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Sunday 23 October 2016

* धातु

* धातु

सामान्यतः धातु विधतु एवं उष्मा के सुचालक, आघातवर्धनिय एवं तन्य होते हैं। तथा कमरे के ताप पर ठोस अवस्था में होते है। केवल पारा ही एक मात्र ऐसा धातु है जो कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में होता है।

रासायन शास्त्र के अनुसार धातु वे तत्व है जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते है। और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते है।

सामान्यतः धातु रासायनिक रूप से सक्रिय होते हैं। अर्थात वे मुक्त रूप में नहीं मिलते वे अन्य तत्वों के साथ क्रिया कर लेते हैं और संयुक्त रूप में (यौगिक) पाये जाते हैं। जिन्हें खनिज कहते हैं। कुछ धातु मूल रूप या धात्विक रूप में पाये जाते हैं। जैसे - सोना, चांदी प्लेटिनम आदि। कभी-कभी शु़़़द्ध धातु ढेर के रूप में पायी जाती है जिन्हें नगेट कहते हैं।

प्राकृतिक पदार्थ जिनमें धातु पृथ्वी में पायी जाती है खनिज कहलाते हैं। खनिज जिनसे आर्थिक महत्व के धातु आसानी से अलग किये जा सकते हैं। उन्हें अयस्क कहते हैं।

प्रमुख खनिजों के अयस्क निम्न है-

1. मुक्त अयस्क

इन अयस्कों में धातु मुक्त अवस्था में पायी जाती है।

उदाहरण

• चांदी,सोना, काॅपर, प्लेटिनम, मर्करी आदि।

• आयरन मुक्त अवस्था में मेट्रोइट के रूप में पाया जाता है।

2. सल्फाइड अयस्क

इन अयस्कों में धातु सल्फर के साथ क्रिया कर लेता है।

उदाहरण

• सिसा(Pb)- गैलेना(PbS)

• चांदी (Ag) - अर्जेन्टारड(Ag2S)

• जस्ता (Zn) - जिंक ब्लेंड(ZnS)

• मर्करी (Hg) - सिनेबार(HgS)

• लोहा (Fe)- आयरन पायराइट(FeS2)

• तांबा (Cu)- काॅपर पायराइट(CuFeS2)

3. आक्साइड अयस्क

इन अयस्कों में धातु आक्सीजन से क्रिया कर आक्साइड बनाती है।

उदाहरण

• एल्यूमिनियम (Al) - बाॅक्साइड(Al2O3.2H2O)

• तांबा (Cu)- क्यूपराइट(Cu2O)

• जस्ता (Zn) - जिंकाइट(ZnO)

• लोहा (Fe) - हेमेटाइट(Fe2O3)

4. कार्बोनेट

इन अयस्कों में धातु कार्बोनेट से क्रिया करते है।

• तांबा (Cu)- मेलाकाइट(CuCo3)

• लोहा (Fe) - सिडेराइट(FeCo3)

• जस्ता (Zn) - कैलामाइन(ZnCo3)

इन अयस्कों के अलावा धातुएं सजीवों में भी पायी जाती है।

उदाहरण

• पोटेशियम पौधों की जड़ों में उपस्थित होता है।

• मैग्नीशियम क्लोरोफिल में पाई जाती है।

• आयरन हीमोग्लोबिन में उपस्थित होता है।

• कैल्शियम हड्डियों में उपस्थित होता है।

इन अयस्कों का हमारे जिवन में बहुत महत्व है। हम हमारे दैनिक जिवन में बहुत सारे अयस्कों का सिधे हि उपयोग करते हैं। जिनमें कुछ निम्न है।

1. सोडियम क्लोराइड( NaCl)- साधारण नमक

इसे समुद्र के खारे पानी या झीलों से प्राप्त किया जा सकता है। इसमें HCl गैंस प्रवाहित कर इसे शुद्ध कर लिया जाता है।

उपयोग

• हमारे दैनिक जिवन में नमक के रूप में उपयोग होता है।

• मांस मछली के परिरक्षण में उपयोग होता है।

• नमक का उपयोग हिम मिश्रण बनाने में होता है क्योंकि नमक बर्फ को पिघलने से रोकता है।

• इसका उपयोग अन्य उत्पादों जैसे - कास्टिक सोडा(NaOH), मीठा सोडा(NaHCO3)  के निर्माण में होता है।

2. काॅपर सल्फेट पेन्टा हाइड्रेट()CuSO4.5H2O- नीला थोथा

यह एक नीले रंग का चमकीला क्रिस्टलीय पदार्थ है जो गर्म करने पर जल के अणु त्याग देता है।

उपयोग
धातू तथा अधातू का पूरा chapter पडे
• विधुत बैटरियों एवं विधुत लेपन में किया जाता है।

• काॅपर सल्फेट तथा चुने के मिश्रण का उपयोग किसानों द्वारा कवकनाशी के रूप में किया जाता है।

3. सिल्वर ब्रोमाइड(AgBr)

यह एक हल्के पीले रंग का क्रिस्टलीय यौगिक है।

उपयोग

• इसका उपयोग फोटोग्राफी में किया जाता है।

4. सोडियम कार्बोनेट(Na2CO3.H2O) - कपड़े धोने का सोडा

यह सफेद क्रिस्टलीय ठोस है। जिसका जलिय विलयन क्षारीय होता है। यह अम्लों से क्रिया कर कार्बन डाईआक्साइड देता है।

उपयोग

• कपड़े धोने में

• जल को मृदु करने में

• कांच, कागज, बेंकिंग सोडा आदि के उत्पादन में।

5. सिल्वर नाइट्रेट(AgNO3)- लुनर कास्टिक

उपयोग

• रजत दर्पण बनाने में

• फोटाग्राफी में

• अमिट स्याही बनाने में।

6. सोडियम बाइकार्बोनेट(NaHCO3) - खाने का सोडा

उपयोग

• खाने के सोडे के रूप में

• औषधि के रूप में

• अग्निशामकों में।

7. सोडियम हाइड्राॅक्साइड(NaOH) - कास्टिक सोडा

उपयोग

• मशीनों को साफ करने में

• रंजक उधोग में

• प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में

• साबुन, अपमार्जक, कागज उधोग में।

8. फिटकरी

उपयोग

• जल को मृदु करने में।

अयस्कों का शोधन

किसी अयस्क से विभिन्न प्रक्रमों द्वारा शुद्ध धातु प्राप्त करना धातुकर्म कहलाता है।

अयस्कों से शु़़द्ध धातु प्राप्त करने के लिए निम्न प्रक्रिया को अपनाया जाता है।

1. अयस्क को कुटना या पिसना

2. अयस्क का सान्द्रण(अयस्क से अशुद्धियां अलग करना)

3. धातु का पृथक्करण
* धातु

सामान्यतः धातु विधतु एवं उष्मा के सुचालक, आघातवर्धनिय एवं तन्य होते हैं। तथा कमरे के ताप पर ठोस अवस्था में होते है। केवल पारा ही एक मात्र ऐसा धातु है जो कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में होता है।

रासायन शास्त्र के अनुसार धातु वे तत्व है जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते है। और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते है।

सामान्यतः धातु रासायनिक रूप से सक्रिय होते हैं। अर्थात वे मुक्त रूप में नहीं मिलते वे अन्य तत्वों के साथ क्रिया कर लेते हैं और संयुक्त रूप में (यौगिक) पाये जाते हैं। जिन्हें खनिज कहते हैं। कुछ धातु मूल रूप या धात्विक रूप में पाये जाते हैं। जैसे - सोना, चांदी प्लेटिनम आदि। कभी-कभी शु़़़द्ध धातु ढेर के रूप में पायी जाती है जिन्हें नगेट कहते हैं।

प्राकृतिक पदार्थ जिनमें धातु पृथ्वी में पायी जाती है खनिज कहलाते हैं। खनिज जिनसे आर्थिक महत्व के धातु आसानी से अलग किये जा सकते हैं। उन्हें अयस्क कहते हैं।

प्रमुख खनिजों के अयस्क निम्न है-

1. मुक्त अयस्क

इन अयस्कों में धातु मुक्त अवस्था में पायी जाती है।

उदाहरण

• चांदी,सोना, काॅपर, प्लेटिनम, मर्करी आदि।

• आयरन मुक्त अवस्था में मेट्रोइट के रूप में पाया जाता है।

2. सल्फाइड अयस्क

इन अयस्कों में धातु सल्फर के साथ क्रिया कर लेता है।

उदाहरण

• सिसा(Pb)- गैलेना(PbS)

• चांदी (Ag) - अर्जेन्टारड(Ag2S)

• जस्ता (Zn) - जिंक ब्लेंड(ZnS)

• मर्करी (Hg) - सिनेबार(HgS)

• लोहा (Fe)- आयरन पायराइट(FeS2)

• तांबा (Cu)- काॅपर पायराइट(CuFeS2)

3. आक्साइड अयस्क

इन अयस्कों में धातु आक्सीजन से क्रिया कर आक्साइड बनाती है।

उदाहरण

• एल्यूमिनियम (Al) - बाॅक्साइड(Al2O3.2H2O)

• तांबा (Cu)- क्यूपराइट(Cu2O)

• जस्ता (Zn) - जिंकाइट(ZnO)

• लोहा (Fe) - हेमेटाइट(Fe2O3)

4. कार्बोनेट

इन अयस्कों में धातु कार्बोनेट से क्रिया करते है।

• तांबा (Cu)- मेलाकाइट(CuCo3)

• लोहा (Fe) - सिडेराइट(FeCo3)

• जस्ता (Zn) - कैलामाइन(ZnCo3)

इन अयस्कों के अलावा धातुएं सजीवों में भी पायी जाती है।

उदाहरण

• पोटेशियम पौधों की जड़ों में उपस्थित होता है।

• मैग्नीशियम क्लोरोफिल में पाई जाती है।

• आयरन हीमोग्लोबिन में उपस्थित होता है।

• कैल्शियम हड्डियों में उपस्थित होता है।

इन अयस्कों का हमारे जिवन में बहुत महत्व है। हम हमारे दैनिक जिवन में बहुत सारे अयस्कों का सिधे हि उपयोग करते हैं। जिनमें कुछ निम्न है।

1. सोडियम क्लोराइड( NaCl)- साधारण नमक

इसे समुद्र के खारे पानी या झीलों से प्राप्त किया जा सकता है। इसमें HCl गैंस प्रवाहित कर इसे शुद्ध कर लिया जाता है।

उपयोग

• हमारे दैनिक जिवन में नमक के रूप में उपयोग होता है।

• मांस मछली के परिरक्षण में उपयोग होता है।

• नमक का उपयोग हिम मिश्रण बनाने में होता है क्योंकि नमक बर्फ को पिघलने से रोकता है।

• इसका उपयोग अन्य उत्पादों जैसे - कास्टिक सोडा(NaOH), मीठा सोडा(NaHCO3)  के निर्माण में होता है।

2. काॅपर सल्फेट पेन्टा हाइड्रेट()CuSO4.5H2O- नीला थोथा

यह एक नीले रंग का चमकीला क्रिस्टलीय पदार्थ है जो गर्म करने पर जल के अणु त्याग देता है।

उपयोग

• विधुत बैटरियों एवं विधुत लेपन में किया जाता है।

• काॅपर सल्फेट तथा चुने के मिश्रण का उपयोग किसानों द्वारा कवकनाशी के रूप में किया जाता है।

3. सिल्वर ब्रोमाइड(AgBr)

यह एक हल्के पीले रंग का क्रिस्टलीय यौगिक है।

उपयोग

• इसका उपयोग फोटोग्राफी में किया जाता है।

4. सोडियम कार्बोनेट(Na2CO3.H2O) - कपड़े धोने का सोडा

यह सफेद क्रिस्टलीय ठोस है। जिसका जलिय विलयन क्षारीय होता है। यह अम्लों से क्रिया कर कार्बन डाईआक्साइड देता है।

उपयोग

• कपड़े धोने में

• जल को मृदु करने में

• कांच, कागज, बेंकिंग सोडा आदि के उत्पादन में।

5. सिल्वर नाइट्रेट(AgNO3)- लुनर कास्टिक

उपयोग

• रजत दर्पण बनाने में

• फोटाग्राफी में

• अमिट स्याही बनाने में।

6. सोडियम बाइकार्बोनेट(NaHCO3) - खाने का सोडा

उपयोग

• खाने के सोडे के रूप में

• औषधि के रूप में

• अग्निशामकों में।

7. सोडियम हाइड्राॅक्साइड(NaOH) - कास्टिक सोडा

उपयोग

• मशीनों को साफ करने में

• रंजक उधोग में

• प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में

• साबुन, अपमार्जक, कागज उधोग में।

8. फिटकरी

उपयोग

• जल को मृदु करने में।

अयस्कों का शोधन

किसी अयस्क से विभिन्न प्रक्रमों द्वारा शुद्ध धातु प्राप्त करना धातुकर्म कहलाता है।

अयस्कों से शु़़द्ध धातु प्राप्त करने के लिए निम्न प्रक्रिया को अपनाया जाता है।

1. अयस्क को कुटना या पिसना

2. अयस्क का सान्द्रण(अयस्क से अशुद्धियां अलग करना)

3. धातु का पृथक्करण

4. धातु का शोधन
4. धातु का शोधन
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* लवण (Salts)

* लवण (Salts)

लवण : लवण अम्ल एवं क्षारक के उदासीनीकरण अभिक्रिया का आयनिक उत्पाद है |

(i) अम्लीय लवण : अम्लीय लवण प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होता है |

अम्लीय लवण (Acidic Salt): NH4Cl

HCl    +    NH4​OH    →    NH4Cl    +    H2O
प्रबल अम्ल    दुर्बल क्षारक    अम्लीय लवण

(ii) उदासीन लवण :  उदासीन लवण प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया से प्राप्त होता है |

उदासीन लवण (Neutral Salt): NaCl

HCl    +    NaOH    →    NaCl    +    H2O

प्रबल अम्ल    प्रबल क्षारक    उदासीन लवण

(iii) क्षारकीय लवण :  क्षारकीय लवण प्रबल क्षारक एवं दुर्बल अम्ल की आपसी अभिक्रिया से प्राप्त  होता है |

क्षारकीय लवण (Basic Salt): NaC2H3O2

HC2H3O2    +    NaOH    →    NaC2H3O2    +    H2O

दुर्बल अम्ल    प्रबल क्षारक    क्षारकीय लवण

तनुकरण : जल में अम्ल या क्षारक मिलाने पर आयन की सांद्रता (H3O+/OH-) में प्रति इकाई आयतन में कमी हो जाती है | इस प्रक्रिया तो तनुकरण कहते हैं | अम्ल और क्षारक को तनुकृत किया जाता है |

pH स्केल :

किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने के लिए एक स्केल विकसित किया गया है जिसे pH स्केल कहते हैं | इस स्केल में 1 से 14 तक अंक अंकित रहते है जो किसी अम्ल या क्षारक की प्रबलता और दुर्बलता के साथ-साथ उनके मान की बताता है |

यह एक प्रकार का सार्वत्रिक सूचक होता है |

हाइड्रोनियम आयन की सांद्रता जीतनी अधिक होगी उसका pH उतना ही कम होगा |

किसी भी उदासीन विलयन के pH का मान 7 होगा |

यदि pH स्केल में किसी विलयन का मान 7 से कम है तो यह अम्लीय होगा | 7 से कम होने पर H+ आयन की सांद्रता बढती  है | अर्थात अम्ल की शक्ति बढ़ रही है |

यदि pH का मान 7 से अधिक है वह क्षार होगा | 7 से अधिक होने पर OH- की सांद्रता बढती है अर्थात क्षारक की शक्ति बढ़ रही है |

प्रबल अम्ल : जिस विलयन में अधिक संख्या में H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल प्रबल अम्ल कहलाते हैं |

दुर्बल अम्ल: जबकि कम H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल दुर्बल अम्ल कहलायेंगे |

प्रबल क्षारक :

दुर्बल क्षारक : 
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* क्षारक और अधातु ऑक्साइड का अभिक्रिया :

* क्षारक और अधातु ऑक्साइड का अभिक्रिया :

अधातुओं की प्रकृति अम्लीय होती है जो क्षारक से अभिक्रिया कर लवण एवं जल बनाता है, यह अभिक्रिया उदासीनीकरण अभिक्रिया के समान ही होता हैं |

क्षारक     +    अधात्विक ऑक्साइड    →    लवण    +    जल

सोडियम हाइड्रोक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड से अभिक्रिया कर सोडियम कार्बोनेट और जल देता है |

2NaOH(aq)    +     CO2 (g)    →    Na2CO3(s)    +    H2O

(सोडियम हाइड्रोक्साइड)    (कार्बन ऑक्साइड)       (सोडियम कार्बोनेट)      (जल )
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* धातु-ऑक्साइड का अम्लों के साथ अभिक्रिया (Reaction of Metal-oxides with acid):

* धातु-ऑक्साइड का अम्लों के साथ अभिक्रिया (Reaction of Metal-oxides with acid):

​सभी धातु-ऑक्साइड क्षारकीय प्रकृति की होती हैं इसलिए ये अम्ल के साथ अभिक्रिया कर लवण एवं जल बनाती है यह बिल्कुल उदासीनीकरण अभिक्रिया की तरह ही होती है |

आयरन  (III) ऑक्साइड सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया कर आयरन सल्फेट और जल बनाता है |

Fe2O3    +      3 H2SO4     →     Fe2 (SO4)3      +        3 H2O

(फेरस III ऑक्साइड)       (सल्फ्यूरिक अम्ल)          ( फेरस सल्फेट)        (जल)

कॉपर ऑक्साइड हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर कॉपर क्लोराइड एवं जल प्रदान करता है |

CuO      +      2HCl       →      CuCl2    +       H2O

(कॉपर ऑक्साइड)    (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल)          (कॉपर क्लोराइड)               (जल)

कैल्शियम ऑक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर कैल्शियम क्लोराइड एवं जल प्रदान करता है |  

CaO(aq)    +    2HCl(aq)    →    CaCl2 (aq)    +     H2​O(l)

(कैल्शियम ऑक्साइड)    (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल)      (कैल्शियम क्लोराइड)      (जल) 
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* अम्ल और क्षारक की अभिक्रिया (Reaction With Acids and Bases):

* अम्ल और क्षारक की अभिक्रिया (Reaction With Acids and Bases):

सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर साधारण नमक और जल बनाता है |

NaOH(aq)    +      HCl(aq)   →      NaCl(aq)     +    H2O(l)

(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड)     (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल)       (सोडियम क्लोराइड)       (जल)

सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया कर सोडियम नाइट्रेट और जल बनाता है |

NaOH(aq)    +     HNO3 (aq)  →    NaNO3 (aq)     +    H2O (l)

(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड)    (नाइट्रिक अम्ल)           (सोडियम नाइट्रेट)          (जल)

सोडियम हाइड्रोऑक्साइड, सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया कर सोडियम सल्फेट और जल बनाता है |

NaOH(aq)    +     H2SO4​     →     NaSO4(aq)     +   H2O(l)

(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड)        (सल्फ्यूरिक अम्ल)        (सोडियम सल्फेट)        (जल)  
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Saturday 22 October 2016

* उदासीनीकरण अभिक्रिया (Neutralisation Reaction):

* उदासीनीकरण अभिक्रिया (Neutralisation Reaction):

अम्ल और क्षारक की आपसी अभिक्रिया से लवण और जल का निर्माण होता है इस प्रकार की अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं |

The reaction between an acid and a base to give a salt and water is known as a neutralisation reaction.

उदासनिकरण अभिक्रिया को समान्य सूत्र में इस प्रकार से लिखा जाता है :

क्षारक    +    अम्ल        →      लवण     +     जल
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* धातु एवं क्षारक की अभिक्रिया (Reaction with bases and Metals):

* धातु एवं क्षारक की अभिक्रिया (Reaction with bases and Metals):

क्षारक धातुओं से अभिक्रिया कर संगत धातु का लवण और हाइड्रोजन गैस बनाते हैं |

सोडियम हाइड्रोऑक्साइड  जिंक के साथ अभिक्रिया कर सोडियम ज़िन्केट और हाइड्रोजन गैस देता है |

2NaOH(aq)    +     Zn(s)    →     Na2 ZnO2(aq)    +     H2(g)  

(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड)     (जिंक)       (सोडियम ज़िन्केट)       (हाइड्रोजन गैस)

सोडियम हाइड्रोऑक्साइड  एल्युमुनियम के साथ अभिक्रिया कर सोडियम एलुमिनेट और हाइड्रोजन गैस देता है |

2NaOH(aq)    +     2 Al (s)  +  2H2O     →     2 NaAlO2(aq)    +   2H2(g)  

(सोडियम हाइड्रोऑक्साइड)   (एल्युमीनियम)  (जल)     (सोडियम एलुमिनेट)       (हाइड्रोजन गैस)  ( function() { if (window.CHITIKA === undefined) { window.CHITIKA = { 'units' : [] }; }; var unit = {"calltype":"async[2]","publisher":"nikhil944","width":550,"height":250,"sid":"Chitika Default"}; var placement_id = window.CHITIKA.units.length; window.CHITIKA.units.push(unit); document.write('
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