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Thursday, 10 November 2016

* इलेक्ट्रोनों का बहाव (Flowing/moving of electrons) :

* इलेक्ट्रोनों का बहाव (Flowing/moving of electrons) :

इलेक्ट्रोंस बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल पर ऋण आवेश के द्वारा प्रतिकर्षित होते हैं तथा धन टर्मिनल पर धन आवेश पर आकर्षित होते हैं | इसलिए इलेक्ट्रोंस ऋण टर्मिनल से धन टर्मिनल की ओर प्रवाहित होते हैं | जब ये इलेक्ट्रॉन्स धन टर्मिनल तक पहुँचते हैं तो एक रासायनिक प्रतिक्रिया से वे बैट्री के अंदर स्थान्तरित हो जाते हैं और और पुन: ऋण टर्मिनल पर आ जाते हैं | इस प्रकार इलेक्ट्रॉन्स प्रवाहित होते हैं |

(एक परिपथ तथा बैट्री से इलेक्ट्रान का बहाव ) 

* चालक (Conductor) :

वे पदार्थ जो अपने से होकर विद्युत आवेश को आसानी से प्रवाहित होने देते हैं चालक कहलाते हैं | उदाहरण : तांबा, सिल्वर, एल्युमीनियम इत्यादि |

•अच्छे चालक धारा के प्रवाह का कम प्रतिरोध करते हैं |

•कुचालकों का धारा के प्रवाह की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है |

कुचालक (Insulator) : वे पदार्थ जो अपने से होकर विद्युत धारा को प्रवाहित नहीं होने देते हैं वे पदार्थ विद्युत के कुचालक कहलाते हैं | उदाहरण : रबड़, प्लास्टिक, एबोनाईट और काँच इत्यादि | 

चालकता (Cunductivity) : चालकता किसी चालक का वह गुण है जिससे यह अपने अंदर विद्युत आवेश को प्रवाहित होने देते हैं |

अतिचालकता (Supercunductivity) : अतिचालकता किसी चालक में होने वाली वह परिघटना है जिसमें वह बहुत कम ताप पर बिल्कुल शून्य विद्युत प्रतिरोध करता है | 

कूलाम्ब का नियम (Coulomb's law) : किसी चालक के दो बिन्दुओं के बीच आवेशों पर लगने वाले आकर्षण या प्रतिकर्षण बल, आवेशों के  गुणनफल (q1q2) के अनुक्रमानुपाती होते हैं और उनके बीच की दुरी (r) के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होते हैं |

* गणितीय विधि से ,

F ∝ q1q2 ...... (i)

F ∝ 1/ r2 ...(ii)

k एक स्थिरांक है परन्तु k का मान दो आवेशों के बीच उपस्थित माध्यम की प्रकृति पर निर्भर करता है |

k का निर्वात में आवेश  9 × 109 Nm2/C2 होता है |

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* विद्युत धारा एवं आवेश :

* विद्युत धारा एवं आवेश :

जब किसी चालक से विद्युत आवेश बहता है तो हम कहते है कि चालक में विद्युत धारा है |

दुसरे शब्दों में, विद्युत आवेश के बहाव को विद्युत धारा कहते है | 

विद्युत धारा को इकाई समय में किसी विशेष क्षेत्र से विद्युत आवेशों  की मात्रा के बहाव से व्यक्त किया जाता है |

•विद्युत धारा किसी चालक/तार से होकर बहता है |

•विद्युत धारा एक सदिश राशि है |

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* विद्युत स्थैतिकता का आधारभूत नियम

* विद्युत स्थैतिकता का आधारभूत नियम :

•समान आवेश एक दुसरे को प्रतिकर्षित करती हैं | 

•असमान आवेश एकदूसरे को आकर्षित करती हैं |

स्थैतिक विद्युत (Statics electricity): जब विद्युत आवेश विराम कि स्थिति में रहती हैं तो इसे स्थैतिक विद्युत कहते हैं | 

धारा विद्युत (Current electricity): जब विद्युत आवेश गति में होता है तो इसे धारा विद्युत कहते हैं |

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* विद्युत आवेश

* विद्युत आवेश

घर्षणीक विद्युत (Frictional electricity): रगड़ या घर्षण से उत्पन्न विद्युत को घर्षणीक विद्युत कहते हैं |

विद्युत आवेश (Electric charge): विद्युत आवेश दो प्रकार के होते हैं |

1. धन आवेश (Positive charge): कांच कि छड को जब रेशम के धागे से रगडा जाता है तो इससे प्राप्त आवेश को धन आवेश कहते हैं |

2. ऋण आवेश (Negative charge): एबोनाईट कि छड को ऊन के धागे से रगडा जाता है तो इस प्रकार प्राप्त आवेश को ऋण आवेश कहा जाता है | 

• इलेक्ट्रानों कि कमी के कारण धन आवेश उत्पन्न होता है |

• इलेक्ट्रानों कि अधिकता से ऋण आवेश उत्पन्न होता है |

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Wednesday, 9 November 2016

Starting Msword (msword को शुरू करना)

Starting Msword (msword को शुरू करना)

word_Starting Msword (msword को शुरू करना) स्टार्ट एम एस वर्ड,स्टेटस बार,रूलर बार,फारमैेटिग टुल बार,मेनूबार और टाइटिल बार आदि

Starting Msword (msword को शुरू करना):-

Msword को हम तीन तरीके से open कर सकते है।

(1) start->all program->msword पर mouse का left Button click कर
(2) start -> Run …पर click करने पर एक dialog box open होता है। उसमें name को आगें Box esa winwood type कर ok Botton पर click करने कर
(3) disktop window पर मौजूद msword के  shortcut icon पर click करने पर लेकिन किसी भी तरीके से open करे msword की main window

इस प्रकार दिखेगी जिसका चित्र नीचे दिया गया है।

Title bar (टाइटिल बार):- इस विन्डो में सबसे ऊपर टाइटिल बार होता  है। जिसमें applcation का Logo, document का नाम, application का नाम और तीन control botton  दिखायी देता है।

Menu Bar (मेनूबार):-  इस विन्डो में title bar के नीचे menu bar दिखायी देता है। menu के अन्दर options पाये जाते है। option का प्रयोग कर कम्प्युटर को दिशा निर्देश दिया जाता है। options (commands) को उनके working behavour के अनुसार categorize कर दिया जाता है। जिन्हे मेनू(menu) कहते है

Standard Tool Bar :- यह tool bar menu bar के नीचे होता है इसमें commands icons के रूप में दिखायी देती है जिनको user देख कर अपने अनुसार प्रयोग कर सकता है। इसमें उन commandss को icons के रूप में दिखाया जाता है। जिन्हे user प्रायः use करता है।

जैसे कि new, open, save etc. 

Formatting Tool Bar (फारमैेटिग टुल बार):-  यह बार सामान्यतः standard tool bar के नीचे होता है। इसमें document को formatting से सम्बन्धित commands icons के रूप में दी होती हैं जिनको use कर document का appearance  बदल सकते है।

Ruler Bar (रूलर बार):- यह बार format bar से नीचे एवं page के ठीक ऊपर होता है। इसका प्रयोग Tab setting एवं text indentation के लिए प्रयोग करते है।

Status Bar (स्टेटस बार):- यह बार विन्डो के सबसे नीचे स्थिति होता है। यह document की current position को बताता है।

Details Of Menu :- menu के अन्दर commonds  पायी जाती है। जिन्हे options कहते है। options के कार्य प्रकति के अनुसार अलग-अलग menu के नाम से grouping कर दिया जाता है। जैसे कि file menu, edit menu ,
vew menu & insert menu etc.

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एम.एस.वर्ड

एम.एस.वर्ड

जैसे ही आप 2007 Microsoft Office सिस्टम स्थापित और सक्रिय करते हैं, निर्देश और जानकारी स्वचालित रूप से प्रस्तुत या उपलब्ध होते हैं। पहली बार वर्ड 2007 खोलने पर आप उसकी नई दिखावट से आश्चर्यचकित हो सकते हैं|

अधिकांश परिवर्तन रिबन में ही हैं, जो कि Word के शीर्ष पर एक विस्तृत क्षेत्र है।रिबन प्रचलित आदेशों को सामने लाता है, ताकि आपको बार-बार किए जाने वाले कार्यों के लिए प्रोग्राम के विभिन्न भागों में न ढूँढना पढ़ें। आखिर बदलाव क्यों हैं ? जी हमारा उत्तर ये होगा कि आपके कार्य को आसान और शीघ्र बनाना रिबन का उपयोग अनुभवों के गहन शोद के बाद डिज़ाइन किया गया है जिसे माइक्रो सॉफ्ट के कार्य कर्ताओं ने बहुत ही सुन्दर तरीके से सजाया है। एम्.एस.वर्ड को ओपन करने के लिए टास्क बार पर बने बटन पर माउस से बाये बटन से क्लिक करें उसके बाद या तो रन कमांड में winword लिखे या प्रोग्रामस में जाएँ फिर दायें तीर के निशान कि और बड़ते हुए माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस में एम् एस वर्ड का चुनाव कर एंटर कुंजी दबाएँ या बाएं बटन से क्लिक करे।

इस अध्याय में आपको रिबन के बारे में अधिक जानकारी देने का प्रयास किया गया है, ताकि आप आसनी से उसे समज सके। रिबन के तीन भाग Tab(टैब्ज़), Group(समूह), और Comments(टिप्पणियाँ )हैं.रिबन पर ये तीन मूल घटक होते हैं. यह जानना अच्छा है कि प्रत्येक क्या कहलाता है ताकि आप समझ सकें कि इसे कैसे उपयोग करना हैं| ØTab शीर्ष पर सात मूल घटक हैं. प्रत्येक किसी कार्य क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है| ØGroup. टैब में कई समूह है जो कि संबंधित आयटम्स को एक साथ दिखाता हैं| ØComment. में कोई आदेश एक बटन, जानकारी दर्ज करने के लिए बॉक्स, या मेनूहोता हैं| टैब पर प्रत्येक वस्तु, उपयोगकर्ता की गतिविधियों के अनुसार सावधा‍नीपूर्वक चयन की गई है. उदाहरण के लिए, home टैब पर आपके द्वारा अधिकांश उपयोग की जाने वाली सभी चीजें होती हैं, जैसे पाठ फ़ॉन्ट बदलने के लिए फ़ॉन्ट समूह में आदेश: जेसे कट, कॉपी, पेस्ट फॉर्मेट पेंटर, फ़ॉन्ट आकार, बोल्ड, इटैलिक, अन्डरलाइन और अन्य। जब हम वर्ड ओपन करते हनीं तो हमे सब से पहले ये स्क्रीन नजर आता है । यहाँ पर सबसे ऊपर बाएं कोने में एक गोल बटन नजर आता है जिसे ऑफिस बटन कहते हैं जिसका उपयोग आप एक नई फाइल बनाने में एक मौजूदा फ़ाइल को खोलने, एक फ़ाइल को बचाने के लिए, और कई अन्य कार्य करने के लिए मेनूका उपयोग कर सकते हैं.

और उस के पास में तीन बटन वाला एक छोटा सा बॉक्स जिसे त्वरित पहुँच उपकरण पट्टी(quick access toolbar) कहते हैं जिसका उपयोग आप अपनी फाइल को सुरक्षित करने के लिए आपके द्वारा लिए गए कार्य को पूर्ववत करने, और कार्य को वापस लेने के लिए होता है। ऑफिस बटन के पास एक तीर का चीन नजर आता है, जिसे त्वरित पहुँच उपकरण पट्टी अनुकूलित (customize quick access toolbar) कहते हैं। इस तीर के चिन्न से हम इस पट्टी पर और बटन लगा या हटा सकते हैं। यहाँ सब ले पहले होम टैब में हम कट कॉपी पेस्ट आदि के बारे में जानेंगे जेसा कि आप पहले पेंट, नोटपैड, में पढ़ा वेसे ही यहाँ पर भी है परन्तु यहाँ पर होम तब में तीन और नहीं चीज देखने को मिलेंगी 1. पेस्ट में paste as hyperlink, 2. format painter, 3. clipboard. यहाँ सब का वर्णन निचे दिया गया है देखे - सब से पहले हम वर्ड की एक नयी फाइल ओपन करते हैं और उसमे कुछ लिखते हैं फिर लिखे हुए टेक्स्ट को सेल्लेक्ट करने के बाद होम टेब में कट बटन का उपयोग करते है तो हमारा वह लेख जिसे हमने सेल्लेक्ट किया है वो उस जगह से हट जाता है और क्लिप बोर्ड में सेव हो जाता है।

वहां से हम इसे जहाँ चाहे वहां पेस्ट कर सकते हैं पेस्ट का मतलब चिपकाना होता है ठीक इसी प्रकार जब हम सेल्लेक्ट डाटा को कॉपी करते है तो वो भी क्लिपबोर्ड में सुरक्षित हो जाता है परन्तु जेसे कट कमांड से डाटा उस जगह से हट गया था यहाँ वह नहीं हटता नहीं है। क्लिपबोर्ड में वही डाटा रहता है जो हमने बाद में किया है जेसे कॉपी वाला डाटा अब क्लिपबोर्ड में रहेगा। अर्थात ØCut (Ctrl+X) :- इस कमांड का प्रयोग सेलेक्ट किये हुए Matter को हटाकर Clipboard में रखने के लिए किया जाता है] जेसा की आपने पहले पेंट]नोटपैड या वर्डपैड में पढ़ा परन्तु यहाँ पर हम क्लिपबोर्ड को प्रत्यक्ष देख सकते है।

ØCopy (Ctrl+C) :- इस कमांड का प्रयोग सेलेक्ट Matter को Clipboard में Copy करने के लिए किया जाता है।

ØPaste (Ctrl+V) :- इस कमांड का प्रयोग Clipboard में रखे हुए Text को अपने फाइल में Top Left Side es Paste किया जा सकता है। यदि आवश्यकता हो तो जहाँ पर आप ने कर्सर रखा है वहां पर भी ये Paste किया जा सकता है।

ØPaste Special:- इस कमांड के प्रयोग से Cut या Copy वाला Matter कुछ अन्य तरीके से (जैसे पिक्चर फॉर्मेट) Paste किया जाता है। जैसे ही हम Paste Special Option पर क्लिक करते है एक Dialog Box Open होता है जैसे निचे चित्र में दिखाया गया है। यहाँ इसमें किसी भी आप्शन को चुनकर OKबटन पर क्लिक करते है तो वह Matter जो हमने कट या कॉपी किया था वह चुने हुए फॉर्मेट में पेस्ट हो जाएगा।

ØPaste as Hyperlink(Ctrl+Shift+C):- इस कमांड के द्वारा जब हम कोई हाइपर लिंक बनते है और उस लिंक से जब वो फाइल खोलते है तो उस फाइल से जो भी डाटा कॉपी होता है उस को हम paste as hyperlink कर सकते है यानि कॉपी वाला डाटा भी यहाँ पर लिंक बन जाता है। इस का उपयोग हम बार बार हाइपर लिंक न बनाना पड़े इस लिए उस को एक बार उसे करते हैं।

ØFormat Painter(Ctrl+Shift+C):- इस कमांड के प्रयोग से किसी भी शब्द, वाक्य आदि में जो भी डिजाईन आप ने दी है वो किसी दुसरे शब्द, वाक्य पर लगा सकते हो। ये कॉपी जेसा ही है परन्तु अंतर ये है कि कॉपी से डाटा पूरा का पूरा छप जाता यदि हम किसी एक अक्षर, शब्द या वाक्य पर उसे लगाना चाहें तो, जबकि फॉर्मेट पेंटर से केवल उस शब्द पर फॉर्मेट ही आता है न की पूरा शब्द जो हमने सेलेक्ट किया है। नोट:- ­Paste कमांड तभी काम करेगी जब Matter Cut या Copy किया हुआ होता है। तथा ऑफिस 2010 या 2013 में यहाँ पेस्ट में इस तरह ही एक और छोटी विन्डियो नजर आती है इस में जो आप्शन दिए गए है उसे हम बाद में पढेंगे।


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Tuesday, 8 November 2016

* प्रकाश के प्रकीर्णन से होने वाली परिघटनाएं :

* प्रकाश के प्रकीर्णन से होने वाली परिघटनाएं :

1. स्वच्छ आकाश का नीला दिखाई देना :

जब सूर्य का प्रकाश वायुमंडल से गुजरता है, वायु के सूक्ष्म कण लाल रंग की अपेक्षा नीले रंग (छोटी तरंगदैर्घ्य) को अधिक प्रबलता से प्रकीर्ण करते हैं। प्रकीर्णित हुआ नीला प्रकाश हमारे नेत्रों में प्रवेश करता है। तो हमें आकाश नीला दिखाई देता है |

2. अंतरिक्ष यात्रियों को आकाश काला दिखाई देना :

जहाँ वायुमंडल नहीं है वहाँ कण नहीं जहाँ कण नहीं वहाँ प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं | यदि हमारी पृथ्वी पर वायुमंडल न होता तो कोई प्रकीर्णन न हो पाता | तब पृथ्वी से भी आकाश काला ही प्रतीत होता है | अत्याधिक ऊँचाई पर वायुमंडल नहीं होने के कारण प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं हो पाता है जहाँ प्रकीर्णन नहीं होता है वहाँ प्रकाश का मार्ग दिखाई नहीं देता, काला दिखाई देता है | यही कारण है कि अंतरिक्ष यात्रियों को आकाश काला दिखाई देता है |

3. गहरे समुद्र का जल का रंग नीला दिखाई देना :

जब सूर्य का प्रकाश समुद्र के तल पर पड़ता है तो समुद्र का जल नीले रंग की अपेक्षा लाल, पीला संतरी आदि रंगों को अधिक तेजी से सोंखता है और अधिकांश नीले रंग वापस आ जाता है अर्थात नीले रंग का प्रकीर्णन हो जाता है | यही कारण है कि समुद्र का जल नीला दिखाई देता है |

4. सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य का रक्ताभ दिखाई देना :

क्षितिज के समीप स्थित सूर्य से आने वाला प्रकाश हमारे नेत्रों तक पहुँचने से पहले पृथ्वी के वायुमंडल में वायु की मोटी परतों से होकर गुजरता है | जब सूर्य सिर से ठीक ऊपर हो तो सूर्य से आने वाला प्रकाश बहुत कम दुरी तय करता है, यह तब होता है जब सूर्य क्षितिज पर हो | क्षितिज के समीप नीले तथा कम तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का अधिकांश भाग कणों द्वारा प्रकीर्ण हो जाता है। इसीलिए, हमारे नेत्रों तक पहुँचने वाला प्रकाश अधिक तरंगदैर्घ्य का होता है अर्थात लाल रंग का होता है | यही कारण है कि सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है।

खतरे के सिग्नल में लाल रंग का उपयोग : लाल रंग तरंगदैर्ध्य अन्य रंगों की तुलना में अधिक होता है | लाल रंग का तरंगदैर्ध्य नीले रंग की अपेक्षा लगभग 1.8 गुना अधिक होता है | लाल रंग कुहरे या धुंएँ से सबसे कम प्रकीर्ण होता है और तरंगदैर्ध्य अधिक होने के कारण इस रंग का प्रकाश अधिक दूर तक जाता है | यह दूर से देखने पर भी लाल रंग का ही दिखाई देता है |

नोट: जिन वर्णों का प्रकीर्ण हो जाता है वह वर्ण दिखाई नहीं देता है और जिस वर्ण का प्रकीर्णन नहीं होता है वह बना रहता है और दिखाई देता है |

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