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Saturday 23 April 2016

शुभ हैं या अशुभ हाथ में छः उंगलियां

शुभ हैं या अशुभ हाथ में छः उंगलियां



शुभ या अशुभ हैं हाथ में छः अंगुलियां एक रहस्य नवीन राहूजा कहते हैं जिसके हाथ में छः अंगुलियां होती हैं, वह व्यक्ति बहुत भाग्यशाली होता है, परंतु कुछ लोग इसे एक अशुभ लक्षण भी मानते हैं। लेकिन वास्तव में छः अंगुलियां होने पर व्यक्ति को अपने जीवन में किस प्रकार के फल प्राप्त होते हैं, आईये, इस लेख के द्वारा देखते हैं- सामान्य तौर पर प्रत्येक मनुष्य के हाथ में पांच अंगुलियां होती हैं। किंतु कई बार आनुवांशिक अव्यवस्था के कारण परिवार में अतिरिक्त (छठी) अंगुली वाली संताने भी पैदा हो जाती हैं। हाथ में स्थित छठी अंगुली की अपनी कोई स्वतंत्र कार्य प्रणाली नहीं होती, ना ही इस अतिरिक्त अगं ुली का अपना कार्इे पर्वत होता है। हाथ में यह छठी अंगुली जिस अंगुली के साथ जुड़ी हुई होती है, उसी अंगुली की क्रियाशीलता पर अतिरिक्त अंगुली की क्रिया निर्भर करती है अर्थात् इस अतिरिक्त अंगुली का अपना कार्इे स्वतत्रं अस्तित्व नहीं हातो। यह तो मृत अंगुली के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रहती है। इसीलिए मध्यकालीन युग में आरै आज भी कुछ लोग इस अतिरिक्त अंगुली को शल्य चिकित्सा द्वारा कटवा दिया करते हैं। कुछ शाधेकर्ताओं का मत है कि प्रत्यके 1,00,000 बच्चों में लगभग 50 बच्चे ऐसे पैदा होते हैं जिनके हाथ में यह अतिरिक्त अंगुली पाई जाती है। हाथ में इस अतिरिक्त छठी अंगुली की स्थिति दो प्रकार से पाई जाती है। पहली स्थिति में छठी अगुंली कनिष्ठिका अंगुली की जुड़वा अंगुली के रूप में दिखाई देती है। दूसरी स्थिति में यह छठी अंगुली, अंगूठे के साथ जुड़ी हुई दिखाई देती है। पा्रचीन मत के अनसुार छठी अंगुली को सौभाग्य के सूचक के रूप में माना जाता रहा है। जबकि मध्यकालीन युग में इस छठी अगुंली का संबधं जादू टाने में माहिर व्यक्ति से माना जाता था और छठी अंगुली के धारक व्यक्ति को जादू-टोने, इंद्रजाल और मायावी विद्याओं में पारंगत समझा जाता था। आधुनिक मतानुसार छः अंगुलियों के धारक व्यक्ति को विश्वास के योग्य नहीं पाया जाता है। यदि यह छठी अंगुली कनिष्ठिका से जुड़ी हो तो ऐसे व्यक्ति बिल्कुल भी विश्वास के योग्य नहीं होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में बात-बात पर केवल झूठ ही बोलते हैं, इसलिए ऐसे लोग विश्वास के योग्य बिल्कुल भी नहीं होते हैं। जनश्रुति के अनुसार 'ऐनी बोलेन' जो कि 'हैनरी' (अष्टम) की पत्नी एवं एलिजाबेथ (प्रथम) की मां थी, इनके दोनों हाथों में छः-छः अंगुलियां थीं। अपनी इसी प्रसिद्धि के कारण ये अपने इन हाथों को हमेशा लंबी आस्तीन के वस्त्रों से ढककर रखती थी। लेवीन ऐनी बोलेन के प्रतिपक्षी उन पर हमेशा वास्तव में एक डायन होने के आरोप लगाते थे। प्राचीन मतानुसार छः अंगुलियों को सौभाग्य का परिचायक मानते थ,े कितुं एसे ा ऐनी बोलने के साथ असत्य साबित हुआ। 1536 में ऐनी बोलेन का सिर हैनरी (अष्टम) के आदेशानुसार कलम करवा दिया गया। आधुनिक मतानुसार छः अंगुलियों के धारक व्यक्ति को विश्वास के योग्य नहीं पाया जाता है। यदि यह छठी अगं ुली कनिष्ठिका से जुडी़ हो ता े ऐसे व्यक्ति बिल्कुल भी विश्वास के योग्य नहीं होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में बात-बात पर केवल झूठ ही बोलते हं,ै इसलिए एसे लागे विश्वास के याग्ेय बिल्कुल भी नहीं होते हैं। यह छठी अंगुली कनिष्ठिका से जुड़ी होने पर व्यक्ति के अंदर चालाकी, बेईमानी, कूटनीति आदि में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि कर देती है। ऐसे व्यक्ति कब किस स्थिति में धोखा दे जाएं, इस बात की पहचान करना भी असंभव प्रतीत होता है। ऐसे व्यक्ति चालाकी और बइे र्म ानी में बहतु निपण्ुा हाते ह,ैं इसलिए ये लागे विश्वास याग्े य नहीं माने जाते है इसी तरह, यदि यह छठी अगंलुी अंगष्ुठ के साथ जुड़ी हो तो ऐसे व्यक्ति में विवेक की मात्रा सामान्य से कहीं अधिक होती है। लेकिन कभी-कभी इसी विवेक का दुरुपयोग भी इस छठी अंगुली के कारण ही होता है। अपने हाथ में छठी अंगुली के रूप में अंगुष्ठ के कारण रातां-े रात प्रसिद्ध हुए सिने अभिनेता ऋतिक रोशन को इस बात के उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है कि किस तरह अपने विवेक से ऋतिक रोशन ने सिने जगत में बहु-प्रसिद्ध अभिनेता के रूप में अपना स्थान बनाया है। आजकल उनकी जो भी फिल्में आ रही हैं, उनमें वे अपने हाथ की इस छठी अंगुली को छिपाने का प्रयास नहीं करते हैं वरन् उसे सामान्य रूप से दिखाते हैं। उनकी पहली फिल्म (कहो ना प्यार है) में आप उनकी इस छठी अगं ुली को साफ रूप से देख सकते हैं। कुल मिलाकर इस छठी अंगुली का होना अच्छा नहीं माना जाता है। इसे प्रायः लोग बुरा ही मानते हैं, क्योंकि एक कहावत बहुत ही प्रसिद्ध है ''अति सर्वत्र वर्जयेत्'' अर्थात् अति हर चीज की बुरी होती है।
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हस्तरेखा में सूर्य पर्वत

हस्तरेखा में सूर्य पर्वत

हस्तरेखा में सूर्य पर्वत डॉ. अशोक शर्मा, हथलेी में जो स्थान सबसे अधिक बली होता है वह ग्रह सर्वाधिक बली माना जाता है। अलग-अलग ग्रह के स्वतंत्र प्रभाव तो है ही एक से अधिक ग्रह के पर्वत यदि अच्छा उभार लिए हुए है तो संयुक्त प्रभाव भी पृथक रूप से फलकारी होते हैं। अनामिका अंगुली के मूल में सूर्य का स्थान होता है।

 सूर्य का उभार जितना अधिक होगा, प्रभाव भी उतना ही अधिक प्राप्त होता है। सूर्य पर्वत का उभार अच्छा हो तथा स्पष्ट और सरल सूर्य रखाो हो तो व्यक्ति श्रष्ेठ पशासक, सवो या पुलिसकर्मी, सफल उद्यागे पति हातो है। पर्वत अधिक उभार वाला हो तथा रेखा कटी या टूटी हुई हो तो व्यक्ति घमंडी, अभिमानी, स्वार्थी, क्रूर, कंजूस तथा अविवेकी होता है। यदि हथेली में सूर्य पर्वत शनि की ओर झुका या संयुक्त होता है तो व्यक्ति न्यायाधीश, पंच या सफल अधिवक्ता होता है। दूषित पर्वत की स्थिति में अपराधी, कुखयात अपराधी या बदनाम व्यक्तित्व वाला होता है। सूर्य पर्वत तथा बुध पर्वत के संयुक्त उभार की स्थिति में योग्यता, चतुराई तथा निर्णय शक्ति अधिक होती है। श्रेष्ठवक्ता सफल व्यापारी या उच्च स्थानों का प्रबंधक होता है। 

ऐसे व्यक्तियों की धन पा्रप्ति की महत्वाकाक्षां असीमित होती है। दूषित उभार या अव्यवस्थित रेखाएं धनाभाव की स्थिति बनाती है तथा व्यक्ति जीवन के उत्तरार्ध में अवसाद से पीड़ित हो सकता है। हथेली में सूर्य पर्वत के साथ यदि बृहस्पति का पर्व उन्नत है तो व्यक्ति विद्वान, ज्ञानवान, मेधावी और धार्मिक विचारों वाला होता है और यदि सूर्य तथा शुक्र पर्वत उभार वाले है तो विपरीत लिंग के प्रति शीघ्र व स्थायी प्रभाव डालने वाला, धनवान, परोपकारी, सफल प्रशासक, सौंदर्य और विलासिताप्रिय होता है तथा दूषित पर्वत से कामी, लाभेी, लम्पट तथा घमडंी आरै दश्ुचरित्र वाला हो जाता है।

 सूर्य पर्वत पर जाली हो तो गर्व करने वाला किंतु कुटिल स्वभाव वाला होता है तथा किसी पर भी विश्वास न करने वाला होता है। तारा का चिन्ह हो तो धनहानि कारक किंतु प्रसिद्धि, अप्रत्याशित रूप से प्राप्त होती है। गुणा का चिन्ह हो तो सट्टा या शयेर में धन का नाश हो सकता है।

 सूर्य पर्वत पर त्रिभुज हो तो उच्च पद की प्राप्ति, प्रतिष्ठा तथा प्रशासनिक लाभ होते हैं। सूर्य पर्वत पर बिंदु या वृत्त हो तो निश्चित रूप से सूर्योदय के पहले या बाद का जन्म समय तथा आंखों में विशेष परेशानी होती है। सूर्य पर्वत पर चौकड़ी हो तो सर्वत्र लाभ तथा सफलता की प्राप्ति होती है। त्रिशूलाकार चिन्ह यश, आनंद, विलासिता व सफलता प्रदान करता है।
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आपके हाथों में निवास स्थान

आपके हाथों में निवास स्थान

आपके हाथों में निवास स्थान डॉ. भगवान सहाय श्रीवास्तव अंगूठा छोटा और कम खुलने वाला हो, अंगुलियां टेढ़ी-मेढ़ी हों तो ऐसे व्यक्ति का निवास स्थान गंदी जगह पर होता है। जीवन रखाो और मस्तिष्क रखाो दानोें ही दोषपूर्ण हा,ें अंगुलियां माटेी हों और अंगूठा कम खुलता हो तो इनके घर के पास गंदगी होती है और पड़ोसी भी अच्छे नहीं होते है।

 हाथ पतला, काला, कठोर, ऊबड़- खाबड ़ हो, अगूंठा छाटो आरै अंगुलियां मोटी हों तो ऐसे व्यक्तियों का निवास स्थान गंदी जगह पर होता है, रहने की जगह तंग-गली में होती है और पड़ौसी अच्छे नहीं होते। जीवन रखाो और मस्तिष्क रखाो दानोें ही मोटी हों तो निवास स्थान के पास जानवरों के बाडे ़ के कारण गंदगी हातेी है। यदि जीवन रेखा गोलाकार हो और उसमें त्रिभुज भी हो तथा मस्तिष्क रेखा शाखान्वित हो, हाथ कोमल हो तो मकान सुंदर व बड़े आकार का होता है।

 यदि साधारण मस्तिष्क रेखा मंगल या चंद्रमा पर जाती हो तो ये पैतृक घर में ही निवास करते हैं। यदि मस्तिष्क रेखा शाखान्वित हो तो पहले पैतृक घर में, फिर दूसरे घर में निवास करते हैं। मस्तिष्क रेखा दोनों हाथों में द्विशाखाकार हो तो मकान या संपत्ति की संखया अधिक होती है। यदि मस्तिष्क रेखा अंत में द्विशाखाकार हो, सूर्य और बृहस्पति की अंगुलियां तिरछी हों तो मकान का दरवाजा आबादी की ओर होता है।

 यदि मस्तिष्क रखाो अतं में द्विशाखाकार हो और शनि की अंगुली लंबी हो तो मकान का दरवाजा कम आबादी की ओर होता है। हाथ कठोर और निम्न स्तर का हो, अंगूठा कम खुलता हो तथा मस्तिष्क रखाो दोषपूर्ण हो तो निवास स्थान छाटो तथा गंदी जगह पर होता है। मस्तिष्क रेखा या उसकी शाखा चंद्रमा पर जाती हो तो मकान किसी जलाशय (कुआं, बावडी, तालाब या नहर) के पास होता है।

 जीवन रेखा में त्रिकोण हो और एक से अधिक भाग्य रेखाएं हों तो ऐसे व्यक्ति खुले-स्थान में मकान, बंगला, फ्लैट आदि बनाते हैं। एक से अधिक भाग्य रेखाएं हां,े जीवन रेखा में त्रिकोण हो तथा शनि की अंगुली लंबी हो तो ऐसे व्यक्तियों के मकान में पार्क या बगीचा होता है। एक से अधिक भाग्य रखाोएं हा,े जीवन रेखा में त्रिकोण हो तथा मुखय भाग्य रेखा चंद्रमा के पर्वत से निकली हो तो मकान या बंगले में कोई जलाशय (स्वीमिगं पलू ) या नहाने का हौज हातो है।

 जिस आयु में भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा के किसी त्रिकोण से निकलती हो, उसी आयु में मकान या संपत्ति बनाते हैं या पुरानी संपत्ति में फेरबदल या विस्तार करते हैं। मोटी भाग्य रेखा वालों का मकान किसी पेड़ के नीचे या बड़े मकान की छाया में अथवा गली में होता है। जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा का जोड़ लंबा, जीवन रेखा टूटी हुई और मस्तिष्क रेखा दोषपूर्ण हो तो निवास स्थान के पास वातावरण गंदा होता है।

 यदि मस्तिष्क रेखा या उसकी शाखा चंद्रमा पर जाती हो, भाग्य रेखा भी चंद्रमा से निकलती हां,े तो निवास स्थान समुद ्र या झील या नदी के किनारे हातो है। अंगुलियां छाटेी और पतली हां,े जीवन रेखा गोलाकार हो, मस्तिष्क रेखा अच्छी हो तो ऐसे व्यक्ति मकान बना लेते हैं।

 जीवन रखे ाा जिस आयु तक दाषेपूर्ण रहती है उस आयु तक व्यक्ति को रहने के मकान की कमी खटकती है। जीवन रेखा गोलाकार हो और मस्तिष्क रखाो शाखान्वित हो तो मकान स्वतंत्र खुली जगह में सुंदर और सुविधाओं से युक्त होता है।
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हस्त रेखाएं और ज्योतिष

हस्त रेखाएं और ज्योतिष

हस्त रेखाएं और ज्योतिष हरबू लाल अग्रवाल ज्योतिषीय गणनाएं जटिल हैं और हस्तरेखाएं विधाता द्वारा बनायी गयी प्रत्येक व्यक्ति की जीवन की सरल रूप रेखा है तथापि जो ज्योतिष में है वही हाथ की रेखाओं में भी अंकित है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। क्योंकि समय के साथ आने वाले परिवर्तन हस्तरेखाओं में अंकित होते रहते हैं जिन्हें थोड़े ही अध्ययन से जाना जा सकता है। आइए, जानें कैसा है यह संबंध। हस्त रेखा शास्त्र द्रारत में आदि काल से प्रचलित है। नारद जी इसके बहुत बडे़ विशेषज्ञ थे। रामायण में वर्णन आता है कि राजा शीलनिधि ने अपनी पु़त्री विश्वमोहिनी का हाथ नारद जी को दिखाया। आनि दिखाई नारदहिं द्रूपति राज कुमारि, कहहु नाथ गुन दोष सब एह के हृदय विचारि। जो एहि बरइ अमर सोइ होइ, समर द्रूमि तेहि जीत न कोई। यानी, इसका पति अमर और अजेय होगा। इसी प्रकार हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का हाथ नारद जी को दिखाया, तो उत्तर मिला कि इसके पति वैरागी, द्रिक्षा मांगने वाले, अनिकेतन, सर्पो की माला धारण करने वाले होंगे। ये सब गुण द्रगवान शंकर में हैं। ज्योतिष के नव ग्रह और रेखा शास्त्र के पर्वत, ज्योतिष के घर या द्राव और हस्त की रेखाएं आपस में संबंधित हैं। हथेली में तर्जनी के नीचे बृहस्पति का पर्वत है, मध्यमा के नीचे शनि का पर्वत, अनामिका के नीचे सर्यू का पर्वत, कनिष्ठिका के नीचे बुध का पर्वत तथा अंगूठे से मिला हुआ, हथेली के ऊपरी द्राग में शुक्र का पर्वत है। मंगल के दो पर्वत हैं- ऊपर का तथा नीचे वाला। मंगल (ऊपर वाला) का पर्वत अंगठूे के नीच,े बृहस्पति पर्वत से लगा हअु ा तथा मगं ल (नीचे वाला ) पर्वत बुध पर्वत से लगा हुआ, मंगल (ऊपर वाला) के ठीक सामने हथेली के निचले द्राग में है। ऐसा माना जाता है कि ऊपर वाले में मेष राशि और नीचे वाले में वृश्चिक राशि के स्थान हैं। चंद्रमा का पर्वत हथेली के बायीं तरफ, शुक्र पर्वत की दूसरी ओर, मणिबंध से लगा हुआ है। मंगल (नीचे वाले) के ऊपर की ओर, हृदय रेखा से मिला हुआ, हथेली के बीच में राहु (डै्रगन हेड) है। शुक्र पर्वत के नीचे, हथेली के बीच में, द्राग्य रेखा के उद्गम के पास, केतु (डै्रगन टेल ) होता है। का पर्वत है, मध्यमा के नीचे शनि का पर्वत, अनामिका के नीचे सर्यू का पर्वत, कनिष्ठिका के नीचे बुध का पर्वत तथा अंगूठे से मिला हुआ, हथेली के ऊपरी द्राग में शुक्र का पर्वत है। मंगल के दो पर्वत हैं- ऊपर का तथा नीचे वाला। मंगल (ऊपर वाला) का पर्वत अंगठूे के नीच,े बृहस्पति पर्वत से लगा हअु ा तथा मगं ल (नीचे वाला ) पर्वत बुध पर्वत से लगा हुआ, मंगल (ऊपर वाला) के ठीक सामने हथेली के निचले द्राग में है। ऐसा माना जाता है कि ऊपर वाले में मेष राशि और नीचे वाले में वृश्चिक राशि के स्थान हैं। चंद्रमा का पर्वत हथेली के बायीं तरफ, शुक्र पर्वत की दूसरी ओर, मणिबंध से लगा हुआ है। मंगल (नीचे वाले) के ऊपर की ओर, हृदय रेखा से मिला हुआ, हथेली के बीच में राहु (डै्रगन हेड) है। शुक्र पर्वत के नीचे, हथेली के बीच में, द्राग्य रेखा के उद्गम के पास, केतु (डै्रगन टेल ) होता है। जीवन रेखा बृहस्पति पर्वत के पास से निकल कर शुक्र पर्वत के नीचे से होती हुई, मणिबंध तक जाती है। इसी रखाो के ऊपरी द्राग में मगंल पर्वत (ऊपर वाले) के निचले द्राग में, लंबाई में कम, समानातं र मगंल रखाो हातेी है इन दानोें रेखाओं से अष्टम द्राव, यानी उम्र का पता लगता हैं। यह रेखा सूर्य पर्वत पर होती है तथा ज्यादातर हृदय रेखा तक जाती है। इससे परीक्षाओं में सफलता का बोध होता है; यानी पंचम स्थान का ज्ञान होता है। यह रेखा जीवन रेखा से निकल कर उसके निचले भाग से, मस्तिष्क तथा हृदय रखाोओं को काटती हुई, शनि पर्वत पर, मध्यमा तक जाती है। यही ज्योतिष में नवम द्राव है। यह रेखा बुध पर्वत पर हाते ी है तथा हृदय रेखा तक जाती हैं। इससे कुंडली में प्रथम द्राव को जानना चाहिए। यह रेखा बुध पर्वत पर आरै स्वास्थ्य रखे ाा से आड़ी, हथेली के निचले द्राग में है इससे कुंडली के सप्तम द्राव का पता लगता है। यह शत्रुओं तथा बीमारियों से होने वाली तकलीफों का द्योतक है। यही कुंडली का छठा स्थान है। जीवन रेखा, हृदय रेखा तथा मस्तिष्क रेखाओं के बीच में जो त्रिकोण बनते हैं, उनसे मकानों का पता लगता है। यही कुंडली में चौथा स्थान है। यह जीवन रेखा के अंत में, ऊपरी तरफ, मणिबंध के करीब से निकल कर, मछली की तरह होती है। इससे धन का पता लगता है। यह दूसरा स्थान है। शुक्र पर्वत पर जीवन रेखा के ऊपरी द्रागमे ं जितनी आड़ी रेखाएं हैं, उनसे भाई-बहनो ं का पता लगता है यह कुंडली का तीसरा स्थान है। चंद्र पर्वत के नीचे, हथेली के बायें द्राग में आड़ी रेखाएं ह,ैं जिनसे संतान का पता लगता है।
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अंग लक्षण एवं सामुद्रिक


अंग लक्षण एवं सामुद्रिक

अंग लक्षण एवं सामुद्रिक का परस्पर संबंध रश्मि चौधरी हस्त रेखा शास्त्र, अंग लक्षण विद्या तथा सामुद्रिक क्या ये तीनों एक ही हैं? अंग लक्षण विद्या एवं सामुद्रिक का परस्पर क्या संबंध है? हस्तरेखा विज्ञान को सामुद्रिक क्यों कहते हैं? प्रस्तुत है इन सभी ज्योतिषीय प्रश्नों के उत्तर देता हुआ यह ज्योतिषीय लेख- मनुष्य का हाथ एक ऐसी जन्म पत्रिका है जो कभी भी नष्ट नहीं होती तथा जिसके रचयिता स्वयं ब्रह्माजी हैं।

 इसलिए शास्त्रों में कहा भी गया है- ''कराग्रे वसते लक्ष्मी, कर मध्ये सरस्वती। करमूले स्थितो ब्रह्मा, प्रभाते कर दर्शनम्॥ कर (हाथ) के अग्रभाग में लक्ष्मी, मध्य भाग में सरस्वती तथा मूल में ब्रह्मा जी का वास है अतः प्रातः उठकर सर्वप्रथम अपनी हथेलियों का दर्शन करना चाहिए। हस्तरेखा विज्ञान तथा अंग लक्षण विज्ञान को ही सामुद्रिक भी कहा गया है।

 ऐसा माना जाता है कि समुद्र ऋषि ही एसे सवर्प्रथम भारतीय ऋषि थे जिन्हांने प्रामाणिक एवं क्रमबद्ध रूप से ज्योतिष विज्ञान की रचना की थी अतः उन्हीं के नाम पर हस्त रखाो विज्ञान को सामुिदक्र भी कहा जाता है। हस्तरेखा विज्ञान को सामुद्रिक क्यों कहते हैं अथवा अंग लक्षण विद्या का सामुद्रिक से क्या संबंध है। इससे संबंधित तथ्यों का उल्लेख भी वेदों और पुराणों में मिलता है। 

'अंग लक्षण विद्या' से तात्पर्य एक ऐसी विद्या से है जिसके ज्ञान के द्वारा स्त्री पुरुष के शारीरिक अंगों में विद्यमान उसके शुभाशुभ लक्षणों को देखकर ही उनके व्यक्तित्व, स्वभाव, चरित्र तथा भाग्य का सटीक और सार्थक फलादशे किया जा सके। ऐसी विलक्षण विद्या की रचना सर्व प्रथमगणशे भगवान के अगज्र भगवान कार्तिकेय ने की थी। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान गणेश को 'विघ्नेश', 'विघ्न विनाशक' तथा 'एकदंत' भी कहते हैं।

 उन्होंने किसके लिए विघ्न उत्पन्न किया था, जिसके कारण उन्हें विघ्नशे कहा गया अथवा गणश्े ा जी को एकदंत क्यो कहते हैं? यदि इस प्रश्न की गहराई में जाएं तो भी हम पाएगे कि इसका मलू कारण भी 'समुद्र शास्त्र' ही है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में शिव जी के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय ने अपने 'अंग लक्षण शास्त्र' के अनसु ार पुरुषों एवं स्त्रियों के श्रेष्ठ लक्षणों की रचना की। उसी समय गणेश जी ने उनके इस कार्य में विघ्न उत्पन्न किया। इस पर कार्तिकेय क्रुद्ध हो उठे और उन्हांने गणेश जी का एक दातं उखाड़ लिया और उन्हें मारने के लिए उद्यत हो उठे।

 तब भगवान शकं र ने कार्तिकये को बीच में रोककर पूछा कि उनके क्रोध का कारण क्या है? कार्तिकेय जी ने कहा ''पिताजी, मैं पुरुषों के लक्षण बनाकर स्त्रियों के लक्षण बना रहा था, उसमें गणेश ने विघ्न उत्पन्न किया, जिससे स्त्रियों के लक्षण मैं नही ंबना सका। इस कारण मुझे क्रोध आया।'' यह सुनकर महदेव जी ने उनके क्रोध को शांत किया और मुस्कुराकर उनसे पूछा- ''पुत्र, तुम पुरुष के लक्षण जानते हो, तो बताओ मुझमें पुरुषों के कौन-कौन से लक्षण विद्यमान हैं?'' कार्तिकेय जी ने कहा ''पिता जी, आप म ें पुरुषा ें के ऐस े लक्षण विद्यमान हैं कि आप संसार में 'कपाली' के नाम से प्रसिद्ध होंगे।

 पुत्र के ऐसे वचनों को सुनकर शिवजी क्रोधित हो गये और उन्होंने कार्तिकेय जी के अंग लक्षण शास्त्र का े उठाकर समुद्र में फकें दिया और स्वयं अंर्तध्यान हो गये। कुछ समय पश्चात् जब शिवजी का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने समुद्र को बलु ाकर कहा कि तमु स्त्रियों के आभष्ूाण स्वरूप विलक्षण लक्षणां े की रचना करो और कार्तिकेय ने जो कुछ भी पुरुष लक्षणों के बारे में कहा है उसकी भी विस्तृत विवेचना करो।'' समुद्र ने शिवजी की आज्ञा शिरोधार्य करते हुए कहा ''स्वामिन्, आपने जो आज्ञा मुझे दी है, वह निश्चित ही पूर्ण होगी, किंतु जो मेरे द्वारा स्त्री-पुरुष लक्षण का शास्त्र कहा जाएगा, वह मरे ही नाम 'सामुिदक्र शास्त्र' नाम से प्रसिद्ध होगा।

 कार्तिकेय ने भगवान महेश्वर से कहा ''आपके कहने से यह दातं तो मैं गणशे के हाथ में दे देता हूं किंतु इन्हें इस दांत को सदैव धारण करना होगा। यदि इस दांत को फेंक कर ये इधर-उधर घूमेंगे तो फेंका गया दांत इन्हें भस्म कर देगा''। ऐसा कहकर कार्तिकेय जी ने वह दांत गणेश जी के हाथ में दे दिया। भगवान देवदेवेश्वर श्री शिव जी ने गणेश जी को कार्तिकेय की यह बात मानने के लिए सहमत कर लिया। आज श्री भगवान शंकर एवं गौरा पार्वती के पुत्र विघ्नेश विनायक की प्रतिमा हाथ में अपना दांत लिए देखी जा सकती है तथा किसी भी शुभ अवसर पर हिदं ू धर्म में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा-अर्चना का विधान भी शायद इसीलिए बनाया गया है कि व्यक्ति के किसी भी कार्य में कोई भी विघ्न न उपस्थित हो।

 अतः स्पष्ट है कि अंग लक्षण विद्या से सबंंिधत शास्त्र की रचना में विघ्न उत्पन्न करने के कारण ही गणेश जी को विघ्नेश कहा गया तथा भगवान कार्तिकेय के क्रोध के कारण दण्ड स्वरूप उन्हें एकदंत होना पड़ा। लक्षण शास्त्र से सबंंिधत पुराणाक्ते एक कथा यह भी है कि, भगवान शिव द्वारा क्रोध में आकर कार्तिकेय द्वारा रचित लक्षण ग्रंथ को समुद में फेंक देने के उपरांत व्योमकेश भगवान के सुपुत्र कार्तिकेय जी ने जब अपनी अनुपम शक्ति से क्रौंच पर्वत को विदीर्ण किया तो ब्रह्मा जी ने वर मांगने को कहा। 

कुमार कार्तिकेय ने नतमस्तक होकर उन्हें प्रणाम किया और कहा ''प्रभो। स्त्रियों के विषय में जो लक्षण ग्रंथ मैंने पहले बनाया था उसे तो मेरे पिता महादवे देवश्े वर ने क्रोध में आकर समदु्र मे फकें दिया। वह मुझे अब विस्मृत भी हो गया ह।ै अतः उसको पुनः सनु ने की मेरी बड़ी इच्छा है।

 यदि आप मुझ पर पस्रन्न हैं तो कृपा कर पनु : उन्हीं लक्षणों का वर्णन करें। तब कार्तिकेय जी के आग्रह करने पर ब्रह्मा जी ने स्वयं समुद्र द्वारा कहे गये उन स्त्री-पुरुष लक्षणों को पुनः वर्णित किया। उन्होंने उसी शास्त्र के आधार पर स्त्री-पुरुष के शुभाशुभ उत्तम, मध्यम आरै अधम ये तीन प्रकार के लक्षण बतलाए जिसके अनुसार किसी भी जातक का स्वभाव, व्यवहार तथा भाग्य निर्धारित किया जा सकता है। अतः यह पूर्ण रूपेण प्रामाणिक एवं शास्त्रोक्त भी है, कि हस्तरेखा, अंग लक्षण विद्या एवं सामुद्रिक का परस्पर गहरा एवं अटूट संबंध है। एक अच्छे ज्योतिषी को चाहिए कि वह अंग लक्षण विद्या एवं ज्योतिष का परस्पर समन्वय स्थापित करते हुए शुभ मुहर्तू में मध्याह्न के पूर्व स्त्री-पुरुष के शुभाशुभ लक्षणों एवं हस्त रेखाओं का भली प्रकार अध्ययन करने के उपरांत ही सटीक एवं सार्थक फलादेश करें।
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हस्तरेखा से जानिए किस क्षेत्र में मिलेगी सफलता


हस्तरेखा से जानिए किस क्षेत्र में मिलेगी सफलता

आज जैसे-जैसे वैज्ञानिक विकास हो रहे हैं, वैसे-वैसे समाज में नई-नई सुविधाओं एवं क्षेत्रों का सूत्रपात हो रहा है। इससे कामों का वर्गीकरण इस प्रकार हो रहा कि किसी प्रॉडक्ट का एक हिस्सा कहीं बन रहा है तो दूसरा कहीं और। फिर सबकी असेंबलिंग कहीं और हो रही है! इसी कारण एक ही रोजगार कई-कई शाखाओं में बंट गया है। जैसे जैसे विज्ञान ने तरक्की की है रोजगार की बढ़ती शाखाओं के कारण उसका चयन करना एक कठिन प्रक्रिया होती जा रही है।

हस्त रेखा शास्त्र द्वारा भी रोजगार चयन में सहायता प्राप्त हो जाती है। किन्तु सर्वप्रथम यह जान लेना आवश्यक है कि आप किस क्षेत्र में सफल हो सकते हैं।

यदि अंगुलियों के पहले पोरे सबल एवं लम्बे हैं तो आप में सीखने की ललक अच्छी है। यानी आप उच्चा शिक्षा ग्रहण करने में सफल हो जाएंगे। यदि अगुंलियों के दूसरे पोरे लम्बे और सबल हैं तो आप प्रैक्ट्रिकल फील्ड में चल जाएंगे। अर्थात् आप के अंदर देखकर सीखने की क्षमता है। इसके विपरीत यदि तीसरा पोरा ज्यादा सबल है तो आपका उत्पादन, व्यापार या व्यवसाय के क्षेत्र में जाना ज्यादा उचित होगा।

सर्वप्रथम यह तय कर लेना जरूरी है कि भाग्य किस ग्रह द्वारा संचालित है यानी हाथ में कौनसा पर्वत क्षेत्र ज्यादा प्रभावी है। उसके स्वामी द्वारा ही उसका जीवन ज्यादा प्रभावित रहता है।

उसे संक्षिप्त रूप में हम इस प्रकार जान सकते हैं:

1. बृहस्पति: राजनीति, सेना या सामाजिक संगठनों में उच्च पद, अध्ययन-अध्यापन, सलाहकार, कर/आर्थिक विभाग, कानून एवं धर्म क्षेत्र।

2. शनि: तंत्र, धर्म, जासूसी, रसायन, भौतिकी, गणित, मशीनरी, कृषि, पशुपालन, तेल, अनगढ़ कलाकृतियां इत्यादि।

3. सूर्य: कला, साहित्य, प्रशासन संबंधी।

4. बुध: इनडोर गेम्स, बोलने से जुड़े व्यवसाय, मार्केटिंग, विज्ञान, व्यापार, वकालत, चिकित्सा क्षेत्र, बैंक आदि।

5. मंगल: साहसी कार्य, अन्वेषण खोज, खिलाड़ी, पर्वतरोहण, खतरों से भरे कार्य, सैनिक, पुलिस, जंगल या वन क्षेत्र इत्यादि।

6. चन्द्र: कला, काव्य, जलीय व्यवसाय, तैराक, तरल वस्तुएं।

7. शुक्र: कला, संगीत, चित्रकारी या गंधर्व कलाएं, नाटक इत्यादि, महिला विभाग, कम्प्यूटर, हस्तशिल्प, पयर्टन आदि।
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आपकी हथेली का रंग और आपका भविष्य


आपकी हथेली का रंग और आपका भविष्य

हस्तरेखा विज्ञान में जहां रेखाओं और चिन्हों के साथ हाथ व नाखून के प्रकार महत्वपूर्ण होते हैं वहीं हथेलियों के रंगों की भी भविष्य कथन में बड़ी भूमिका होती है।



ग्रथों में स्पष्ट वर्णन है...


'धनी पाणितले रक्ते नीले मद्यं पिवेन्नरः।
आग्रायागमनः पीते कहमले धनवर्जितः।'

अर्थात् समृद्ध व धनी व्यक्ति की हथेली का रंग 'रक्त वर्ण'यानी लाल होता है। नीले रंग की हथेली वाले मद्य प्रेमी यानी शराबी होते हैं। कहमले यानि मटमैले रंग की हथेली वाले लोग सामान्यतः धनहीन होते हैं।

हस्त संजीवन नामक ग्रंथ में भी लाल रंग की हथेली को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
'करतलैर्देव शार्दूल लक्ष्माभैरीश्वराः स्मृताः।
अगम्यागामीनः पीतैरक्षैनिर्धनता स्मृताः।

अपेयपानं कुर्वन्ति नील कृष्णैस्तभैव च।'
अर्थात् हथेली का रंग लाल होना व्यक्ति के ऐश्वर्यशाली होने का प्रतीक है। चमकीला व चिकना हस्त धनी होने का संकेत है। आभाहीन व शुष्क हस्त दरिद्रता का कारक है। नीला व काला हाथ शराबी तथा पीत हस्त व्यभिचारी होने के लक्षण हैं।

हथेली का रंग व उसके प्रकार
लाल रंगः इस रंग की हथेली वाले लोग जीवन में समस्त ऐश्वर्य को भोगते हैं। इन्हें नाना प्रकार के सुख और आनंद प्राप्त होते हैं। ये लोग प्रचुर धन के स्वामी होते हैं। स्वभाव से ये भावुक और क्रोधी होते हैं। ये लोग वैचारिक रूप से अस्थिर होते हैं।

गहरा गुलाबीः इस तरह की हथेली वाले सामान्यतः धनी होते हैं। ये लोग क्रोधी व तुनक मिजाज भी होते हैं। इनकी बुद्धि स्थिर नहीं होती। ये जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और जल्दी नाराज भी हो जाते हैं। इनके विचार, सोच, पसंद, नापसंद सब कुछ परिवर्तनशील होते हैं। इन्हें मध्य आयु तक हाई ब्लड प्रेशर की समस्या घेर लेती है।

हल्का गुलाबीः ये लोग उत्तम मानवीय गुणों से संपन्न, धनी व ऐश्वर्यशाली होते हैं। इनके अंदर गजब का उत्साह पाया जाता है। धैर्य इनमें कूट-कूट कर भरा होता है। दया, क्षमा और प्रेम इनके स्वभाव का मूल आधार है। ये लोग आशावादी व प्रसन्नचित्त होते हैं। ये लोग कला एवं प्रकृति प्रेमी होते हैं।

पीलाः ये लोग दृढ़ विचारों वाले नहीं होते। मानसिक रूप से परेशान व निराशावादी होते हैं। स्वभाव में मधुरता की कमी होती है। इन्हें पैरों के रोगों से कष्ट प्राप्त होता है। आलस्य के कारण प्रगति नहीं कर पाते। इनके जीवन में संघर्ष होता है।

बैगनी या नीलाः नीले या बैगनी रंग की हथेली वाले निराशावादी होते हैं। इनके जीवन में संघर्ष की अधिकता होती है। ये लोग एकान्त वाली होते हैं। इन्हें रक्त विकार से कष्ट प्राप्त होता है। मद्यपान सहित अन्य व्यसनों की ओर लगाव होने कार्यक्षमता व प्रतिभा नष्ट होने लगती है। ये लोग समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी से दूर रहते हैं। स्वभाव से ये लोग रूखे व चिड़चिड़े होते हैं।

मटमैला रंगः काले, भूरे या मटमैले रंग की हथेली वाले लोग कर्मठ नहीं होते। ये लोग बेहद रहस्यवादी होते हैं। बातचीत में असत्य तथ्यों का सहारा लेते हैं। पुरुषार्थ की कमी होती है। इनका व्यक्तित्व निस्तेज होता है। स्वास्थ्य की समस्याओं से घिरे रहते हैं ये लोग। इनके चेहरे पर उदासी का भआव होता है। धन की कमी बनी रहती है। इन्हें रक्त व कफ संबंधी समस्याएं प्राप्त होती हैं।

निस्तेज सफेदः सफेद हथेली के लोग उत्साहहीन व एकांत प्रिय होते हैं। मानसिक शक्ति की कमी होती है। ये लोग बहुत कर्मठ नहीं होते।

चमकदार सफेदः चमत्कारी श्वेत हथेली वाले लोग अलौकिक शक्तियों के स्वामी होते हैं। इन्हें पराशक्ति का ज्ञान होता है। विचारों से ये बेहद संतुलित होते हैं। इनकी विचारधारा आध्यात्मिक होती है। ये लोग शांति के दूत होते हैं। ये लोग स्वस्थ रहते हैं।

हथेली के रंगों का परीक्षण करने से पहले हाथ का स्पर्श नहीं करना चाहिए अन्यथा हाथ के घर्षण से, स्पर्श से, व्यायाम से, कठिन श्रम से हथेली का रंग क्षणिक रूप से बदल जाता है। इससे भविष्य कथन में व्यवधान उत्पन्न होता है या भविष्यकथन प्रभावित हो सकता है। अतः जब व्यक्ति स्वस्थ हो, आराम से बैठा हो, तनाव में न हो तभी रंगों का परीक्षण सत्य भविष्य का संकेत दे सकेगा।
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कलाई की रेखाओं से जानें आयु


कलाई की रेखाओं से जानें आयु



मणिबंध रेखाएं हर किसी की कलाई पर मौजूद होती हैं। जानते हैं? हस्तरेखा विज्ञान कलाई पर मौजूद इन्हीं मणिबंध रेखाओं से उस व्यक्ति की उम्र के बारे में भी बता देता है। हर किसी के हाथ में इन रेखाओं की स्थिति अलग-अलग होती है। आइए जानें, कैसे ये मणिबंध रेखाएं निर्धारित करती हैं हमारा जीवन...

जिनकी कलाई पर इन रेखाओं की संख्या चार होती हैं, कहते हैं वैसे लोग शतायु होते हैं। उन्हें मौत से डरने की जरूरत नहीं होती।

जिनकी कलाई पर तीन मणिबंध रेखाएं होती हैं, वे तकरीबन 70-75 साल की आयु जी लेते हैं।

यही रेखाएं यदि कलाई पर सिर्फ दो नजर आती हों तो ऐसे लोग केवल 50-55 साल जीते हैं।

जिनकी कलाई पर मणिबंध रेखा केवल एक लाइन में नजर आती हो कहते हैं उन्हें मौत से काफी खतरा होता है।

कई लोगों की कलाई पर रेखाएं कटी-फटी सी नजर आती हैं, जो यह बताती हैं कि उनकी जिंदगी में बाधाओं का अंबार सा लगा रहेगा।

जिनकी कलाई पर दो रेखाएं आपस में मिल जाएं, कहा जाता है कि उनके भाग्य पर दुर्भाग्य की काली साया मंडराती रहती है। ऐक्सिडेंट वगैरह से शरीर के किसी भी अंग का नुकसान हो सकता है।

मणिबंध रेखाएं जितना साफ-सुथरी और गहरी हो उतना ही ब्राइट होता है उनका भविष्य।

मणिबंध रेखाएं कलाई से निकलकर ऊपर उठती दिखे तो समझ लीजिए उस व्यक्ति की कोई भी इच्छा पूरी होने में कभी देर नहीं लगेगी।
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हाथ की उंगलियां और आपकी पर्सनैलिटी


हाथ की उंगलियां और आपकी पर्सनैलिटी

हाथ की उंगलियां एवं हथेली में स्थित विभिन्न ग्रहों के पर्वत व्यक्ति के विचारों एवं भावनाओं को दर्शाते हैं। मनुष्य के विचार एवं भावनाएं सत्व, राजस एवं तमस गुणों का मिश्रण होते हैं। सत्व गुण की मुख्य विशेषता ज्ञान एवं सहनशीलता है। अन्य विशेषताएं करुणा, विश्वास, प्रेम, आत्म-नियंत्रण, समझ, शुद्धता धैर्य, और स्मृति हैं। राजस की मुख्य विशेषता गतिविधि एवं प्रवृत्ति है। अन्य विशेषताएं महत्वाकांक्षा, गतिशीलता, बेचैनी, जल्दबाजी, क्रोध, ईर्ष्या, लालच, और जुनून है। तमोगुण की मुख्य विशेषता है जड़ता या मूढ़ता। अन्य विशेषताएं सोच या व्यवहार, लापरवाही, आलस, भुलक्कड़पन, हिंसा और आपराधिक विचार हैं।

मनुष्य के विचारों में किस गुण की प्रधानता है इसका निर्धारण उस मनुष्य की हाथ के हथेलियों मे स्थित विभिन्न ग्रहों के पर्वत एवं उंगलियों को देखकर किया जा सकता है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार हाथ की हथेली को मुख्यतः तीन भागों मे विभाजित किया जाता है। ये तीन भाग सत्व, राजस एवं तमस गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हथेली के अग्र भाग मे स्थित गुरु, शनि, सूर्य एवं बुध के पर्वत जो कि क्रमशः तर्जनी, मध्यमा, अनामिका एवं कनीष्टिका उंगलियों के ठीक नीचे स्थित होते हैं। मनुष्य के सात्विक गुणों को दर्शाते है। मंगल का उच्च पर्वत एवं मंगल का निम्न पर्वत जो हथेली के मध्य भाग में स्थित होते हैं राजसिक तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। शुक्र एवं चंद्रमा के पर्वत हथेली के निचले भाग मे स्थित होते हैं। ये मनुष्य के तामसिक गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिस ग्रह का पर्वत जितना उभरा हुआ होगा व्यक्ति में उस ग्रह से संबन्धित गुण उतने ही अधिक होंगे।



हाथ की उंगलियों में सत्व, राजस एवं तमस गुण क्रमश उंगली के ऊर्ध्व, मध्य एवं निम्न भाग दर्शाते हैं। उंगलियों के ये भाग अंग्रेजी में फैलैंगक्स के नाम से जाने जाते हैं। व्यक्ति थ की हथेलियों एवं उंगलियां को देखकर उसके व्यक्तित्व, आचार, विचार एवं व्यवहार के बारे में बहुत कुछ पता लगाया जा सकता है।


उंगलियों का निचला भाग जो कि हथेली से जुड़ा हुआ होता है व्यक्ति की महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है। यह भाग व्यक्ति के भौतिक, आर्थिक स्तर, उसके खान-पान, रहन-सहन, सामाजिक स्तर आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं। उंगली के इस भाग से शरीर एवं बुद्धि के सामंजस्य का अध्ययन किया जाता है। उंगलियों का मध्य भाग व्यक्ति की व्यावहारिकता एवं उसके आस-पास के वातावरण से उसके सामंजस्य का आभास होता है। उंगली के इस भाग से व्यक्ति के कार्य क्षेत्र एवं व्यवसाय के बारे में भी जानकारी मिलती है। उंगलियों के ऊर्ध्व भाग से व्यक्ति की नियमबद्धता, दूरदर्शिता, कार्यकुशलता, सदाचरण एवं नैतिक मूल्यों का पता चलता है।

जिन व्यक्तियों की उंगलियों के तीनों भाग बराबर होते हैं उनका व्यक्तित्व आमतौर पर संतुलित होता है। जब एक व्यक्ति की उंगलियों के ऊर्ध्व एवं मध्य भाग बराबर होते हैं तब उस व्यक्ति की संकल्प शक्ति एवं निर्णय लेने की क्षमता मे सामंजस्य होता है। यदि ऊर्ध्व भाग अन्य दो भागों से बड़ा होता है तो संकल्प शक्ति की कमी का कारण व्यक्ति अपनी इच्छाओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति में कमी पाता है। संकल्प शक्ति की कमी के कारण सही निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होती है एवं व्यक्ति अपनी इच्छाओं तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सही निर्णय नहीं ले पाता है।

यदि उंगलियों का मध्य भाग अन्य दो भागों से अधिक लंबा है तो व्यक्ति की तार्किक क्षमता एवं बौद्धिक क्षमता प्रबल होती है। परंतु उसकी संकल्प शक्ति एवं कार्य के प्रति एकाग्रता मे कमी कारण सफलता मिलने मे देरी हो सकती है। ऐसे व्यक्ति दूसरों की सफलता देखकर ईर्ष्या की भावना से भी ग्रस्त हो सकते हैं। क्योंकि बुद्दिमत्ता में अन्य व्यक्तियों से कम न होने पर भी वे उनके जीतने सफल नहीं होते हैं। परंतु इसका प्रमुख कारण यह है कि उनकी संकल्प शक्ति एवं इच्छा शक्ति मे कमी है और इसे केवल मेहनत एवं कठिन परिश्रम से ही जीता जा सकता है।

यदि उंगलियों का निम्न भाग अन्य दो भागों से अधिक लंबा होता है तो आप विवेक पूर्ण एवं परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेने में समर्थ हैं। ऐसे व्यक्ति भावुक प्रकृति के होते हैं। वे अपना समय, पैसा एवं सलाह जरूरतमंदों के लिए खर्च करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। इसके लिए यदि उन्हे आलोचना भी सहनी पड़े तो वे उसके लिए तैयार रहते हैं।

हाथ की उंगलियों की स्थिति जिस व्यक्ति की पूर्ण रूप से व्यस्थित होती है वे व्यक्ति जीवन में बहुत सफल होते हैं। लंबी एवं पतली उंगलियों वाले व्यक्ति भावुक होते हैं जबकि मोटी उंगलियों वाले व्यक्ति मेहनती होते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां कोण के आकार की होती हैं वे अत्यधिक संवदेनशील होते हैं तथा अपनी वेषभूषा एवं सौन्दर्य का विशेष ध्यान रखते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां ऊपर से नुकीली होती हैं वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के होते हैं तथा इनकी कल्पना शक्ति अद्भुत होती है। स्वभाव से ये नम्र होते हैं।

जिन व्यक्तियों की उंगलिया ऊपर से चौकोर होती हैं वे व्यावहारिक,तर्कसंगत एवं नम्र होते हैं। ये परम्पराओं एवं रूढ़िवादिता में विश्वास रखते हैं। जिनकी उंगलियां स्पैचुल के आकार की होती हैं वे व्यक्ति साहसी, यथार्थवादी एवं घूमने के शौकीन होते हैं। ये कार्य करने के शौकीन होते है एवं अनेक विषयों के ज्ञाता होते हैं। इस तरह के व्यक्ति वैज्ञानिक, इंजिनियर या कार्य कुशल तकनीशियन होते हैं।

जिन व्यक्तियों की उंगलियां सीधी होती हैं वे व्यक्ति ईमानदार, शालीन एवं न्यायसंगत होते हैं। जीवन में अच्छी तरक्की करते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां गांठदार होती हैं वे बहुत व्यावहारिक एवं अच्छे नियोजक होते है। वे स्पष्टवक्ता होते है। लंबी उंगलियों वाले व्यक्ति शिक्षा में रुचि रखते हैं एवं अच्छे विश्लेषक होते हैं।

जिस हाथ में उंगलियों की स्थिति अव्यवस्थित होती है विशेष तौर पर जब कनिस्ठिका उंगली जो कि बुध की उंगली के नाम से जानी जाती है बहुत छोटी होती है तब व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी पाई जाती है।
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हथेली बताएगी कि आप किस करियर को चुनेंगे


हथेली बताएगी कि आप किस करियर को चुनेंगे

अपनी हथेली को समझिए। इस पर लिखा है कि आप किस करियर में जा सकते हैं। अगर आप अपनी रेखाओं को ध्यान से देखें तो जान सकते हैं कि भाग्य ने आपके लिए किस तरह का करियर चुना है...

1. प्रशासनिक सेवाएं: निष्कंलक अर्थात् शुद्घ भाग्य रेखा अनामिका की तुलना में लम्बी तर्जनी, कनिष्ठा, अनामिका के पहले पोरे को पारकर जाए। शाखायुक्त मस्तिष्क रेखा, अच्छा मजबूत दोषयुक्त सूर्य क्षेत्र तथा श्रेष्ठ अन्य रेखाएं जातक को प्रशासन संबंधी कार्यों की ओर ले जाने का संकेत करती हैं।

2.  वकालत: अपने उदय के समय मस्तिष्क रेखा एवं जीवन रेखा थोड़ा गैप लेकर चले तथा मस्तिष्क रेखा के अंत में कोई फोर्क (द्विशाखा) हो, कनिष्ठा का पहला पोरा लम्बा एवं मजबूत हो तथा अच्छा बुध, तीन खड़ी लाइन युक्त हो तथा मजबूत अंगूठे का दूसरा पोरा सबल हो तो यह न्याय के क्षेत्र में ले जाने का संकेत है।


3. मशीनरी: मजबूत शनि, लम्बी गहरी मस्तिष्क रेखा, लम्बी एवं गांठदार अंगुलियां जातक का रूझान मशीनरी क्षेत्र में करती हैं।



4. कृषि: लम्बी शनि अंगुली, सबल एवं लम्बा दूसरा पोरा तथा सख्त हाथ कृषि की तरफ रूझान देता है।

5. अभिनेता: लम्बी एवं शाखा युक्त मस्तिष्क रेखा जिसकी एक शाखा बुध पर जाए, विकसित बुध तथा शुक्र तथा सूर्य एवं अच्छा चन्द्र एवं लम्बी कनिष्ठा अंगुली ऐक्टिंग के लिए उपयुक्त है।

6. गायक: अंगुलियों की तुलना में लम्बी हथेली, कोणाकार अंगुलियां, मस्तिष्क एवं जीवन रेखा में प्रारम्भ से ही गैप तथा शाखा युक्त मस्तिष्क रेखा एवं शुक्र व चन्द्र अच्छे हों।

7. अकाउटेंट: अच्छा बुध, सूर्य एवं अच्छी भाग्यरेखा तथा मजबूत अंगूठा एवं अंगुलियों की सबल विकसित दूसरी संधि गांठ हो।

8. पाकशास्त्री: लम्बी कनिष्ठा, उठा हुआ शुक्र तथा तर्जनी का विकसित एवं मोटा तीसरा पोरा होना चाहिए।

9. डांसर: लचीला अंगूठा, लचीली एवं हथेली की तुलना में लम्बी अंगुलियां।

10. इंजीनियर: लम्बा अंगूठा, तर्जनी का लम्बा दूसरा पोरा वर्गाकार हथेली, अच्छी संधि गांठें, अंगुलियों की वर्गाकार नोक, विकसित शनि एवं लम्बी मध्यमा तथा मस्तिष्क रेखा एवं अच्छा बुध इंजीनियर के लिए उपयुक्त हैं।

11. वैज्ञानिक: अच्छी एवं सफेद धब्बे युक्त मस्तिष्क रेखा तथा अच्छे बुध पर त्रिकोण का चिह्न इस क्षेत्र में लेजाने के लिए उचित है।

12. चिकित्सकः अच्छे बुध पर तीन-चार खड़ी लाइनें, लम्बी एवं गांठदार अंगुलियां तथा वर्गाकार हथेली तथा अच्छी आभास रेखा चिकित्सा क्षेत्र के लिए उपयुक्त है।

13. सैन्य सेवाएं: लम्बा एवं सख्त मजबूत अंगूठा, उन्नत शुक्र एवं मंगल अच्छी सूर्य एवं भाग्य रेखा तथा वर्गाकार या चमसाकार अंगुलियां सैन्य सेवा के लिए अच्छी हैं। इसके साथ यदि मंगल अति विकसित एवं सख्त है तो थल सेना के लिए उपयुक्त है। यदि उक्त के साथ विकसित बृहस्पति एवं मजबूत एवं थोड़ा सा अन्तराल लिए मस्तिष्क एवं जीवन रेखा का उदय हो तो हवाई सेना के लिए संकेत हैं।
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Friday 22 April 2016

उंगलियां देखकर चुनें जीवन संगिनी


उंगलियां देखकर चुनें जीवन संगिनी



अक्सर मर्द अपने लिए जीवनसाथी की तलाश करते वक्त रंग-रूप और हाइट में उलझकर रह जाते हैं। जीवनसाथी की तलाश कर रहे हैं, तो उनकी उंगलियों पर भी एक नज़र जरूर डाल लें। क्योंकि यही उंगलियां आपकी जीवन संगिनी के साथ आपके भविष्य के बारे में बताएंगी। आइए जानें, इन उंगलियों में कैसे छिपा है आपकी खुशहाली का राज-
---यदि महिलाओं की उंगलियां गोल और लंबी हों तो ऐसी महिलाएं अपने और अपने पति के लिए भी बेहद सौभाग्यशाली मानी जाती हैं।

-----चिकनी, सीधी और गांठ रहित उंगलियों का मतलब है कि ऐसी महिलाएं वैवाहिक जीवन के लिए अति उत्तम हैं।
------उंगली के आगे का हिस्सा पतला हो और सभी पोर एक समान हो तो इसे भी वैवाहिक सुख-शांति की नजर से बेहतर माना गया है।
-----जिन महिलाओं की उंगलियां छोटी होती हैं, वे जरूरत से ज्यादा खर्चीली होती हैं। दोनों हाथों की उंगलियों को जोड़ने पर
उनके बीच यदि खाली जगह दिख रहे हैं तो इसका मतलब भी उनका खर्चीला होना ही है। ऐसी महिलाओं का भविष्य काफी कठिनाइयों से भरा होता है।

------महिलाओं की उंगलियों में तीन पर्व का होना भाग्यशाली होता है। लेकिन इसकी जगह यदि किसी की उंगलियों में चार पर्व यानी पोर हों और उंगलियां छोटी-छोटी हों, जिसपर मांस न हो तो वे महिलाएं पति के लिए और खुद के लिए भी भाग्यशाली नहीं होतीं।

-------स्कंद पुराण में यह चर्चा की गई है कि यदि किसी महिला की हथेली के पीछे बाल हों तो संभल जाइए, क्योंकि ऐसी महिलाओं को अपने वैवाहिक जीवन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसी महिलाओं से शादी करने का मतलब है कि आप हमेशा तनावपूर्ण स्थिति के बीच रहेंगे।
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kaise samjhe hath ka ishaara


कैसे समझें हाथ का इशारा

अगर आपकी हथेली गुलाबी और चित्तीदार है तो हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार आपका स्वास्थ्य सामान्य है और आप आशावादी और खुशमिज़ाज व्यक्ति हैं।
अगर आपकी हथेली का रंग धीरे-धीरे हल्का लाल होता जा रहा है तो यह इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में आप ब्लडप्रैशर की समस्या से परेशान हो सकते हैं।

लाल रंग की हथेली आपके स्वभाव के बारें में भी बताती है कि आप अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं एवं छोटी छोटी बातों पर आवेश में आ जाते हैं।

अगर हथेली का रंग धीरे-धीरे पीला होता जा रहा है तो आपकी हथेली का रंग कहता है कि आप आपके शरीर में रक्त की कमी होने के रोग हो सकते हैं। संभव है कि आप एनिमिया के शिकार हो सकते हैं। हथेली का रंग पीला है तो यह संकेत है कि आप रोगग्रस्त हैं। आपके शरीर में पित्तदोष है। हाथ का रंग आपके स्वभाव के बारे में बताता है कि आप स्वार्थी हैं साथ ही आपका स्वभाव चिड़चिड़ा है।

हथेली का रंग नीला पडऩे लग गया है तो आप यह समझ सकते हैं कि आपके शरीर में रक्त संचार की गति धीमी है और हो सकता है कि आपके अंदर आलस्य की भावना हो।

हथेली का रंग गुलाबी है तो स्वास्थ एवं स्वभाव दोनों ही दृष्टि से आप बहुत अच्छे हैं। हथेली का ऐसा रंग अत्यंत उत्तम है।

हथेली अगर काफी लाल दिखाई देती है तो आपका स्वभाव बहुत ही उग्र हो सकता है आप क्रोध में सीमा से बाहर जा सकते हैं अर्थात मार पीट भी कर सकते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से इस प्रकार की हथेली होने पर आप मिर्गि रोग से पीडि़त हो सकते हैं।
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jaaaniye apne hatho me bhavisya dekhne ka khash tarika


जानिए अपने हाथों में भविष्य देखने का खास तरीका

ज्योतिष शास्त्र में कई ऐसी विद्याएं बताई गई हैं जिनसे किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान को देखा जा सकता है। 

इन्हीं विद्याओं में से एक है हस्तरेखा। हाथों की रेखाओं में हमारा भविष्य छुपा होता है और हथेली का अध्ययन करने पर किसी भी व्यक्ति के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

हस्तरेखा के अनुसार हाथों का परीक्षण सावधानी से करना चाहिए। सभी रेखाओं का अपना अलग महत्व है और वे अन्य रेखाओं के शुभ-अशुभ प्रभाव को कम या ज्यादा करने में सक्षम होती है।


 इसी वजह से इन रेखाओं को देखने के लिए मैग्नीफाइन ग्लास का प्रयोग करना चाहिए। हस्तरेखा से भविष्य देखने के लिए सबसे पहले अंगुलियों, अंगूठे और हथेली की बनावट देखनी चाहिए। फिर बायां हाथ देखें, इसके बाद दायां हाथ। अब दोनों हाथों की रेखाओं और बनावट में अंतर समझें। 

अब हाथों की हर भाग हथेली, करपृष्ठ, नाखुन, त्वचा, रंग, अंगुलियां, अंगूठा तथा कलाई आदि का परीक्षण करें। अंगूठा देखें इसके बाद हथेली की कठोरता या मृदुता देखें। फिर अंगुलियों पर ध्यान दें और सभी ग्रह क्षेत्रों का अध्ययन करें।

 इसके बाद सभी रेखाओं को एक-एक करके ध्यानपूर्वक देखें और अध्ययन करें। हाथों का अध्ययन जितनी गहराई और ध्यान से किया जाएगा, भविष्यफल उतना ही सटीक बैठेगा।
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विवाह रेखा बताती है विवाह और प्रेम प्रसंग


विवाह रेखा बताती है विवाह और प्रेम प्रसंग



हमारी जैसी सोच रहती है उसी के अनुरूप हाथों की रेखाओं बदलाव होते रहते हैं। सामान्यत: प्रतिदिन हमारे हाथों की छोटी-छोटी रेखाएं बदलती हैं परंतु कुछ खास रेखाओं में बड़े परिवर्तन नहीं होते हैं।

इन महत्वपूर्ण रेखाओं में जीवन रेखा, भाग्य रेखा, हृदय रेखा, मणिबंध, सूर्य रेखा और विवाह रेखा शामिल हैं।

हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार विवाह रेखा से किसी व्यक्ति भी व्यक्ति के विवाह और प्रेम प्रसंग पर विचार किया जाता है।

कहां होती है विवाह रेखा

विवाह रेखा लिटिल फिंगर (सबसे छोटी अंगुली) के नीचे वाले भाग में होती हैं। इस क्षेत्र को बुध पर्वत कहते हैं। बुध पर्वत के अंत में कुछ आड़ी गहरी रेखाएं होती हैं। यह विवाह रेखाएं कहलाती है।

यह रेखाएं संख्या में जितनी होती हैं उस व्यक्ति के उतने ही प्रेम प्रसंग होते हैं। यदि यह रेखा टूटी हो या कटी हुई हो विवाह विच्छेद की संभावना होती है। साथ ही यह रेखा आपका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा यह भी बताती है। यदि रेखाएं नीचे की ओर गई हुई हों तो दांम्पत्य जीवन में आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

यदि विवाह रेखा के आरंभ में दो शाखाएं हो तो उस व्यक्ति की शादी टूटने का भय रहता है।

यदि किसी स्त्री के हाथ में विवाह रेखा के आरंभ में द्वीप चिन्ह हो तो उसका विवाह किसी धोखे से होगा।

यदि बुध पर्वत से आई हुई कोई रेखा विवाह रेखा को काट दे तो उस व्यक्ति का वैवाहिक जीवन परेशानियों भरा होता है।

यदि विवाह रेखा रिंग फिंगर (अनामिका) के नीचे सूर्य रेखा तक गई हो तो उस व्यक्ति का विवाह किसी विशिष्ट व्यक्ति से होता है।

विवाह रेखा देखते समय शुक्र पर्वत (अंगूठे के नीचे वाला भाग शुक्र पर्व कहलाता है। इसका क्षेत्र जीवन रेखा तक होता है।) पर भी विचार किया जाना चाहिए।


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हथेली की विवाह रेखा बता सकती है कितने चक्कर हैं आपके


हथेली की विवाह रेखा बता सकती है कितने चक्कर हैं आपके

प्रेम, प्यार, इश्क, मोहब्बत ये शब्द ऐसे हैं जिनका जिक्र अक्सर होता है। पुराने समय से ही प्रेम की कई सच्ची कथाएं प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि जीवन सच्चा प्यार केवल एक ही बार होता है लेकिन कुछ लोगों के जीवन में यह बात लागू नहीं होती। कई लोगों जीवन में कई बार प्रेम के नशे में डूबते हैं। हस्तज्योतिष के अनुसार ऐसे लोगों के हाथों में कई विवाह रेखाएं रहती हैं।

हस्तरेखाएं भी ज्योतिष शास्त्र में काफी महत्व रखती हैं। हाथों की रेखाओं को व्यक्ति का दर्पण कहा जा सकता है। जो बात आप अपनी आंखों से, चेहरे के हाव-भाव से छुपा जाते हैं वे हाथों की लकीरें बता देती हैं। अधिकांश लोग अपने प्रेम प्रसंग सभी से छुपाते हैं परंतु यदि कोई जानना चाहे तो उसके हाथों में विवाह रेखा को देखकर सब कुछ जान सकता है।

सबसे छोटी अंगुलीके नीचे बुध पर्वत के प्रारंभिक भाग में होती है। यह रेखाएं आड़ी होती हैं। यदि ये रेखाएं एक से अधिक हैं तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि उस व्यक्ति के उतने प्रेम प्रसंग हो सकते हैं। यदि यह रेखा टूटी हो या कटी हुई हो विवाह विच्छेद की संभावना होती है।


 साथ ही यह रेखा आपका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा यह भी बताती है। यदि रेखाएं नीचे की ओर गई हुई हों तो दांम्पत्य जीवन में आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

ध्यान रहें हस्तज्योतिष में दोनों हाथों का पूरा अध्ययन करने के बाद भी सटीक भविष्यवाणी की जाती है क्योंकि कई छोटी-छोटी रेखाएं भी बड़ी रेखाओं के प्रभाव को कम या ज्यादा कर सकती हैं।
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हथेली में ऐसी रेखाओं से भाग्य बदल जाता है दुर्भाग्य में


हथेली में ऐसी रेखाओं से भाग्य बदल जाता है दुर्भाग्य में

ऐसा माना जाता है कि कर्मों से ही भाग्य बनता है लेकिन कई बार अच्छे कर्मों के बाद भी नाकामी का मुंह देखना पड़ता है। इससे स्पष्ट है कि कभी-कभी हमारा भाग्य भी काम करता है। भाग्य का साथ हो तो व्यक्ति कम समय में, कम मेहनत के बावजूद बड़ी सफलता प्राप्त कर सर्वोच्च शिखर पर भी पहुंच जाता है।

हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार हमारे हाथों की लकीरों में भाग्य और दुर्भाग्य से जुड़ी कई रेखाएं रहती हैं। जिन्हें समझने पर हम भविष्य में होने वाली हानि से बचाव के रास्ते खोज सकते हैं। जिससे उस हानि का हम पर अधिक प्रभाव न पड़े। हथेली में भाग्य रेखा हमारे भाग्य को दर्शाती है।

भाग्य रेखा जीवन रेखा के पास से ही प्रारंभ होती है और वह शनि पर्वत यानि मीडिल फिंगर के नीचे वाले स्थान की ओर जाती है। कुछ लोगों के हाथों में हथेली के अंत में मणिबंध से ही भाग्य रेखा प्रारंभ हो जाती है। यह रेखा जितनी स्पष्ट और दोषमुक्त होगी व्यक्ति का भाग्य उतना ही अच्छा होगा। यदि भाग्य रेखा कहीं-कहीं से कटी हुई या टूटी हुई हो तो वह दुर्भाग्य को प्रदर्शित करती है।

यदि भाग्य को रेखा को अन्य रेखाएं काट रहीं हैं तो जहां-जहां ये रेखा काटती हैं उस आयु में व्यक्ति को हानि हो सकती है। ऐसे सबकुछ अच्छा होने के बाद भी अंत में असफलता का मुंह देखना पड़ता है। इससे बचने के लिए उस आयु अवधि में सभी कार्यों के संबंध में पूरी सावधानी रखनी चाहिए। हस्तरेखा शास्त्र में सभी रेखाओं का गहरा महत्व बताया गया है।


 अत: किसी एक रेखा के अध्ययन से सटीक भविष्यवाणी कर पाना असंभव सा ही है। दोनों हाथों की सभी रेखाओं का सही-सही अध्ययन ही सटीक भविष्य को दर्शा सकता है।
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ऐसी भाग्य रेखा पहुंचा देती है सफलता के शिखर पर


ऐसी भाग्य रेखा पहुंचा देती है सफलता के शिखर पर

शास्त्रों के अनुसार संसार में जो भी आया है उसका भाग्य जरूर होता है। भाग्य रेखा की बनावट पर निर्भर करता है कि व्यक्ति भाग्यशाली है या दुर्भाग्यशाली। हथेली में मध्यमा उंगली के नीचे शनि पर्वत होता है इसे ही भाग्यस्थान माना जाता है। हथेली में कहीं से भी चलकर जो रेखा इस स्थान तक पहुंचती है उसे भाग्य रेखा कहते हैं।

जिनकी हथेली में कलाई के पास से कोई रेखा सीधी चलकर शनि पर्वत पर पहुंचती है वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। ऐसा व्यक्ति बहुत ही अधिक महत्वाकांक्षी और लक्ष्य पर केन्द्रित रहने वाला होता है। शनि पर्वत पर पहुंचकर रेखा अगर बंट जाए और गुरू पर्वत यानी तर्जनी उंगली के नीचे पहुंच जाए तो व्यक्ति दानी एवं परोपकारी होता है। यह उच्च पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।

लेकिन शर्त यह है कि इस रेखा को कोई अन्य रेखा काटती नहीं हो। जिस स्थान पर भाग्य रेखा कटी होती है जीवन के उस पड़ाव में व्यक्ति को संघर्ष और कष्ट का सामना करना पड़ता है। भाग्य रेखा लंबी होकर मध्यामा के किसी पोर तक पहुंच जाए तो परीश्रम करने के बावजूद सफलता उससे कोसों दूर रहती है।
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अन्य छोटी बड़ी लकीरों के साथ मुख्यतः सात मुख्य लकीरे हथेली में पाई जाती हैं।

अन्य छोटी बड़ी लकीरों के साथ मुख्यतः सात मुख्य लकीरे हथेली में पाई जाती हैं।

जीवनरेखा – व्यक्ति की आयु, स्वास्थ्य, बीमारी इस रेखासे जाना जाता है।
मस्तिष्क रेखा – व्यक्ति की बौद्धिकता का अध्ययन इससे किया जाता है।
हृदयरेखा – भावनात्मक पक्ष इससे देखा जाता है।
भाग्यरेखा – व्यक्ति के भाग्य, लाभ, हानि के बारे में इस रेखा से जाना जाता है।
सूर्यरेखा – सफलता, पद, प्रतिष्ठा के बारे में इस रेखा से जाना जाता है।
स्वास्थ्यरेखा – इससे स्वास्थ्य एवं व्यापार दोनों के बारे में जाना जाता है।
विवाहरेखा- वैवाहिक जीवन के बारे में इस रेखा से जाना जाता है।
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प्रत्येक हथेली में नौ क्षेत्र महत्वपूर्ण है

प्रत्येक हथेली में नौ क्षेत्र महत्वपूर्ण है

बृहस्पति का पर्वत – आध्यात्मिकता
शनि का पर्वत – गंभीरता
सूर्य का पर्वत – प्रतिष्ठा
बुध का पर्वत – वाणिज्य
मंगल ग्रह उंचा पर्वत – जीवन शक्ति
चंद्रमा का पर्वत – कल्पना
शुक्र का पर्वत – प्रेम
मंगल ग्रह निम्न पर्वत – क्रोध
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त्वचा का रंग


त्वचा का रंग

बहुत पीला – रक्ताल्पता
पीला – रुग्ण स्वभाव
गुलाबी – हंसमुख स्वभाव
लाल – रक्त की अधिकता
बहुत लाल – हिंसक
अतिरिक्त चिकनी त्वचा – गठिया
शुष्क त्वचा – बुखार
नरम त्वचा – कमजोर जिगर
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