* रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार
रासायनिक अभिक्रियाओं में अणुओं के बीच बंध का बनने और टूटने से नए पदार्थ का निर्माण होता है | जैसे जल के अणुओं के टूटने से ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन उत्पन्न होते हैं जबकि कार्बन तथा ऑक्सीजन के बीच बंध बनने से कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त होता है |
रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार की होती है |
(i) संयोजन अभिक्रिया (Combination Reaction)
(ii) वियोजन या अपघटन अभिक्रिया (Decomposition Reaction)
(iii) विस्थापन अभिक्रिया (Displacement Reaction)
(iv) द्वि-विस्थापन (Double Displacement Reaction)
(v) उपचयन एवं अपचयन (Oxydation and Reduction Reaction)
1. संयोजन अभिक्रिया (Combination Reaction)
वह अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारकों से एक एकल उत्पाद का निर्माण होता है तो ऐसी अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया कहते है |
इस अभिक्रिया के लिए समान्य सूत्र: A + B → AB
CaO(s) + H2O(l) → Ca(OH)2(aq)
कैल्शियम ऑक्साइड जल कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड
(चुना) (बुझा हुआ चुना)
परिभाषा के अनुसार रासायनिक समीकरण से तुलना करने पर हम देखते है कि कैल्शियम ऑक्साइड और जल जो दो अभिकर्मक है एकल उत्पाद कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड बनाते हैं|
कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड Ca(OH)2: कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड का उपयोग दीवारों पर सफेदी करने के लिए किया जाता है | यह एक अवक्षेपण अभिक्रिया है | जब कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड से दीवारों पर पुताई की जाती है तो यह वायु में उपस्थित CO2 से अभिक्रिया करके कैल्शियम कार्बोनेट का एक पतला परत बनाता है और इसके साथ जल (H2O) का भी निर्माण होता है जो वाष्पीकृत हो जाता है |
इस प्रक्रिया का समीकरण इस प्रकार है |
Ca(OH)2 (aq) + CO2(g) → CaCO3(s) + H2O(l)
कैल्शियम कैल्शियम
हाइड्रोऑक्साइड कार्बोनेट
अन्य संयोजन अभिक्रिया को देखते है |
a.कोयले का जलना
C(s) + O2 (g) → CO2(g)
b.जल का बनना
2H2(g) + O2(g) → H2O (l)
c.सल्फर डाइऑक्साइड का बनना
S(s) + O2(g) → SO2(g)
d.जंग का लगना (फेरस ऑक्साइड का बनना )
S(s) + O2(g) → SO2(g)
ऊष्मा के आधार पर रासायनिक अभिक्रिया के प्रकार :
A.ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ : वे अभिक्रियाएँ जिसमें अभिक्रिया के दौरान ऊष्मा निकलती है, ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया कहलाती हैं |
उदाहरण:
a.CH4(g) + 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O(g)
b.श्वसन भी एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया का उदाहरण है जिसमें कोशिकाएँ श्वसन के दौरान ऊष्मा मुक्त करती है |
c.शाक सब्जियों या सड़े-गले घास-फूस या पेड़ों के पत्तों का विघटन होकर कम्पोस्ट का बनना |
B.ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ : वे अभिक्रियाएँ जिसमें ऊष्मा का शोषण होता है | ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहलाती हैं |
उदाहरण:
a.Ba(OH)2 + 2NH4Cl → BaCl2 + 2NH4OH
2. वियोजन या अपघटन अभिक्रिया (Decomposition Reaction)
वे अभिक्रियाएँ जिनमें एकल अभिकारक वियोजित/विघटित होकर दो या अधिक उत्पादों का निर्माण करता है | विघटन अभिक्रियाएँ कहलाती है |
विघटन अभिक्रियाएँ तीन प्रकार के होती है |
a. ऊष्मीय वियोजन : इसमें वियोजन की क्रिया ऊष्मा (Heat) के द्वारा होता है |
उदाहरण:
b. विद्युत वियोजन : इसमें ऊष्मा विद्युत (electricity) के रूप में प्रदान की जाती है |
उदाहरण:
c. प्रकाशीय वियोजन : जब वियोजन की क्रिया के लिए ऊष्मा प्रकाश के द्वारा प्रदान की जाती हैं |
उदाहरण:
3. विस्थापन अभिक्रिया (Displacement Reaction)
ऐसी अभिक्रियाएँ जिसमें अधिक अभिक्रियाशील पदार्थ कम अभिक्रियाशील पदार्थ को उसके यौगिक से अलग कर देता है विस्थापन अभिक्रिया कहलाती हैं |
उदाहरण 1:
Fe(s) + CuSO4(aq) → FeSO4(aq) + Cu(s)
कॉपर सल्फेट फेरम सल्फेट
यहाँ लोहा कॉपर से अधिक अभिक्रियाशील पदार्थ है जो अपने से कम अभिक्रियाशील कॉपर को उसके यौगिक कॉपर सल्फेट से अलग कर देता है | इस अभिक्रिया में कॉपर सल्फेट का रंग नीला होता है परन्तु जैसे ही लोहे की कीलें विलयन में डालते है तो कॉपर के विस्थापन के कारण विलयन का रंग नीला से भूरा हो जाता है |
उदाहरण 2 :
Zn(s) + CuSO4(aq) → ZnSO४(aq) + Cu(s)
कॉपर सल्फेट जिंक सल्फेट
उदाहरण 3 :
Pb(s) + CuCl2(aq) → PbCl2(aq) + Cu(s)
कॉपर क्लोराइड लैड क्लोराइड
उदाहरण 2 तथा 3 में जिंक तथा लैड दोनों तत्वों ने कॉपर को अभिक्रिया में उसके यौगिक से विस्थापित कर देते है ऐसा इसलिए है क्योंकि कॉपर जिंक तथा लैड दोनों से कम अभिक्रियाशील है |
4. द्वि-विस्थापन अभिक्रिया (Double Displacement Reaction) :
ऐसी अभिक्रिया जिसमें अभिकर्कों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है द्वि-विस्थापन अभिक्रिया कहलाता है |
द्वि-विस्थापन अभिक्रिया के लिए सामान्य सूत्र:
Ab + Cd → Ad + Cb
उदाहरण:
(i) Na2SO4 + BaCl2 → BaSO4 + 2NaCl
(ii) NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + H2O
(iii) NaCl + AgNO3 → AgCl + NaNO3
(iv) BaCl2 + H2SO4 → BaSO4 + HCl
(v) BaCl2 + KSO4 → BaSO4 + KCl2
5. उपचयन एवं अपचयन अभिक्रिया (Oxidation And Reduction):
उपचयन (Oxidation Reaction): ऑक्सीजन की वृद्धि एवं हाइड्रोजन की कमी .
दुसरे शब्दों में:
किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की वृद्धि अथवा हाइड्रोजन का ह्रास होता है अथवा दोनों हो तो इसे उपचयन (oxidation) कहते हैं |
उपचयन का उदाहरण:
ऑक्सीजन में वृद्धि के लिए --
(i) [कार्बन में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है और यह कार्बन डाइऑक्साइड में उपचयित (oxidised) होता है ]
(ii) [फोस्फोरस में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है एवं यह फोस्फोरस पेंटाऑक्साइड में उपचयित (oxidised) होता है |]
(iii) [इसमें कॉपर में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है और यह कॉपर ऑक्साइड में उपचयित (oxidised) होता है ]
हाइड्रोजन का ह्रास:
उपचयन का उदाहरण:
(i) [सल्फर हाइड्राइड से हाइड्रोजन का ह्रास होता है और उपचयित (oxidised)होता है |]
(ii) [यहाँ भी सल्फर हाइड्राइड से हाइड्रोजन का ह्रास होता है और उपचयित (oxidised) होता है |]
(iii) [यहाँ मीथेन से हाइड्रोजन का ह्रास होता है एवं यह उपचयित (oxidised) होता है ]
अपचयन अभिक्रिया (Reduction Reaction): ऑक्सीजन का ह्रास एवं हाइड्रोजन में वृद्धि अपचयन होता है |
दुसरे शब्दों में:
किसी पदार्थ में हाइड्रोजन की वृद्धि अथवा ऑक्सीजन का ह्रास अथवा दोनों हो तो इसे अपचयन कहते है |
कभी-कभी ये दोनों अभिक्रियाएँ साथ-साथ होती है :
रेडोक्स अभिक्रिया (Redox Reaction): ऐसी अभिक्रिया जिसमें अभिक्रिया के दौरान एक अभिकारक उपचयित (oxidised) होता है जबकि दूसरा अपचयित होता है उसे रेडोक्स अभिक्रिया कहते हैं |
दुसरे शब्दों में;
जब किसी अभिक्रिया के दौरान उपचयन की क्रिया एवं अपचयन की क्रिया एक साथ होता हो उसे रेडोक्स अभिक्रिया कहते हैं |
उदाहरण;
यहाँ एक ही अभिक्रियाँ में उपचयन एवं अपचयन दोनों की क्रिया हो रही है इसलिए यह रेडोक्स अभिक्रिया है |
ऑक्सीकारक (Oxidising Agent/Oxidants/Oxidisers):
वह पदार्थ जो उपचयन के लिए ऑक्सीजन देता है या अपचयन के लिए हाइड्रोजन को हटाता है, ऑक्सीकारक कहलाता है |
अवकारक (Reducing agent):
वह पदार्थ जो ऑक्सीजन के हटने के लिए उत्तरदायी होता है अथवा अपचयन के लिए हाइड्रोजन देता है, अवकारक कहलाता है |
उदाहरण:
यहाँ उपरोक्त उदाहरण में CuO कॉपर ऑक्साइड का कॉपर में अपचयन (अवकरण) होता है अत: CuO (कॉपर ऑक्साइड) अपचयित पदार्थ है | चूँकि CuO (कॉपर ऑक्साइड) उपचयन के लिए ऑक्सीजन प्रदान करता है, जिससे हाइड्रोजन ऑक्सीकृत होता है अत: कॉपर ऑक्साइड ऑक्सीकारक है |
H2 हाइड्रोजन जल H2O में आक्सीकृत होता है, अत: एवं यह ऑक्सीजन के CuO (कॉपर ऑक्साइड) से हटने के लिए उत्तरदायी है | H2 (हाइड्रोजन) एक अवकारक है |
सरांश :
(a) उपचयित पदार्थ : H2 // जिसमें ऑक्सीजन की वृद्धि होती है |
(b) अपचयित पदार्थ: CuO // जिससे ऑक्सीजन का ह्रास होता है |
(c) ऑक्सीकारक :CuO // जो उपचयन के लिए ऑक्सीजन प्रदान करता है |
(d) अवकारक : H2 // जो ऑक्सीजन के ह्रास के लिए उत्तरदायी है |
उपचयन का प्रभाव:
हमारे दैनिक जीवन में ऐसी बहुत सी अभिक्रियाएँ हमारे आस-पास होती रहती है जिसमें से धातुओं का संक्षारण एवं खाद्य पदार्थो का विकृतगंधित हो जाना सामान्य उदाहरण है जो उपचयन अभिक्रिया के प्रभाव से होता है |
1. संक्षारण (Corrosion):
वह प्रक्रिया जिसमें हवा, जल एवं नमी के संपर्क में आकर धातु की सतह धीरे-धीरे ह्रास होने लगता है, इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते है |
दुसरे शब्दों में :
वह प्रक्रिया जिसमें हवा, जल एवं नमी से अभिक्रिया कर किसी धातु की सतह संक्षारित (गलना) हो जाती है तो ऐसी प्रक्रिया को संक्षारण कहते है |
नोट-** संक्षारण एवं जंग लगना दोनों अलग चीज है, जंग लगाने से लोहे जैसी धातु की सतह संक्षारित हो जाती है |
संक्षारण से बचाव (Preventing Corrosion):
संक्षारण से बचाव की निम्न विधियाँ हैं |
(i) जस्तीकरण (galvonisation)
(ii) धातु की सतह को पेंट करके
(iii) धातु की सतह पर तेल लगाकर या ग्रीस लगाकर
जस्तीकरण (Galvonisation): किसी धातु की सतह पर विध्युत लेपन द्वारा जस्ते (zinc) की पतली परत चढाने की प्रक्रिया को जस्तीकरण कहते है |
2. विकृतगंधिता (Rancidity):
भोजन में उपस्थित वसा एवं तेल का वायुजनित उपचयन जिससे उसका स्वाद एवं गंध बदल कर बदबूदार हो जाता है भोजन का इस प्रकार ख़राब होना विकृतगंधिता कहलाता है |
विकृतगंधिता एक घटना है जब बहुत समय रखने के बाद वसा/तेलीय खाद्य पदार्थ उपचयित हो जाता है जिससे उसका स्वाद बदल जाता है |
वसा अथवा तेल में तैयार किया गया खाद्य पदार्थ जैसे सब्जी, चिप्स, तथा भुजिया आदि को विकृतगंधित होने से ख़राब कर देता है |
उपचयित खाद्य पदार्थ का स्वाद बदल जाता है |
विकृत गंधित भोजन खाने योग्य नहीं होता है |
Preventing fat/oil containing foods from rancidity:
वसा एवं तेलीय खाद्य पदार्थ का विकृतगंधिता से बचाव:
वसा एवं तेलीय खाद्य पदार्थ को विकृतगंधित होने से बचाया जा सकता है अथवा इसकी दर को कम किया जा सकता है | इसको रोकने की निम्न विधियाँ हैं |
(i) वसा एवं तेलीय खाद्य पदार्थों में एंटी-ऑक्सीडेंट (anti-oxidants) डालने से इसे विकृतगंधित होने से बचाया जा सकता है |
(ii) खाद्य पदार्थों के पैकिंग के समय बर्तन से ऑक्सीजन गैस को हटा कर नाइट्रोजन गैस से भरा जाता है | इससे विकृतगंधित होने से बचाया जा सकता है |
(iii) उपचयन की दर को कम करने के लिए वायु-मुक्त बर्तन में खाद्य पदार्थों को रखने से विकृतगंधित होने की दर को कम किया जा सकता है |
(iv) खाद्य पदार्थों को विकृतगंधिता से बचाने के लिए ऊष्मा एवं प्रकाश से दूर रखा जाता है |
(v) खाद्य पदार्थों को विकृतगंधिता से बचाने के लिए एवं उसकी दर को कम करने के लिए रेफ्रीजेरेटर ने रखा जाता है |
रासायनिक अभिक्रियाओं में अणुओं के बीच बंध का बनने और टूटने से नए पदार्थ का निर्माण होता है | जैसे जल के अणुओं के टूटने से ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन उत्पन्न होते हैं जबकि कार्बन तथा ऑक्सीजन के बीच बंध बनने से कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त होता है |
रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार की होती है |
(i) संयोजन अभिक्रिया (Combination Reaction)
(ii) वियोजन या अपघटन अभिक्रिया (Decomposition Reaction)
(iii) विस्थापन अभिक्रिया (Displacement Reaction)
(iv) द्वि-विस्थापन (Double Displacement Reaction)
(v) उपचयन एवं अपचयन (Oxydation and Reduction Reaction)
1. संयोजन अभिक्रिया (Combination Reaction)
वह अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारकों से एक एकल उत्पाद का निर्माण होता है तो ऐसी अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया कहते है |
इस अभिक्रिया के लिए समान्य सूत्र: A + B → AB
CaO(s) + H2O(l) → Ca(OH)2(aq)
कैल्शियम ऑक्साइड जल कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड
(चुना) (बुझा हुआ चुना)
परिभाषा के अनुसार रासायनिक समीकरण से तुलना करने पर हम देखते है कि कैल्शियम ऑक्साइड और जल जो दो अभिकर्मक है एकल उत्पाद कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड बनाते हैं|
कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड Ca(OH)2: कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड का उपयोग दीवारों पर सफेदी करने के लिए किया जाता है | यह एक अवक्षेपण अभिक्रिया है | जब कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड से दीवारों पर पुताई की जाती है तो यह वायु में उपस्थित CO2 से अभिक्रिया करके कैल्शियम कार्बोनेट का एक पतला परत बनाता है और इसके साथ जल (H2O) का भी निर्माण होता है जो वाष्पीकृत हो जाता है |
इस प्रक्रिया का समीकरण इस प्रकार है |
Ca(OH)2 (aq) + CO2(g) → CaCO3(s) + H2O(l)
कैल्शियम कैल्शियम
हाइड्रोऑक्साइड कार्बोनेट
अन्य संयोजन अभिक्रिया को देखते है |
a.कोयले का जलना
C(s) + O2 (g) → CO2(g)
b.जल का बनना
2H2(g) + O2(g) → H2O (l)
c.सल्फर डाइऑक्साइड का बनना
S(s) + O2(g) → SO2(g)
d.जंग का लगना (फेरस ऑक्साइड का बनना )
S(s) + O2(g) → SO2(g)
ऊष्मा के आधार पर रासायनिक अभिक्रिया के प्रकार :
A.ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ : वे अभिक्रियाएँ जिसमें अभिक्रिया के दौरान ऊष्मा निकलती है, ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया कहलाती हैं |
उदाहरण:
a.CH4(g) + 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O(g)
b.श्वसन भी एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया का उदाहरण है जिसमें कोशिकाएँ श्वसन के दौरान ऊष्मा मुक्त करती है |
c.शाक सब्जियों या सड़े-गले घास-फूस या पेड़ों के पत्तों का विघटन होकर कम्पोस्ट का बनना |
B.ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ : वे अभिक्रियाएँ जिसमें ऊष्मा का शोषण होता है | ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहलाती हैं |
उदाहरण:
a.Ba(OH)2 + 2NH4Cl → BaCl2 + 2NH4OH
2. वियोजन या अपघटन अभिक्रिया (Decomposition Reaction)
वे अभिक्रियाएँ जिनमें एकल अभिकारक वियोजित/विघटित होकर दो या अधिक उत्पादों का निर्माण करता है | विघटन अभिक्रियाएँ कहलाती है |
विघटन अभिक्रियाएँ तीन प्रकार के होती है |
a. ऊष्मीय वियोजन : इसमें वियोजन की क्रिया ऊष्मा (Heat) के द्वारा होता है |
उदाहरण:
b. विद्युत वियोजन : इसमें ऊष्मा विद्युत (electricity) के रूप में प्रदान की जाती है |
उदाहरण:
c. प्रकाशीय वियोजन : जब वियोजन की क्रिया के लिए ऊष्मा प्रकाश के द्वारा प्रदान की जाती हैं |
उदाहरण:
3. विस्थापन अभिक्रिया (Displacement Reaction)
ऐसी अभिक्रियाएँ जिसमें अधिक अभिक्रियाशील पदार्थ कम अभिक्रियाशील पदार्थ को उसके यौगिक से अलग कर देता है विस्थापन अभिक्रिया कहलाती हैं |
उदाहरण 1:
Fe(s) + CuSO4(aq) → FeSO4(aq) + Cu(s)
कॉपर सल्फेट फेरम सल्फेट
यहाँ लोहा कॉपर से अधिक अभिक्रियाशील पदार्थ है जो अपने से कम अभिक्रियाशील कॉपर को उसके यौगिक कॉपर सल्फेट से अलग कर देता है | इस अभिक्रिया में कॉपर सल्फेट का रंग नीला होता है परन्तु जैसे ही लोहे की कीलें विलयन में डालते है तो कॉपर के विस्थापन के कारण विलयन का रंग नीला से भूरा हो जाता है |
उदाहरण 2 :
Zn(s) + CuSO4(aq) → ZnSO४(aq) + Cu(s)
कॉपर सल्फेट जिंक सल्फेट
उदाहरण 3 :
Pb(s) + CuCl2(aq) → PbCl2(aq) + Cu(s)
कॉपर क्लोराइड लैड क्लोराइड
उदाहरण 2 तथा 3 में जिंक तथा लैड दोनों तत्वों ने कॉपर को अभिक्रिया में उसके यौगिक से विस्थापित कर देते है ऐसा इसलिए है क्योंकि कॉपर जिंक तथा लैड दोनों से कम अभिक्रियाशील है |
4. द्वि-विस्थापन अभिक्रिया (Double Displacement Reaction) :
ऐसी अभिक्रिया जिसमें अभिकर्कों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है द्वि-विस्थापन अभिक्रिया कहलाता है |
द्वि-विस्थापन अभिक्रिया के लिए सामान्य सूत्र:
Ab + Cd → Ad + Cb
उदाहरण:
(i) Na2SO4 + BaCl2 → BaSO4 + 2NaCl
(ii) NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + H2O
(iii) NaCl + AgNO3 → AgCl + NaNO3
(iv) BaCl2 + H2SO4 → BaSO4 + HCl
(v) BaCl2 + KSO4 → BaSO4 + KCl2
5. उपचयन एवं अपचयन अभिक्रिया (Oxidation And Reduction):
उपचयन (Oxidation Reaction): ऑक्सीजन की वृद्धि एवं हाइड्रोजन की कमी .
दुसरे शब्दों में:
किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की वृद्धि अथवा हाइड्रोजन का ह्रास होता है अथवा दोनों हो तो इसे उपचयन (oxidation) कहते हैं |
उपचयन का उदाहरण:
ऑक्सीजन में वृद्धि के लिए --
(i) [कार्बन में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है और यह कार्बन डाइऑक्साइड में उपचयित (oxidised) होता है ]
(ii) [फोस्फोरस में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है एवं यह फोस्फोरस पेंटाऑक्साइड में उपचयित (oxidised) होता है |]
(iii) [इसमें कॉपर में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है और यह कॉपर ऑक्साइड में उपचयित (oxidised) होता है ]
हाइड्रोजन का ह्रास:
उपचयन का उदाहरण:
(i) [सल्फर हाइड्राइड से हाइड्रोजन का ह्रास होता है और उपचयित (oxidised)होता है |]
(ii) [यहाँ भी सल्फर हाइड्राइड से हाइड्रोजन का ह्रास होता है और उपचयित (oxidised) होता है |]
(iii) [यहाँ मीथेन से हाइड्रोजन का ह्रास होता है एवं यह उपचयित (oxidised) होता है ]
अपचयन अभिक्रिया (Reduction Reaction): ऑक्सीजन का ह्रास एवं हाइड्रोजन में वृद्धि अपचयन होता है |
दुसरे शब्दों में:
किसी पदार्थ में हाइड्रोजन की वृद्धि अथवा ऑक्सीजन का ह्रास अथवा दोनों हो तो इसे अपचयन कहते है |
कभी-कभी ये दोनों अभिक्रियाएँ साथ-साथ होती है :
रेडोक्स अभिक्रिया (Redox Reaction): ऐसी अभिक्रिया जिसमें अभिक्रिया के दौरान एक अभिकारक उपचयित (oxidised) होता है जबकि दूसरा अपचयित होता है उसे रेडोक्स अभिक्रिया कहते हैं |
दुसरे शब्दों में;
जब किसी अभिक्रिया के दौरान उपचयन की क्रिया एवं अपचयन की क्रिया एक साथ होता हो उसे रेडोक्स अभिक्रिया कहते हैं |
उदाहरण;
यहाँ एक ही अभिक्रियाँ में उपचयन एवं अपचयन दोनों की क्रिया हो रही है इसलिए यह रेडोक्स अभिक्रिया है |
ऑक्सीकारक (Oxidising Agent/Oxidants/Oxidisers):
वह पदार्थ जो उपचयन के लिए ऑक्सीजन देता है या अपचयन के लिए हाइड्रोजन को हटाता है, ऑक्सीकारक कहलाता है |
अवकारक (Reducing agent):
वह पदार्थ जो ऑक्सीजन के हटने के लिए उत्तरदायी होता है अथवा अपचयन के लिए हाइड्रोजन देता है, अवकारक कहलाता है |
उदाहरण:
यहाँ उपरोक्त उदाहरण में CuO कॉपर ऑक्साइड का कॉपर में अपचयन (अवकरण) होता है अत: CuO (कॉपर ऑक्साइड) अपचयित पदार्थ है | चूँकि CuO (कॉपर ऑक्साइड) उपचयन के लिए ऑक्सीजन प्रदान करता है, जिससे हाइड्रोजन ऑक्सीकृत होता है अत: कॉपर ऑक्साइड ऑक्सीकारक है |
H2 हाइड्रोजन जल H2O में आक्सीकृत होता है, अत: एवं यह ऑक्सीजन के CuO (कॉपर ऑक्साइड) से हटने के लिए उत्तरदायी है | H2 (हाइड्रोजन) एक अवकारक है |
सरांश :
(a) उपचयित पदार्थ : H2 // जिसमें ऑक्सीजन की वृद्धि होती है |
(b) अपचयित पदार्थ: CuO // जिससे ऑक्सीजन का ह्रास होता है |
(c) ऑक्सीकारक :CuO // जो उपचयन के लिए ऑक्सीजन प्रदान करता है |
(d) अवकारक : H2 // जो ऑक्सीजन के ह्रास के लिए उत्तरदायी है |
उपचयन का प्रभाव:
हमारे दैनिक जीवन में ऐसी बहुत सी अभिक्रियाएँ हमारे आस-पास होती रहती है जिसमें से धातुओं का संक्षारण एवं खाद्य पदार्थो का विकृतगंधित हो जाना सामान्य उदाहरण है जो उपचयन अभिक्रिया के प्रभाव से होता है |
1. संक्षारण (Corrosion):
वह प्रक्रिया जिसमें हवा, जल एवं नमी के संपर्क में आकर धातु की सतह धीरे-धीरे ह्रास होने लगता है, इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते है |
दुसरे शब्दों में :
वह प्रक्रिया जिसमें हवा, जल एवं नमी से अभिक्रिया कर किसी धातु की सतह संक्षारित (गलना) हो जाती है तो ऐसी प्रक्रिया को संक्षारण कहते है |
नोट-** संक्षारण एवं जंग लगना दोनों अलग चीज है, जंग लगाने से लोहे जैसी धातु की सतह संक्षारित हो जाती है |
संक्षारण से बचाव (Preventing Corrosion):
संक्षारण से बचाव की निम्न विधियाँ हैं |
(i) जस्तीकरण (galvonisation)
(ii) धातु की सतह को पेंट करके
(iii) धातु की सतह पर तेल लगाकर या ग्रीस लगाकर
जस्तीकरण (Galvonisation): किसी धातु की सतह पर विध्युत लेपन द्वारा जस्ते (zinc) की पतली परत चढाने की प्रक्रिया को जस्तीकरण कहते है |
2. विकृतगंधिता (Rancidity):
भोजन में उपस्थित वसा एवं तेल का वायुजनित उपचयन जिससे उसका स्वाद एवं गंध बदल कर बदबूदार हो जाता है भोजन का इस प्रकार ख़राब होना विकृतगंधिता कहलाता है |
विकृतगंधिता एक घटना है जब बहुत समय रखने के बाद वसा/तेलीय खाद्य पदार्थ उपचयित हो जाता है जिससे उसका स्वाद बदल जाता है |
वसा अथवा तेल में तैयार किया गया खाद्य पदार्थ जैसे सब्जी, चिप्स, तथा भुजिया आदि को विकृतगंधित होने से ख़राब कर देता है |
उपचयित खाद्य पदार्थ का स्वाद बदल जाता है |
विकृत गंधित भोजन खाने योग्य नहीं होता है |
Preventing fat/oil containing foods from rancidity:
वसा एवं तेलीय खाद्य पदार्थ का विकृतगंधिता से बचाव:
वसा एवं तेलीय खाद्य पदार्थ को विकृतगंधित होने से बचाया जा सकता है अथवा इसकी दर को कम किया जा सकता है | इसको रोकने की निम्न विधियाँ हैं |
(i) वसा एवं तेलीय खाद्य पदार्थों में एंटी-ऑक्सीडेंट (anti-oxidants) डालने से इसे विकृतगंधित होने से बचाया जा सकता है |
(ii) खाद्य पदार्थों के पैकिंग के समय बर्तन से ऑक्सीजन गैस को हटा कर नाइट्रोजन गैस से भरा जाता है | इससे विकृतगंधित होने से बचाया जा सकता है |
(iii) उपचयन की दर को कम करने के लिए वायु-मुक्त बर्तन में खाद्य पदार्थों को रखने से विकृतगंधित होने की दर को कम किया जा सकता है |
(iv) खाद्य पदार्थों को विकृतगंधिता से बचाने के लिए ऊष्मा एवं प्रकाश से दूर रखा जाता है |
(v) खाद्य पदार्थों को विकृतगंधिता से बचाने के लिए एवं उसकी दर को कम करने के लिए रेफ्रीजेरेटर ने रखा जाता है |