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Sunday 23 October 2016

* कार्बन की उपस्थिति :

* कार्बन की उपस्थिति :
कार्बन और इसके योगिक का पूरा chapter
कार्बन प्रकृति में बहुत ही अधिक संख्या में यौगिकें बनाता है | भुपर्पति में खनिजों (जैसे कार्बोनेट, हाइड्रोजन कार्बोनेट , कोयला एवं पेट्रोलियम) के रूप में केवल 0.02% कार्बन उपस्थित है तथा वायुमंडल में 0.03% कार्बनडाइऑक्साइड उपस्थित है |


 कार्बन एक समान्य तत्व है जो ब्रह्माण्ड में सभी जगह पाया जाता है और विभिन्न प्रकार के यौगिक बनाता  है |


बहुत से हमारे आस-पास के निर्जीव  व सजीव वस्तुएँ कार्बन के बने है जैसे पौधे, जन्तुयें, चीनी, ईंधन, कागज, भोजन, वस्त्र, धागे, दवाइयाँ, सौंदर्य प्रसाधन इत्यादि |


ये सभी कार्बनिक यौगिक है जो या तो पौधे  से या जीवों से प्राप्त होते हैं | कार्बनिक यौगिकों के रसायन शास्त्र को कार्बनिक रसायन के नाम से जाना जाता है | 
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* कार्बन का परिचय:

कार्बन और इसके योगिक का पूरा chapter पडे

* कार्बन का परिचय:

कार्बन एक अधातु है, इसका रासायनिक प्रतिक चिन्ह C है तथा परमाणु क्रमांक 6 है | प्राकृतिक रूप से इसके समस्थानिकों की संख्या तीन है जो 12C, 13C तथा 14C हैं | इसका इलेक्ट्रोनिक विन्यास 2, 4 है तथा संयोजकता 4 है इसलिए यह चतुर्संयोजक है |

भोजन, कपड़े, दवाइयाँ, पुस्तकें या अन्य बहुत सी वस्तुएं जिसे आप सूचीबद्ध कर सकते हैं सभी इस सर्वतोमुखी तत्व कार्बन पर आधारित है | दुसरे शब्दों में, सभी सजीव आकृतियाँ कार्बन से बनी हैं |
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* अधातु

* अधातु

सामान्यः अधातुएं विधुत व उष्मा की कुचालक, अतन्य होती हैं। ये धातुओं कि तरह कठोर न हो कर भंगुर होती हैं। सामान्यः आधातवध्र्य नहीं होती। तथा इनका गलनांक धातुओं से अपेक्षाकृत कम होता है।

प्रमुख अधातु निम्न है -

1. आक्सीजन O2

यह रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन गैंस है।जल में अल्प विलय है। प्रकृति में आॅक्सीजन मुक्त अवस्था में वायु में 20 प्रतिशत होती है। संयुक्त अवस्था में सल्फेट, कार्बोनेट आक्साइड आदि के यौगिकों के रूप में पाई जाती है। जल में 88 प्रतिशत आक्सीजन उपस्थित है।

उपयोग

• संजीवों के श्वसन क्रिया में

• रोगीयों के कृत्रिम श्वसन में हिलियम के साथ।

• द्रव आक्सीजन राकेटों में ईंधन के रूप में प्रयुक्त होती है।

• वेल्डिंग में ऐसीटिलीन के साथ प्रयोग किया जाता है।

2. नाइट्रोजन H2

यह भी आक्सीजन की तरह रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन है। यह जल में बहुत कम घुलती है। यह वायु से हल्की तथा अक्रिय गैंस है। यह वायु में मुक्त रूप में पायी जाती है। वायुमण्डल में आयतन की दृष्टि से 80 प्रतिशत नाइट्रोजन है। संयुक्त अवस्था में यह अमोनिया तथा अमोनियम लवणों में पाई जाती है।

उपयोग

• अक्रिय होने के कारण विधुत बल्बों में।

• द्रवित नाइट्रोजन का उपयोग प्रशीतन कार्यो में।

• ऊंचे तापमान मापने वाले थर्मामिटरों में।

• कृत्रिम खाद बनाने में।

• नाइट्रिक अम्ल, अमोनिया के निर्माण में।

3. हाइड्रोजन N2

यह गैंस भी रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन है। यह वायु से हल्की है। तथा ज्वलनशील है। यह मुक्त अवस्था में अल्प मात्रा में वायुमण्डल में पायी जाती है। संयुक्त अवस्था में यह जल, अम्ल, क्षार, पैट्रोलिय, तेल, वसा आदि में पाई जाती है।

ब्रह्माण्ड में(पृथ्वी पर नहीं) यह सबसे ज्यादा पाया जाने वाला तत्व है। तारों तथा सुर्य का अधिकांश द्रव्यमान हाइड्रोजन का बना है।

उपयोग

• गुब्बारे भरने में।

• राकेटों में ईंधन के रूप में द्रव हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है।

• वनस्पति घी के उत्पादन में।

• कोयले से कृत्रिम पेट्रोल बनाने में।

• आॅक्सी-हाइड्रोजन ज्वाला का उपयोग वेल्डिंग में।

4. क्लोरिनCl2

यह हल्के हरे-पीले रंग की अति तीक्ष्ण गंध वाली गैंस है।यह विषेली गैंस है। वायु से भारी तथा जल में अघुलनशील है।तथा स्वयं न जलकर जलाने में सहायक है। यह अत्यधिक क्रियाशील गैंस है अतः यह मुक्त अवस्था में नहीं पायी जाती। संयुक्त अवस्था में यह साधारण नमक(NaCl), पौटेशियम क्लोराइड(KCl), मैग्नीशियम क्लोराइड(MgCl) के यौगिक के रूप में पायी जाती है।

उपयोग

• पीने के पानी को जीवाणु रहीत करने में।

• क्लोरोफार्म, डी.डी.टी., HCl के निर्माण में।

• कागज व कपड़ा उद्योग में विरंजक के रूप में।

5. फास्फोरस(P)

यह शुद्ध अवस्था में सफेद रंग का नर्म पदार्थ है। जो धीरे-धीरे पीला पड़ जाता है। इसमें लहसुन जैसी गंध आती है। यह जल में अविलेय तथा अत्यधिक क्रियाशील होने के कारण वायु में स्वतः ही जल उठता है। इसलिए इसे जल में रखा जाता है।

यह मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता। संयुक्त अवस्था में फास्फेट के रूप में पाया जाता है।

उपयोग

• दिया सलाई बनाने में।

• धुएं के बादल बनाने में।

• आतिशबाजी आदि में।

• कैल्सियम फाॅस्फाइड के रूप में फास्फोरस चुहों के लिए विष का कार्य करता है।

6. गंधक(S)

बहुत प्राचिन समय से ज्ञात तत्व औषधीयों एवं युद्धों में प्रयुक्त होता था। यह हल्के पिले रंग का स्वादहिन, गंध रहित ठोस पदार्थ है जो जल में अविलेय है।

यह मुक्त अवस्था में ज्वालामुखी, झरनों के निकटवर्ती स्थानों में पाया जाता है। संयुक्त रूप में, सल्फाइड, व सल्फेट के रूप में पाया जाताहै।

उपयोग

• चर्म रोग एवं रक्त शोधन औषधि के रूप में।

• कीटनाशी के रूप में।

• बारूद एवं दिया सलाई उद्योग में।

• रबर के वल्कनीकरण में।
धातू तथा अधातू का पूरा chapter पडे
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* धातु

* धातु

सामान्यतः धातु विधतु एवं उष्मा के सुचालक, आघातवर्धनिय एवं तन्य होते हैं। तथा कमरे के ताप पर ठोस अवस्था में होते है। केवल पारा ही एक मात्र ऐसा धातु है जो कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में होता है।

रासायन शास्त्र के अनुसार धातु वे तत्व है जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते है। और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते है।

सामान्यतः धातु रासायनिक रूप से सक्रिय होते हैं। अर्थात वे मुक्त रूप में नहीं मिलते वे अन्य तत्वों के साथ क्रिया कर लेते हैं और संयुक्त रूप में (यौगिक) पाये जाते हैं। जिन्हें खनिज कहते हैं। कुछ धातु मूल रूप या धात्विक रूप में पाये जाते हैं। जैसे - सोना, चांदी प्लेटिनम आदि। कभी-कभी शु़़़द्ध धातु ढेर के रूप में पायी जाती है जिन्हें नगेट कहते हैं।

प्राकृतिक पदार्थ जिनमें धातु पृथ्वी में पायी जाती है खनिज कहलाते हैं। खनिज जिनसे आर्थिक महत्व के धातु आसानी से अलग किये जा सकते हैं। उन्हें अयस्क कहते हैं।

प्रमुख खनिजों के अयस्क निम्न है-

1. मुक्त अयस्क

इन अयस्कों में धातु मुक्त अवस्था में पायी जाती है।

उदाहरण

• चांदी,सोना, काॅपर, प्लेटिनम, मर्करी आदि।

• आयरन मुक्त अवस्था में मेट्रोइट के रूप में पाया जाता है।

2. सल्फाइड अयस्क

इन अयस्कों में धातु सल्फर के साथ क्रिया कर लेता है।

उदाहरण

• सिसा(Pb)- गैलेना(PbS)

• चांदी (Ag) - अर्जेन्टारड(Ag2S)

• जस्ता (Zn) - जिंक ब्लेंड(ZnS)

• मर्करी (Hg) - सिनेबार(HgS)

• लोहा (Fe)- आयरन पायराइट(FeS2)

• तांबा (Cu)- काॅपर पायराइट(CuFeS2)

3. आक्साइड अयस्क

इन अयस्कों में धातु आक्सीजन से क्रिया कर आक्साइड बनाती है।

उदाहरण

• एल्यूमिनियम (Al) - बाॅक्साइड(Al2O3.2H2O)

• तांबा (Cu)- क्यूपराइट(Cu2O)

• जस्ता (Zn) - जिंकाइट(ZnO)

• लोहा (Fe) - हेमेटाइट(Fe2O3)

4. कार्बोनेट

इन अयस्कों में धातु कार्बोनेट से क्रिया करते है।

• तांबा (Cu)- मेलाकाइट(CuCo3)

• लोहा (Fe) - सिडेराइट(FeCo3)

• जस्ता (Zn) - कैलामाइन(ZnCo3)

इन अयस्कों के अलावा धातुएं सजीवों में भी पायी जाती है।

उदाहरण

• पोटेशियम पौधों की जड़ों में उपस्थित होता है।

• मैग्नीशियम क्लोरोफिल में पाई जाती है।

• आयरन हीमोग्लोबिन में उपस्थित होता है।

• कैल्शियम हड्डियों में उपस्थित होता है।

इन अयस्कों का हमारे जिवन में बहुत महत्व है। हम हमारे दैनिक जिवन में बहुत सारे अयस्कों का सिधे हि उपयोग करते हैं। जिनमें कुछ निम्न है।

1. सोडियम क्लोराइड( NaCl)- साधारण नमक

इसे समुद्र के खारे पानी या झीलों से प्राप्त किया जा सकता है। इसमें HCl गैंस प्रवाहित कर इसे शुद्ध कर लिया जाता है।

उपयोग

• हमारे दैनिक जिवन में नमक के रूप में उपयोग होता है।

• मांस मछली के परिरक्षण में उपयोग होता है।

• नमक का उपयोग हिम मिश्रण बनाने में होता है क्योंकि नमक बर्फ को पिघलने से रोकता है।

• इसका उपयोग अन्य उत्पादों जैसे - कास्टिक सोडा(NaOH), मीठा सोडा(NaHCO3)  के निर्माण में होता है।

2. काॅपर सल्फेट पेन्टा हाइड्रेट()CuSO4.5H2O- नीला थोथा

यह एक नीले रंग का चमकीला क्रिस्टलीय पदार्थ है जो गर्म करने पर जल के अणु त्याग देता है।

उपयोग
धातू तथा अधातू का पूरा chapter पडे
• विधुत बैटरियों एवं विधुत लेपन में किया जाता है।

• काॅपर सल्फेट तथा चुने के मिश्रण का उपयोग किसानों द्वारा कवकनाशी के रूप में किया जाता है।

3. सिल्वर ब्रोमाइड(AgBr)

यह एक हल्के पीले रंग का क्रिस्टलीय यौगिक है।

उपयोग

• इसका उपयोग फोटोग्राफी में किया जाता है।

4. सोडियम कार्बोनेट(Na2CO3.H2O) - कपड़े धोने का सोडा

यह सफेद क्रिस्टलीय ठोस है। जिसका जलिय विलयन क्षारीय होता है। यह अम्लों से क्रिया कर कार्बन डाईआक्साइड देता है।

उपयोग

• कपड़े धोने में

• जल को मृदु करने में

• कांच, कागज, बेंकिंग सोडा आदि के उत्पादन में।

5. सिल्वर नाइट्रेट(AgNO3)- लुनर कास्टिक

उपयोग

• रजत दर्पण बनाने में

• फोटाग्राफी में

• अमिट स्याही बनाने में।

6. सोडियम बाइकार्बोनेट(NaHCO3) - खाने का सोडा

उपयोग

• खाने के सोडे के रूप में

• औषधि के रूप में

• अग्निशामकों में।

7. सोडियम हाइड्राॅक्साइड(NaOH) - कास्टिक सोडा

उपयोग

• मशीनों को साफ करने में

• रंजक उधोग में

• प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में

• साबुन, अपमार्जक, कागज उधोग में।

8. फिटकरी

उपयोग

• जल को मृदु करने में।

अयस्कों का शोधन

किसी अयस्क से विभिन्न प्रक्रमों द्वारा शुद्ध धातु प्राप्त करना धातुकर्म कहलाता है।

अयस्कों से शु़़द्ध धातु प्राप्त करने के लिए निम्न प्रक्रिया को अपनाया जाता है।

1. अयस्क को कुटना या पिसना

2. अयस्क का सान्द्रण(अयस्क से अशुद्धियां अलग करना)

3. धातु का पृथक्करण
* धातु

सामान्यतः धातु विधतु एवं उष्मा के सुचालक, आघातवर्धनिय एवं तन्य होते हैं। तथा कमरे के ताप पर ठोस अवस्था में होते है। केवल पारा ही एक मात्र ऐसा धातु है जो कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में होता है।

रासायन शास्त्र के अनुसार धातु वे तत्व है जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते है। और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते है।

सामान्यतः धातु रासायनिक रूप से सक्रिय होते हैं। अर्थात वे मुक्त रूप में नहीं मिलते वे अन्य तत्वों के साथ क्रिया कर लेते हैं और संयुक्त रूप में (यौगिक) पाये जाते हैं। जिन्हें खनिज कहते हैं। कुछ धातु मूल रूप या धात्विक रूप में पाये जाते हैं। जैसे - सोना, चांदी प्लेटिनम आदि। कभी-कभी शु़़़द्ध धातु ढेर के रूप में पायी जाती है जिन्हें नगेट कहते हैं।

प्राकृतिक पदार्थ जिनमें धातु पृथ्वी में पायी जाती है खनिज कहलाते हैं। खनिज जिनसे आर्थिक महत्व के धातु आसानी से अलग किये जा सकते हैं। उन्हें अयस्क कहते हैं।

प्रमुख खनिजों के अयस्क निम्न है-

1. मुक्त अयस्क

इन अयस्कों में धातु मुक्त अवस्था में पायी जाती है।

उदाहरण

• चांदी,सोना, काॅपर, प्लेटिनम, मर्करी आदि।

• आयरन मुक्त अवस्था में मेट्रोइट के रूप में पाया जाता है।

2. सल्फाइड अयस्क

इन अयस्कों में धातु सल्फर के साथ क्रिया कर लेता है।

उदाहरण

• सिसा(Pb)- गैलेना(PbS)

• चांदी (Ag) - अर्जेन्टारड(Ag2S)

• जस्ता (Zn) - जिंक ब्लेंड(ZnS)

• मर्करी (Hg) - सिनेबार(HgS)

• लोहा (Fe)- आयरन पायराइट(FeS2)

• तांबा (Cu)- काॅपर पायराइट(CuFeS2)

3. आक्साइड अयस्क

इन अयस्कों में धातु आक्सीजन से क्रिया कर आक्साइड बनाती है।

उदाहरण

• एल्यूमिनियम (Al) - बाॅक्साइड(Al2O3.2H2O)

• तांबा (Cu)- क्यूपराइट(Cu2O)

• जस्ता (Zn) - जिंकाइट(ZnO)

• लोहा (Fe) - हेमेटाइट(Fe2O3)

4. कार्बोनेट

इन अयस्कों में धातु कार्बोनेट से क्रिया करते है।

• तांबा (Cu)- मेलाकाइट(CuCo3)

• लोहा (Fe) - सिडेराइट(FeCo3)

• जस्ता (Zn) - कैलामाइन(ZnCo3)

इन अयस्कों के अलावा धातुएं सजीवों में भी पायी जाती है।

उदाहरण

• पोटेशियम पौधों की जड़ों में उपस्थित होता है।

• मैग्नीशियम क्लोरोफिल में पाई जाती है।

• आयरन हीमोग्लोबिन में उपस्थित होता है।

• कैल्शियम हड्डियों में उपस्थित होता है।

इन अयस्कों का हमारे जिवन में बहुत महत्व है। हम हमारे दैनिक जिवन में बहुत सारे अयस्कों का सिधे हि उपयोग करते हैं। जिनमें कुछ निम्न है।

1. सोडियम क्लोराइड( NaCl)- साधारण नमक

इसे समुद्र के खारे पानी या झीलों से प्राप्त किया जा सकता है। इसमें HCl गैंस प्रवाहित कर इसे शुद्ध कर लिया जाता है।

उपयोग

• हमारे दैनिक जिवन में नमक के रूप में उपयोग होता है।

• मांस मछली के परिरक्षण में उपयोग होता है।

• नमक का उपयोग हिम मिश्रण बनाने में होता है क्योंकि नमक बर्फ को पिघलने से रोकता है।

• इसका उपयोग अन्य उत्पादों जैसे - कास्टिक सोडा(NaOH), मीठा सोडा(NaHCO3)  के निर्माण में होता है।

2. काॅपर सल्फेट पेन्टा हाइड्रेट()CuSO4.5H2O- नीला थोथा

यह एक नीले रंग का चमकीला क्रिस्टलीय पदार्थ है जो गर्म करने पर जल के अणु त्याग देता है।

उपयोग

• विधुत बैटरियों एवं विधुत लेपन में किया जाता है।

• काॅपर सल्फेट तथा चुने के मिश्रण का उपयोग किसानों द्वारा कवकनाशी के रूप में किया जाता है।

3. सिल्वर ब्रोमाइड(AgBr)

यह एक हल्के पीले रंग का क्रिस्टलीय यौगिक है।

उपयोग

• इसका उपयोग फोटोग्राफी में किया जाता है।

4. सोडियम कार्बोनेट(Na2CO3.H2O) - कपड़े धोने का सोडा

यह सफेद क्रिस्टलीय ठोस है। जिसका जलिय विलयन क्षारीय होता है। यह अम्लों से क्रिया कर कार्बन डाईआक्साइड देता है।

उपयोग

• कपड़े धोने में

• जल को मृदु करने में

• कांच, कागज, बेंकिंग सोडा आदि के उत्पादन में।

5. सिल्वर नाइट्रेट(AgNO3)- लुनर कास्टिक

उपयोग

• रजत दर्पण बनाने में

• फोटाग्राफी में

• अमिट स्याही बनाने में।

6. सोडियम बाइकार्बोनेट(NaHCO3) - खाने का सोडा

उपयोग

• खाने के सोडे के रूप में

• औषधि के रूप में

• अग्निशामकों में।

7. सोडियम हाइड्राॅक्साइड(NaOH) - कास्टिक सोडा

उपयोग

• मशीनों को साफ करने में

• रंजक उधोग में

• प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में

• साबुन, अपमार्जक, कागज उधोग में।

8. फिटकरी

उपयोग

• जल को मृदु करने में।

अयस्कों का शोधन

किसी अयस्क से विभिन्न प्रक्रमों द्वारा शुद्ध धातु प्राप्त करना धातुकर्म कहलाता है।

अयस्कों से शु़़द्ध धातु प्राप्त करने के लिए निम्न प्रक्रिया को अपनाया जाता है।

1. अयस्क को कुटना या पिसना

2. अयस्क का सान्द्रण(अयस्क से अशुद्धियां अलग करना)

3. धातु का पृथक्करण

4. धातु का शोधन
4. धातु का शोधन
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* लवण (Salts)

* लवण (Salts)

लवण : लवण अम्ल एवं क्षारक के उदासीनीकरण अभिक्रिया का आयनिक उत्पाद है |

(i) अम्लीय लवण : अम्लीय लवण प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होता है |

अम्लीय लवण (Acidic Salt): NH4Cl

HCl    +    NH4​OH    →    NH4Cl    +    H2O
प्रबल अम्ल    दुर्बल क्षारक    अम्लीय लवण

(ii) उदासीन लवण :  उदासीन लवण प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया से प्राप्त होता है |

उदासीन लवण (Neutral Salt): NaCl

HCl    +    NaOH    →    NaCl    +    H2O

प्रबल अम्ल    प्रबल क्षारक    उदासीन लवण

(iii) क्षारकीय लवण :  क्षारकीय लवण प्रबल क्षारक एवं दुर्बल अम्ल की आपसी अभिक्रिया से प्राप्त  होता है |

क्षारकीय लवण (Basic Salt): NaC2H3O2

HC2H3O2    +    NaOH    →    NaC2H3O2    +    H2O

दुर्बल अम्ल    प्रबल क्षारक    क्षारकीय लवण

तनुकरण : जल में अम्ल या क्षारक मिलाने पर आयन की सांद्रता (H3O+/OH-) में प्रति इकाई आयतन में कमी हो जाती है | इस प्रक्रिया तो तनुकरण कहते हैं | अम्ल और क्षारक को तनुकृत किया जाता है |

pH स्केल :

किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने के लिए एक स्केल विकसित किया गया है जिसे pH स्केल कहते हैं | इस स्केल में 1 से 14 तक अंक अंकित रहते है जो किसी अम्ल या क्षारक की प्रबलता और दुर्बलता के साथ-साथ उनके मान की बताता है |

यह एक प्रकार का सार्वत्रिक सूचक होता है |

हाइड्रोनियम आयन की सांद्रता जीतनी अधिक होगी उसका pH उतना ही कम होगा |

किसी भी उदासीन विलयन के pH का मान 7 होगा |

यदि pH स्केल में किसी विलयन का मान 7 से कम है तो यह अम्लीय होगा | 7 से कम होने पर H+ आयन की सांद्रता बढती  है | अर्थात अम्ल की शक्ति बढ़ रही है |

यदि pH का मान 7 से अधिक है वह क्षार होगा | 7 से अधिक होने पर OH- की सांद्रता बढती है अर्थात क्षारक की शक्ति बढ़ रही है |

प्रबल अम्ल : जिस विलयन में अधिक संख्या में H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल प्रबल अम्ल कहलाते हैं |

दुर्बल अम्ल: जबकि कम H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल दुर्बल अम्ल कहलायेंगे |

प्रबल क्षारक :

दुर्बल क्षारक : 
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* क्षारक और अधातु ऑक्साइड का अभिक्रिया :

* क्षारक और अधातु ऑक्साइड का अभिक्रिया :

अधातुओं की प्रकृति अम्लीय होती है जो क्षारक से अभिक्रिया कर लवण एवं जल बनाता है, यह अभिक्रिया उदासीनीकरण अभिक्रिया के समान ही होता हैं |

क्षारक     +    अधात्विक ऑक्साइड    →    लवण    +    जल

सोडियम हाइड्रोक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड से अभिक्रिया कर सोडियम कार्बोनेट और जल देता है |

2NaOH(aq)    +     CO2 (g)    →    Na2CO3(s)    +    H2O

(सोडियम हाइड्रोक्साइड)    (कार्बन ऑक्साइड)       (सोडियम कार्बोनेट)      (जल )
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* धातु-ऑक्साइड का अम्लों के साथ अभिक्रिया (Reaction of Metal-oxides with acid):

* धातु-ऑक्साइड का अम्लों के साथ अभिक्रिया (Reaction of Metal-oxides with acid):

​सभी धातु-ऑक्साइड क्षारकीय प्रकृति की होती हैं इसलिए ये अम्ल के साथ अभिक्रिया कर लवण एवं जल बनाती है यह बिल्कुल उदासीनीकरण अभिक्रिया की तरह ही होती है |

आयरन  (III) ऑक्साइड सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया कर आयरन सल्फेट और जल बनाता है |

Fe2O3    +      3 H2SO4     →     Fe2 (SO4)3      +        3 H2O

(फेरस III ऑक्साइड)       (सल्फ्यूरिक अम्ल)          ( फेरस सल्फेट)        (जल)

कॉपर ऑक्साइड हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर कॉपर क्लोराइड एवं जल प्रदान करता है |

CuO      +      2HCl       →      CuCl2    +       H2O

(कॉपर ऑक्साइड)    (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल)          (कॉपर क्लोराइड)               (जल)

कैल्शियम ऑक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर कैल्शियम क्लोराइड एवं जल प्रदान करता है |  

CaO(aq)    +    2HCl(aq)    →    CaCl2 (aq)    +     H2​O(l)

(कैल्शियम ऑक्साइड)    (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल)      (कैल्शियम क्लोराइड)      (जल) 
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