* ऐच्छिक क्रियाएँ:
वे सभी क्रियाएँ जिस पर हमारा नियंत्रण होता है, ऐच्छिक क्रियाएँ कहलाती हैं |
जैसे- बोलना, चलना, लिखना आदि |
ऐच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण: ऐच्छिक क्रियाएँ हमारी इच्छा और सोंचने से होती है इसलिए इसका नियंत्रण हमारे सोचने वाला भाग अग्र-मस्तिष्क के द्वारा होता है |
अनैच्छिक क्रियाएँ : वे सभी क्रियाएँ जो स्वत: होती रहती है जिनपर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता है | अनैच्छिक क्रियाएँ कहलाती है |
जैसे: ह्रदय का धड़कना, साँस का लेना, भोजन का पचना आदि |
अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण: अनैच्छिक क्रियाएँ मध्य-मस्तिष्क व पश्च-मस्तिष्क के द्वारा नियंत्रित होती हैं |
* प्रतिवर्ती चाप:
जंतुओं में प्रतिवर्ती चाप की उपयोगिता :
अधिकतर जंतुओं में प्रतिवर्ती चाप इसलिए विकसित हुआ है क्योंकि इनके मस्तिष्क के सोचने का प्रक्रम बहुत तेज नहीं है। वास्तव में अधिकांश जंतुओं में सोचने के लिए आवश्यक जटिल न्यूराॅन जाल या तो अल्प है या अनुपस्थित होता है। अतः यह स्पष्ट है कि वास्तविक विचार प्रक्रम की अनुपस्थिति में प्रतिवर्ती चाप का दक्ष कार्य प्रणाली के रूप में विकास हुआ है।
यद्यपि जटिल न्यूराॅन जाल के अस्तित्व में आने के बाद भी प्रतिवर्ती चाप तुरंत अनुक्रिया के लिए एक अधिक दक्ष प्रणाली के रूप में कार्य करता है।
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