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Thursday 3 November 2016

* लिंग निर्धारण

* लिंग निर्धारण
लैंगिक जनन में अलग-अलग स्पीशीज लिंग निर्धारण के लिए अलग-अलग युक्ति अपनाते है |
• कुछ पूर्ण रूप से पर्यावरण पर निर्भर करते हैं |
• कुछ प्राणियों में लिंग निर्धारण निषेचित अंडे (युग्मक) के ऊष्मायन ताप पर निर्भर करता है कि संतति  नर होगी या मादा |
• घोंघे जैसे प्राणी अपना लिंग बदल सकते है, अत: इनमें लिंग निर्धारण अनुवांशिक नहीं है |
* मानव में लिंग निर्धारण :
मनुष्य में लिंग निर्धारण आनुवंशिक आधार पर होता है अर्थात जनक जीवों से वंशानुगत जीन ही इस बात का निर्णय करते है कि संतति लड़का होगा अथवा लड़की |
लिंग गुणसूत्र: वह गुणसूत्र जो मनुष्य में लिंग का निर्धारण करते है लिंग गुणसूत्र कहते है, मनुष्य में इनकी संख्या 1 जोड़ी होती है |
मनुष्य में 23 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं जिनमें से 22 जोड़ी गुणसूत्र माता-पिता के गुणसूत्रों के प्रतिरूप होते हैं और एक जोड़ी गुणसूत्र जिसे लिंग गुणसूत्र कहते हैं, जो मनुष्य  में लिंग का निर्धारण करते हैं | स्त्रियों में ये पूर्ण युग्म होते हैं अर्थात एक जैसा जोड़ी होते हैं जो "XX" कहलाते हैं | जबकि नर में एक समान युग्म नहीं होता, इसमें एक समान्य आकार का "X" होता है एवं दूसरा गुणसूत्र छोटा होता है जिसे "Y" गुणसूत्र कहते हैं |
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मानव में लिंग निर्धारण प्रक्रिया : मादा जनक में एक जोड़ी "XX" गुणसूत्र होते है एवं नर जनक में "XY" गुणसूत्र होते है | अत: सभी बच्चे चाहे वह लड़का हो अथवा लड़की अपनी माता से "X" गुणसूत्र प्राप्त करते हैं | अत: लड़का होगा या लड़की इसमें माता की कोई भूमिका नहीं है क्योंकि वे माता से समान गुणसूत्र प्राप्त करते हैं | लिंग का निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि संतान को अपने पिता से कौन-सा गुणसूत्र युग्मक के रूप में प्राप्त होता है | यदि पिता से "X" गुणसूत्र युग्मक के रूप में वंशानुगत हुआ है तो वह लड़की होगी एवं जिसे पिता से "Y" गुणसूत्र युग्मक के रूप में प्राप्त हुआ है वह लड़का होगा |
          
Q - जनन कोशिकाओं का निर्माण कहाँ होता है ?
A - विशिष्ट जनन उत्तक वाले जननांगों में |
(1) उपार्जित लक्षण (Aquired Traits): वे लक्षण जिसे कोई जीव अपने जीवन काल में अर्जित करता है उपार्जित लक्षण कहलाता है | उदाहरण : अल्प पोषित भृंग के भार में कमी |
* उपार्जित लक्षणों का गुण :
(a) ये लक्षण जीवों द्वारा अपने जीवन काल में प्राप्त किये जाते है |
(b) ये जनन कोशिकाओं के डीएनए (DNA) में कोई बदलाव नहीं लाते और अगली पीढ़ी को वंशानुगत /स्थानांतरित नहीं होते |
(c) ये लक्षण जैव विकास में सहायक नहीं हैं |
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(2) आनुवंशिक लक्षण (Heridatory Traits): वे लक्षण जिसे कोई जीव अपने जनक (parent) से प्राप्त करता है आनुवंशिक लक्षण कहलाता है | उदाहरण: मानव के आँखों व बालों के रंग |
(a) ये लक्षण जीवों में वंशानुगत होते हैं |
(b) ये जनन कोशिकाओं में घटित होते हैं तथा अगली पीढ़ी में स्थानांतरित होते है |
(c) जैव विकास में सहायक हैं |
जाति उदभव : पूर्व स्पीशीज  से एक नयी स्पीशीज का बनना जाति उदभव कहलाता है |
नई स्पीशीज के उदभव के लिए वर्त्तमान स्पीशीज के सदस्यों का परिवर्तनशील पर्यावरण में जीवित बने रहना है | इन सदस्यों को नए पर्यावरण में जीवित रहने के लिए कुछ बाह्य लक्षणों में परिवर्तन करना पड़ता है | अत: प्रभावी पीढ़ी के सदस्यों में शारीरिक लक्षणों में परिवर्तन दिखाई देने लगते हैं जो जनन क्रिया के द्वारा अगली पीढ़ी में हस्तांतरित हो जाते हैं | इस प्रकार नयी स्पीशीज (जाति ) का उदभव होता है |

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