समय दूसरा हाथ सामने वाले के हाथ पर जैसे- कलाई, बाजू या कंधे पर रखे तो वह निम्न स्वभाव वाला होगा। यह सामने वाले का हितैषी होगा। सामने वाले की अच्छाई चाहेगा। उसकी खुशी, उसकी उन्नति, उसकी समृद्धि चाहेगा। उसे अच्छा मार्गदर्शन देगा एवं यथाशक्ति मदद करेगा। सामने वाले के सुख-दुख में, हँसी-खुशी में, अच्छे-बुरे में साथ देगा एवं सामने वाले का शुभचिंतक होगा।
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नीचे हाथ रखकर दूसरे हाथ से कसकर हाथ मिलाने वाले व्यक्ति

नीचे हाथ रखकर दूसरे हाथ से कसकर हाथ मिलाने वाले व्यक्ति

ऐसे व्यक्ति अनुशासन रखते हैं एवं अनुशासन चाहते हैं। ऐसे व्यक्ति दूसरों का उनके स्तर या पद के अनुसार सम्मान करते हैं एवं स्वीकार करते हैं। दिल के साफ होते हैं। स्पष्टवादी होते हैं। कर्तव्यशील होते हैं। ईमानदार व वफादार होते हैं। इंसान से इंसान की तरह मिलने वाले होते हैं।
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कसकर हाथ मिलाने वाला व्यक्ति

कसकर हाथ मिलाने वाला व्यक्ति

ऐसे व्यक्ति अच्छे होते हैं। सामने वाले को आदर देते हैं। बराबरी का दर्जा देते हैं। आदर देते हैं एवं आदर पाने की आकांक्षा रखते हैं। समझदार होते हैं। भरोसेमंद होते हैं। दूसरों पर भरोसा करते हैं। पूर्ण परिपक्व एवं सभ्य होते हैं।
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हाथ मिलाकर लगातार हाथ हिलाने वाला व्यक्ति

हाथ मिलाकर लगातार हाथ हिलाने वाला व्यक्ति

वह बहुत लापरवाह होगा। उसे पता ही नहीं होता है कि आसपास क्या हो रहा है। संसार में क्या हो रहा है, इसकी उसे चिंता ही नहीं होती हैं। वह बहुत सुस्त होता है, दिखने में बड़ा होता है, परंतु बुद्धि छोटे बच्चों के समान रहती है।

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 दिल का साफ होता है, कपटी बिलकुल नहीं होता है। गैर-जिम्मेदार होता है, इसलिए कोई भी जिम्मेदारी का काम उसे देना ठीक नहीं होता है। अदूरदर्शी होगा। उसे आसानी से मूर्ख बनाया जा सकता है।


 ऐसे लोगों में एक सचाई यह होती है कि जिससे ये हाथ मिलाते हैं, उसके प्रति प्रेम-भाव रखते हैं एवं संवेदनशील होते हैं।

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ढीला एवं लापरवाही से हाथ मिलाने वाला व्यक्ति

ढीला एवं लापरवाही से हाथ मिलाने वाला व्यक्ति

स्वार्थी होगा, चालक होगा, लापरवाह होगा, सामने वाले व्यक्ति में रुचि नहीं लेगा। वह संकुचित विचारों वाला होगा, शंकालु प्रवृत्ति का होगा। सामने वाले को तुच्छ समझने वाला भी हो सकता है। घमंडी होगा। स्वयं को ज्यादा होशियार समझेगा। जिद्दी एवं तानाशाही प्रवृत्ति का होगा।

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 वह जिस व्यक्ति से संपर्क करेगा, उसमें उसका स्वार्थ रहेगा। कभी ऐसा भी हो सकता है कि हाथ मिलाते समय उसके हाथ में दर्द हो या वह छुआछूत की बीमारी से डरता हो। इसलिए भी वह ढीले तरीके से हाथ मिला सकता है। कुल मिलाकर ऐसे व्यक्तियों में अहं भाव या सुपीरियरीटी कॉम्प्लेक्स ज्यादा पाया जाता है।
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सैंडविच (तरीके से) हाथ मिलाने वाला व्यक्ति

सैंडविच (तरीके से) हाथ मिलाने वाला व्यक्ति

ऐसा व्यक्ति अत्यंत धूर्त एवं चालक होगा। कपटी होगा, बाहर से मीठी-मीठी बातें करेगा परंतु अंदर ही अंदर जड़ काटेगा। वह सब कार्यों में माहिर रहेगा। वह किसी भी किस्म के व्यक्ति से बात करके उससे अपना मतलब सिद्ध कर सकता है। अवसरवादी होगा। किसी भी बिजनेस में ऐसे व्यक्ति सफल रहते हैं क्योंकि स्वभाव में लचीलापन होता है। ऐसे लोगों में गजब की शक्ति होती है तथा अपना काम निकालने के लिए ये सभी हथकंडे प्रयोग करके सफल हो जाते हैं। उनमें दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने में महारत होती है। प्रतिदिन तरह-तरह के लोगों से मिलते हैं किंतु कौन ऐसा है, जिसे हम पहली मुलाकात में जान नहीं पाते हैं किंतु यह काम कोई कठिन नहीं है। आजकल वैज्ञानिक हर चीज पर शोध, अध्ययन करते हैं, उनकी इसी अध्ययन की कड़ी में एक शोध किया गया हाथ मिलाने के तरीकों पर।
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Monday, 25 April 2016

आपके व्‍यक्तित्‍व को बताते हैं नाखून

ly: sans-serif;">आपके व्‍यक्तित्‍व को बताते हैं नाखून



वैसे तो उंगलियां और नाखून सामुद्रिक शास्त्र के अंतर्गत ही आते हैं लेकिन, कुछ पाश्चात्य देशों में नाखून पर विशेष शोध किए गए हैं। माना जाता है कि मानसिक स्थिति के अनुसार नाखूनों में भी परिवर्तन होते रहते हैं और यही बनते हैं हमारे भविष्य की जानकारी का आधार। माना जाता है कि आकाश मंडल से उतरने वाली विद्युत ऊर्जा इन्हीं नाखूनों के द्वारा हमारे अंदर प्रवेश करती है। हमारे देश में भी बड़ों के चरणस्पर्श को नाखून से अपने हाथों के नाखूनों द्वारा ग्रहण करने का माध्यम माना जाता है।
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naakhun par Ardhchandra

नाखून पर अर्धचन्द्र



अंगूठे के नाखूनों के अलावा अन्य उंगलियों के नाखून भी अलग-अलग प्रकार के संकेत देते हैं। मध्यमा उंगली पर अर्धचन्द्र का उभरना बताता है कि जल्दी ही कहीं से धन लाभ होने वाला है। जो लोग प्रमोशन या कार्य क्षेत्र में उन्नति की आश लगाए बैठे हैं उन्हें तर्जनी उंगली देखनी चाहिए। तर्जनी उंगली पर अर्धचन्द्र दिखे तो समझ लीजिए उन्नति की चाहत पूरी होने वाली है।

हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार अनामिका उंगली के नाखून के बीच तक अर्धचन्द्र की आकृति बनने पर मान-सम्मान एवं पुरस्कार मिलता है। इसे छात्रों को प्रतियोगिता परीक्षाओं में मिलने वाली कामयाबी का भी संकेत माना जाता है। सबसे छोटी उंगली जिसे बुध की उंगली कहा जाता है। इस उंगली के नाखून पर अर्धचन्द्र का दिखना व्यापार में उन्नति एवं लाभ का संकेत होता है।
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Apne naakhuno se jaane bhavisya

नाखून दिखने में अच्छे नहीं हों

नाखूनों पर धब्बे हों और नाखून दिखने में अच्छे नहीं हों तो ऐसा व्यक्ति जीवन में बहुत उन्नति नहीं कर पाता है। इनकी आर्थिक स्थिति सामान्य होती है। नाखून टेढ़े-मेढ़ा और रेखा युक्त होना आर्थिक दृष्टि से प्रतिकूल स्थिति को दर्शाता है।



उत्तम नाखून



उत्तम नाखून जो आर्थिक उन्नति और अमीरी को दर्शाते हैं उनके विषय में कहा गया है कि, जिनके नाखून रेखा और धब्बा रहित चिकने और लालिमा युक्त होते हैं वह धनवान होता हैं। नाखून का आकार उंगली के पहले पोर का आधा होना उत्तम माना गया है।





गुलाबी नाखून



गर्ग संहिता के अनुसार जिस स्त्री के नाखून लाल, चमकीले, चिकने और उठे हुए होते हैं वह सौभाग्यशाली होती है। नाखून उंगली से कुछ बाहर निकले हों और गुलाबी हों तो यह भी सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। पुरूषों के नाखून मांस में अधिक धंसे नहीं हों और गोल हों तो यह धन-धान्य का सूचक होता है। ऐसा व्यक्ति दिनानुदिन उन्नति की ओर बढ़ता रहता है।







पालमिस्टरी (हस्तरेखा विज्ञान) और नाखून



नाखून केवल हाथों की सुन्दरता को ही नहीं बढ़ते हैं बल्कि यह आने वाले समय में होनी वाली घटनाओं का भी संकेत देते हैं। इसलिए हस्तरेखा विज्ञान में नाखूनों को हस्तरेखाओं के समान ही महत्व दिया गया है। नाखूनों के चांद के आकार को देखकर यह जाना जा सकता है कि भविष्य में किस क्षेत्र से खुशखबरी मिल सकती है। इसी प्रकार नाखूनों के बनावट से यह जाना जा सकता है कि भविष्य में कौन सा रोग हमें प्रभावित कर सकता है।





अधिक लंबा नाखून



हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार नाखूनों का अधिक लंबा और चौड़ा होना फेफड़े की कमज़ोरी को दर्शाता है। नाखून अगर बढ़कर उंगली की ओर झुका हुआ हो तब इस बात संभावना अधिक रहती है कि व्यक्ति छाती एवं फेफड़े के रोग से पीड़ित होगा।






छोटे नाखून



नाखून छोटे हों लेकिन इनकी चौड़ाई अधिक हो तब गले में तकलीफ होने की अशांका प्रबल होती है। इस तरह की स्थिति होने पर व्यक्ति को सांस नली में सूजन के कारण गले में दर्द, बोलते समय आवाज टूटना। आवाज साफ न होना ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।





गोल नाखून



कुछ व्यक्तियों के नाखून छोटे होते हैं लेकिन इनका आकार गोल होता है। इस तरह के नाखून जिनके होते हैं उन्हें हृदय रोग हो सकता है। छोटे गोलाकर नाखूनों में चन्द्र की उपस्थिति इस संभावना को और बढ़ाता है।






जब नाखून टूटने लगे



नाखून का लचीलापन कम हो गया है और वह आसानी से टूटने लगे हैं तो यह चिंता की बात हो सकती है। हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार ऐसा होना दर्शाता है कि व्यक्ति अंदर से कमज़ोर और अस्वस्थ है। अच्छे खान-पान से शरीर में रक्त की कमी को दूर करने की जरूरत है।






चौड़ा नाखून



नाखून अंतिम सिरे पर फैलकर अधिक चौड़ा हो गया है और उनका रंग नीला है तो यह संकेत है कि शरीर में रक्त का संचार समुचित प्रकार से नहीं हो रहा है। इस तरह के नाखून जिनके होते हैं उनमें उर्जा की कमी होती है। ऐसे लोग जल्दी थक जाते हैं।




नाखूनों से जानिए आने वाली है खुशखबरी



अगर आपको किसी खुशखबरी का इंतजार है तो अपने नाखूनों को देखिए। अगर कोई खुशखबरी आने वाली है तो आपके नाखून आपको इसकी जानकारी समय से पहले ही दे देंगे। यह भी हो सकता है कि आपके घर या रिश्तेदारों के यहां कोई शुभ काम होने वाला हो।








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