शनि पर्वत के सामान्य लक्षण
शनि पर्वत, मध्यमा उँगली के आधार पर स्थित होता है। यह एकांत प्रिय, विवेकी, मूक दृढ़ संकल्प, गूढ विध्या की ओर झुकाव, नियतिवाद और अंत में भाग्य मे परम विश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। विकसित शनि पर्वत व्यक्ति को ज्ञान की खोज का विश्लेषक बनाता है।शनि पर्वत का विकास | Elevation of Shani Parvat
पूर्ण विकसित शनि पर्वत व्यक्ति को दार्शनिक बनाता है, और व्यक्ति सदैव जीवन और मृत्यु के विषय पर चिंतित रहता है। उसे सभी सांसारिक बातें व्यर्थ लगती हैं। ऐसे लोग मेहनती होते हैं। परन्तु अवसाद में जल्दी घिर जाते हैं। ये लोग कानून के अच्छे अनुयायी और अंतर्मुखी होते हैं। ऐसे लोगों का व्यवसाय मशीनरी उत्पादक या मूर्तिकार से संबंधित होता है।एक हाथ पर अति विकसित शनि पर्वत अशुभ माना जाता है। अति विकसित शनि पर्वत व्यक्ति को सदैव आतंक से त्रस्त, दुखी, मृत्यु पर चिंतित, लालच, अविश्वासी और जीवन के प्रति उत्साह में कमी को दर्शाता है।
एक हाथ पर अविकसित शनि पर्वत व्यक्ति को विचारशील और मेहनती बनाता है लेकिन वह सदैव जोखिम कार्य से दूर रहता है। वह कम वेतन में संतुष्ट रहेगा और जब तक कि उसे कोई जोखिम लेने की जरूरत नही पड़ती, वह नही लेता है।
शनि की उंगली | Finger of Shani
मध्यमा उंगली को शनि की उंगली कहते है। यदि शनि की उंगली का प्रथम खंड लंबा हो तो व्यक्ति का झुकाव धार्मिक ग्रंथ और रहस्यवादी कला के अध्ययन की ओर होता है। यदि मध्यमा का द्वितीय खंड लंबा हो तो व्यक्ति का व्यवसाय संपत्ति संबंधी, रसायन, जीवाश्म ईंधन या लोहा मशीनरी से संबंधित होता है, जब तीसरा खंड लंबा हो तो दर्शाता है कि व्यक्ति चालाक, स्वार्थी और दुराचार मे युक्त रहता है।शनि पर्वत का शीर्ष | Apex of Shani Parvat
यदि शनि का शिखर शनि के पर्वत पर स्थित हो, तो व्यक्ति विचारशील, दूरदर्शी और बुद्धिमान होता है। जब यह मध्यमा उँगली की ओर झुका हो, तो व्यक्ति गूढ कला में गहरी रुचि रखता है। यदि इसका शिखर सूर्य पर्वत की दिशा में थोड़ा बदलाव लिये हो तो व्यक्ति किसी के द्वारा व्यक्त राय से कभी सहमत नही होगा। जब इसका शिखर हृदय रेखा की ओर हो तो व्यक्ति आत्म केन्द्रित हो जाता है। ऐसे व्यक्ति अंतर्मुखी होते हैं तथा भीड़ से दूर रहते हैं।
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