-->

Recent Posts

Wednesday 2 November 2016

* किशोरावस्था में परिवर्तनों का कारण :

* किशोरावस्था में परिवर्तनों का कारण :
किशोरावस्था में इन परिवर्तनों का समान्य कारण लिंग हार्मोन के कारण होते है | वे हार्मोन जो शरीर में लैंगिक परिवर्तनों के लिए उत्तरदायी होते हैं लिंग हार्मोन कहा जाता है |
* लिंग हार्मोन दो प्रकार के होते हैं :
1. नर लिंग हार्मोन : वे हार्मोन जो नर में लैंगिक परिवर्तन के उत्तरदायी होते हैं, नर लिंग हार्मोन कहते हैं | जैसे - नर में टेस्टोस्टेरॉन |
2. मादा लिंग हार्मोन : वे हार्मोन जो मादा में लैंगिक परिवर्तन के उत्तरदायी होते हैं, मादा लिंग हार्मोन कहते है | उदाहरण - मादा में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन |
* नर जनन तंत्र (Male Reproductive System) :
जनन कोशिका उत्पादित करने वाले अंग एवं जनन कोशिकाओं को निषेचन के स्थान तक पहुँचाने वाले अंग, संयुक्त रूप से, नर जनन तंत्र बनाते हैं।
नर जनन तंत्र बनाने वाले अंग जो जनन क्रिया में भाग लेते है नर जननांग कहलाते हैं |
1. वृषण (Testes) : नर जननांगों में वृषण प्रमुख अंग है जो नर जनन कोशिका अर्थात शुक्राणु का निर्माण करता है | यह उदर गुहा के बाहर वृषण कोष (Scrotum) में स्थित होता है | इसके दो भाग होते है | एक वह भाग जो शुक्राणु का निर्माण करता है और दूसरा भाग जिसे अंत:स्रावी  ग्रंथि (endocrine gland) भी कहते है ये टेस्टोस्टेरॉन नामक हार्मोन का स्राव करता है | टेस्टोस्टेरॉन जो नर में लैंगिक परिवर्तनों के उत्तरदायी है और इसे नियंत्रण भी करता है |
* वृषण का कार्य :
(i) नर जनन कोशिका अर्थात शुक्राणु का निर्माण करता है |
(ii) ये टेस्टोस्टेरॉन नामक हार्मोन का स्राव करता है |
* वृषण कोष (Scrotum) का कार्य : इसी कोश में वृषण स्थित होता है |
(i) यह वृषण के शुक्राणु (sperm) निर्माण के लिए आवश्यक ताप को नियंत्रण करता है | चूँकि शुक्राणु निर्माण के लिए शरीर के ताप से भी कम ताप की आवश्यकता होती है |
(ii) यह वृषण को स्थित रहने के लिए स्थान प्रदान करता हैं |
शुक्रवाहिनी (Vas Difference) : वृषण में शुक्राणु निर्माण के बाद इसी शुक्रवाहिनी से होकर शुक्राशय तक पहुँचता है | आगे ये शुक्रवाहिकाएँ मूत्राशय से आने वाली नली से जुड़ कर एक संयुक्त नली बनाती है। अतः मूत्रामार्ग (urethra) शुक्राणुओं एवं मूत्र दोनों के प्रवाह के उभय मार्ग है।
* शुक्राशय (Seminal Vesicles) :
शुक्राशय एक थैली जैसी संरचना है जो शुक्राणुओं का संग्रह करता है | ये अपने यहाँ संग्रहित शुक्राणुओं को शुक्रवाहिका में डालते हैं |
प्रोस्ट्रेट ग्रंथि या पौरुष ग्रंथि : यह एक बाह्य स्रावी ग्रंथि है जो एक तरल पदार्थ का निर्माण करता है जिसे वीर्य (semen) कहते है | यह शुक्राणुओं की गति के लिए एक तरल माध्यम प्रदान करता हैं | इसके कारण शुक्राणुओं का स्थानांतरण सरलता से होता है | और ये शुक्राणुओं का पोषण भी प्रदान करता है |
शुक्राणु (Sperms) : शुक्राणु सूक्ष्म सरंचनाएँ हैं जिसमें मुख्यतः आनुवंशिक पदार्थ होते हैं तथा एक लंबी पूँछ होती है जो उन्हें मादा जनन-कोशिका की ओर तैरने में सहायता करती है।

No comments:

Post a Comment

Apne email id se login kare aur apna question puchhe

WorldGujjars © 2014. All Rights Reserved | Powered By Blogger | Blogger Templates

Designed by- Dapinder