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Tuesday, 19 April 2016

hast Rekha ka itihaash (history of Hastrekha).


हस्त रेखा का इतिहास (History of Hastrekha)

हस्तरेखा विज्ञान ग्रीस में 348 से 322 ईसा पूर्व के मध्य में अस्तित्व में आया. अरस्तू को 384-322 ईसा पूर्व में के बीच ग्रीस देवता हर्मीस से ग्रंथ प्राप्त हुआ जिसे उन्होंने सिकंदर महान को भेंट स्वरूप प्रदान किया. इस महान शासक ने इस कला में एक गहरी रुचि दिखाई और अपने अधिकारियों के हाथों की रेखाओं का विश्लेषण किया. हिप्पोक्रेट्स ने अपने रोगियों के रोगों के निदान के लिए हस्तरेखा शास्त्र का इस्तेमाल किया. यह कला भारत, तिब्बत, चीन, फारस, मिस्र और ग्रीस से यूरोप के अन्य देशों में फैली. कई प्राचीन समुदायों जैसे सुमेर निवासी, तिब्बतियों, इब्रियों,कसदियों, मिस्र, और फारसियों ने इस कला के लिए अपना उल्लेखनीय योगदान प्रदान किया.

कई बुद्धिजीवियों का तर्क है कि हस्तकला का जन्म या कहें शुरुआत भारत में हुई थी. महर्षि वाल्मीकि, जो एक महान ऋषि हुए उन्होंने पुरुष हस्तरेखा शास्त्र पर एक पुस्तक की रचना की जिसमें 567 पैराग्राफ शामिल थे. उनका यह ज्ञान भारत से होते हुए चीन, तिब्बत, मिस्र, और फारस तक फैला. इसलिए, हस्तकला में अरस्तू, सिकंदर महान हिप्पोक्रेट्स, और कीरो जैसे प्रसिद्ध व्यक्ति हुए. कीरो ने हस्तरेखा शास्त्र पर कई पुस्तकें लिखीं और उन्हें हस्तकला के पिता के रूप में जाना जाता है.

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