-->

Recent Posts

Monday 24 October 2016

* आधुनिक आवर्त सारणी:

* आधुनिक आवर्त सारणी:

तत्व के परमाणु द्रव्यमान की तुलना में उसका परमाणु-संख्या अधिक आधारभूत गुणधर्म है।

यह बात सन 1913 में हेनरी मोज़्ले ने बताई और फिर मेंडेलीफ़ की आवर्त सारणी में परिवर्तन किया गया और परमाणु संख्या को आधार बनाकर एक नयी आवर्त सारणी का रूप दिया गया, जिसे आधुनिक आवर्त सारणी का नाम दिया गया है |

परमाणु संख्या से हमें परमाणु के नाभिक में स्थित प्रोटोनों की संख्या का पता चलता है तथा एक तत्व से दूसरे तक बढ़ने पर इस संख्या में एक की बढ़ोतरी होती है। तत्वों को उनकी परमाणु-संख्या (Z) के आरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर जो वर्गीकरण प्राप्त होता है उसे आधुनिक आवर्त सारणी कहा जाता है

* आधुनिक आवर्त नियम:

आधुनिक आर्वत सारणी में तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणु संख्या के आवर्त फलन होते है।

* आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों की स्थिति :

आधुनिक आवर्त सारणी में 18 उर्ध्व स्तंभ हैं जिन्हें ‘समूह’ कहा जाता है तथा 7 क्षैतिज
पक्तियाँ हैं जिन्हें ‘आवर्त’ कहा जाता है।

आधुनिक आवर्त सारणी और मेंडेलीफ़ की आवर्त सारणी में अंतर:

* मेंडेलीफ़ की आवर्त सारणी :-

आधुनिक आवर्त सारणी :- 1. तत्वों को बढते परमाणु क्रमांक में व्यवस्थित किया गया है।

आधुनिक आवर्त सारणी :- 2. इस आवर्त सारणी में 18 उध्र्वाधर स्तंभ और 7 क्षैतिज पंक्तियाॅ है।

आधुनिक आवर्त सारणी :- 3. तत्वों के समस्थानिकों को उनके संगत तत्वों के स्थान पर ही रखा गया है क्योंकि उनके परमाणु  क्रमांक समान होते है।

आधुनिक आवर्त सारणी :- 4. रासायनिक रूप से असमान तत्वों को पृथक पृथक वर्गो में रखा गया है।

मेंडेलीफ़ की आवर्त सारणी :-1. तत्वों को बढते परमाणु द्रव्यमानों में व्यवस्थित किया गया है।

मेंडेलीफ़ की आवर्त सारणी :-2. इस आवर्त सारणी में 8 उध्र्वाधर स्तंभ और 6 क्षैतिज पंक्तियाॅ है।

मेंडेलीफ़ की आवर्त सारणी :-3. तत्वों के समस्थानिकों को उचित स्थान नहीं मिले है।

मेंडेलीफ़ की आवर्त सारणी :-4. रासायनिक रूप से असमान तत्वों को एक साथ रखा गया है।

* उत्कृष्ट गैसों की स्थिति:

उत्कृष्ट गैसों को एक अलग समूह में रखा गया है |

इन गैसों को अलग समूह में रखने के निम्नलिखित कारण हैं :

(i) उत्कृष्ट गैसों की खोज बाद में हुई, फिर मेंडेलीफ़ आवर्त सारणी में पूर्व व्यवस्था में बीना किसी परिवर्तन के ही रखा जा सका |

(ii) ये सभी समान रासायनिक गुणधर्म होते हैं | और ये बहुत अक्रिय होते हैं क्योंकि इनकी संयोजकता शुन्य होता है |

(iii) इनका अष्टक पूर्ण होता है और ये किसी भी तत्व से इलेक्ट्रान की साझेदारी नहीं करते है | ये एकल परमाणुक होते हैं |

* समूह (Groups):

आधुनिक आवर्त सारणी में समूह, बाहरी कोश के सर्वसम इलेक्ट्राॅनिक विन्यास को दर्शाता है | यद्यपि समूह में उपर से नीचे की ओर जाने पर कोशों की संख्या बढ़ती जाती है।

एक समूह में तत्वों की संयोजकता इलेक्ट्रोनों की संख्या समान रहती है |

* आवर्त (Periods):

एक ही आवर्त में जब हम आगे बढ़ते है तो देखते हैं कि :

(i) तत्वों के संयोजकता इलेक्ट्रोनों की संख्या भिन्न-भिन्न है लेकिन कोशों की संख्या सामान है |

(ii) आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर यदि परमाणु-संख्या में इकाई की वृद्धि होती है तो संयोजकता इलेक्ट्राॅनों की संख्या में भी इकाई वृद्धि होती है।

(iii) प्रत्येक आवर्त दर्शाता है कि एक नया कोश इलेक्ट्राॅनों से भरा गया।

(iv) किसी कोश में इलेक्ट्राॅनों की अधिकतम संख्या एक सूत्र 2n2 पर निर्भर करती है जहाँ n, नाभिक से नियत कोश की संख्या को दर्शाता है।

दुसरे और तीसरे आवर्त में 8 ही तत्व होते हैं क्योंकि इन तत्वों का L और M कोष होता है जिनमें 8 से अधिक इलेक्ट्रोन नहीं हो सकते हैं |

* आवर्त सारणी में तत्वों की स्थिति:

आवर्त सारणी में तत्वों की स्थिति से उनकी रासायनिक अभिक्रियाशीलता का पता चलता है। तत्व द्वारा निर्मित आबंध के प्रारूप तथा इसकी संख्या संयोजकता इलेक्ट्राॅनों द्वारा निर्धारित होती है।

संयोजकता: किसी भी तत्व की संयोजकता उसके परमाणु के सबसे बाहरी कोश में उपस्थित संयोजकता इलेक्ट्राॅनों की संख्या से निर्धारित होती है।
Read more

* मेंडेलिफ की आवर्त सारणी :

* मेंडेलिफ की आवर्त सारणी :

अपनी सारणी में तत्वों को उनके मूल गुणधर्म, परमाणु द्रव्यमान तथा रासायनिक

गुणधर्मों में समानता के आधार पर व्यवस्थित किया।

जब मेन्डेलीफ ने अपना कार्य आरंभ किया तब तक 63 तत्व ज्ञात थे।

उन्होंने तत्वों के परमाणु द्रव्यमान एवं उनके भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्मों के बीच संबंधों का अध्ययन किया |

मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में उर्ध्व स्तंभ को ‘ग्रुप’ (समूह) तथा क्षैतिज पंक्तियों को ‘पीरियड’ (आवर्त) कहते हैं |

* ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन के साथ बनने वाले यौगिक का चुनाव:

उन्होंने आॅक्सीजन एवं हाइड्रोजन का इसलिए चुनाव किया क्योंकि ये अत्यंत सक्रिय हैं तथा

अधिकांश तत्वों के साथ यौगिक बनाते हैं। तत्व से बनने वाले हाइड्राइड एवं आॅक्साइड के सूत्र को तत्वों के वर्गीकरण के लिए मूलभूत गुणधर्म माना गया।

* मेंडेलीफ़ की आवर्त सारणी का अवलोकन :

(i) अधिकांश तत्वों को आवर्त सारणी में स्थान मिल गया था |

(ii) अपने परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में ये तत्व व्यवस्थित हो गए।

(iii) यह भी देखा गया कि समान भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म वाले विभिन्न तत्व एक निश्चित अंतराल के बाद फिर आ जाते हैं।

मेंडेलीफ का आवर्त नियम अथवा मेंडेलीफ़ का आवर्त सिद्धांत:

मेंडेलीफ का आवर्त सारणी में तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणु द्रव्यमान का आवर्त फलन होते है।

* मेंन्डेलीफ की आवर्त सारणी की उपलब्धियाॅ :

(i) सभी तत्वों  का वर्गीकरण संभव हो सका ।

(ii) उन्होंनें आर्वत सारणी में तत्वों के द्रव्यमान को अपना आधार बनाया।

(iii) इस आर्वत सारणी में नयें तत्वों के लिए रिक्त स्थान छोडे गए जिन्हें बाद में खोज लिया गया ।

(iv) जब अक्रिय गैसों का पता चला तब पिछली व्यवस्था को छेड़े बिना ही इन्हें नए समूह में रखा जा सका।

* मेंडिलिफ की आर्वत सारणी की कमियाॅ :

(i) मेंडेलीफ की आर्वत सारणी में हाइड्रोजन को न्यायसंगत स्थान नहीं दिया गया है।

(ii) इस आर्वत सारणी में समस्थानिकों के लिए स्थान नहीं है।
Read more

* डाॅबेराइनर के त्रिक :

* डाॅबेराइनर के त्रिक :

डाॅबेराइनर ने तीन तत्वों का त्रिक बनाया जिन्हें परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में रखने पर बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान, अन्य दो तत्वों के परमाणु द्रव्यमान का लगभग औसत होता है | इस नियम को डाॅबेराइनर का त्रिक का नियम कहते हैं |

उदाहरण:

(i) लिथियम (Li), सोडियम (Na) एवं पोटैशियम (K) |

(ii) कैल्शियम (Ca), स्ट्रांटियम (Sr) एवं बेरियम (Ba) |

(iii) क्लोरीन (Cl), ब्रोमिन (Br) एवं आयोडीन (I) |

डाॅबेराइनर उस समय तक केवल तीन ही त्रिक ज्ञात कर सके थे |

डाॅबेराइनर त्रिक की असफलता : जिस आधार पर जे. डब्ल्यू डाॅबेराइनर ने त्रिक बनाए थे उस आधार पर वे तीन ही त्रिक का पता लगा पाए वे अन्य तत्वों के साथ कोई और त्रिक नहीं बता सके | इसलिए त्रिक में वर्गीकृत करने की यह पद्धति सफल नहीं रही |

* न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धांत:

सन् 1866 में अंग्रेज़ वैज्ञानिक जाॅन न्यूलैंड्स ने ज्ञात तत्वों को परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में व्यवस्थित किया। उन्होंने सबसे कम परमाणु द्रव्यमान वाले तत्व हाइड्रोजन से आरंभ किया तथा 56वें तत्व थोरियम पर इसे समाप्त किया। उन्होंने पाया कि प्रत्येक आठवें तत्व का गुणधर्म पहले तत्व के गुणधर्म के समान है। उन्होंने इसकी तुलना संगीत के अष्टक से की और
इसलिए उन्होंने इसे अष्टक का सिद्धांत कहा। इसे ‘न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धांत’ के नाम से जाना जाता है।

* इस सिद्धांत के अनुसार:

तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने पर प्रत्येक आठवें तत्व का गुणधर्म पहले तत्व के गुणधर्म के समान होता है। इस नियम को न्यूलैंड्स का अष्टक नियम कहा जाता है |

न्युलैंड्स का अष्टक नियम की क्या सीमाएॅ :

1. अष्टक का नियम का यह सिद्धांत केवल कैल्सियम तक ही लागु होता था ।

2. न्युलैंड ने सोचा 56 तत्वों के अलावा भविष्य में अन्य तत्व नहीं मिल सकेगा, लेकिन बाद में नए तत्व पाए गुए और मिले तत्वों के गुणधर्म अष्टक सिद्धांत से नहीं नहीं मिलते थे।

3. न्युलैंड का अष्टक सिद्धांत केवल हल्के तत्वों के लिए ही ठीक प्रकार से लागू हो सका ।

4. आयरन को कोबाल्ट एवं निकैल से दूर रखा गया है जबकि उनके गुणधर्म में समानता है | 
Read more

* एल्किन की संरचना (Structure of alkenes):

* एल्किन की संरचना (Structure of alkenes):

एल्किन का समान्य सूत्र (General Formula): CnH2n है |

सबसे सरलतम एल्किन का नाम एथीन (C2H4) है |

चूँकि एथीन में 2 कार्बन परमाणु होते हैं |

इसलिए, अब समान्य सूत्र में n = 2 रखने पर;

C2H2x2 = C2H4

प्रोपीन में 3 कार्बन के परमाणु होते हैं ;

अत: समान्य सूत्र में n = 3 रखने पर;

C3H2x3 = C3H6

इसीप्रकार, हम अन्य दुसरे एल्किन जैसे ब्युटिन, पेंटीन और हेक्सिन आदि को कार्बन परमाणुओं को n मानकर समान्य सूत्र में मान रखकर प्राप्त कर सकते है |

एल्किन (Alkenes): The  असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें कार्बन-कार्बन परमाणुओं के बीच द्वि-आबंध होता है एल्किन कहलाता है |

सबसे सरलतम एल्किन का नाम एथीन है |

एल्किनों के नाम अणु सूत्र संक्षिप्त संरचना सूत्र
   
एथीन C2H4 CH2=CH2
प्रोपीन   C3H6 CH3CH=CH2
ब्युटिन   C4H8 CH3CH2CH=CH2
पेंटीन   C5H10 CH3CH2CH2CH=CH2
हेक्सिन C6H12 CH3CH2CH2CH2CH=CH2
हेप्टीन C7H14 CH3CH2CH2CH2CH2CH=CH2
ओक्टीन   C8H16 CH3CH2CH2CH2CH2CH2CH=CH2
नोनीन C9H18 CH3CH2CH2CH2CH2CH2CH2CH=CH2
डेकीन      C10H20 CH3CH2CH2CH2CH2CH2CH2CH2CH=CH2

एल्किन का संरचना सूत्र (Structural Formula of Alkene):

एल्किन का नाम अणु सूत्र
   
एथीन   C2H4
प्रोपीन   C3H6
ब्युटिन   C4H8
पेंटीन   C5H10
हेक्सिन C6H12
हेप्टीन C7H14
ओक्टीन   C8H16
नोनीन C9H18
डेकीन   C10H20

एथीन का इलेक्ट्रोन डॉट संरचना (Electron Dot Sructure of Ethene):
 
एथीन (C2H4)

प्रोपीन का इलेक्ट्रोन डॉट संरचना (Electron Dot Sructure of Propene):

प्रोपीन (C2H4)

इसीप्रकार हम अन्य सभी एल्किनों का इलेक्ट्रोन डॉट संरचना बना सकते हैं |
Read more

* संतृप्त कार्बन यौगिक (Saturated Carbon Compounds):

* संतृप्त कार्बन यौगिक (Saturated Carbon Compounds):

वह कार्बन यौगिक जो कार्बन-कार्बन परमाणुओं से केवल एकल आबंध से जुड़े होते है संतृप्त कार्बन यौगिक कहलाते हैं |

उदाहरण: सभी एल्केन जैसे मीथेन, इथेन, प्रोपेन और ब्युटेंन आदि |

एल्केन का समान्य सूत्र (General formula): CnH2n+2

मीथेन का सूत्र प्राप्त करने के लिए इस सूत्र का प्रयोग:

CnH2n+2

n =1 रखने पर हम पाते हैं :

C1H2x1 + 2

CH4

इसी प्रकार;

इथेन के लिए:

n =2 रखने पर हमें प्राप्त होता है :

C2H2x2 + 2

C2H6

ऐसे ही हम प्रोपेन, ब्यूटेन और पेंटेन आदि का भी ज्ञात कर सकते है |

एल्केन (Alkanes): The संतृप्त हाइड्रोकार्बन जिसमें कार्बन परमाणु केवल एकल आबंध से जुड़े रहते है एल्केन कहलाता है |

एल्केन का नाम   अणु सूत्र   संक्षिप्त संरचना सूत्र (Condensed Formula)

मीथेन       CH4 CH4
इथेन C2H6 CH3CH3
प्रोपेन C3H8 CH3CH2CH3
ब्यूटेन C4H10 CH3CH2CH2CH3
पेंटेन   C5H12 CH3CH2CH2CH2CH3
हेक्सेन      C6H14 CH3CH2CH2CH2CH2CH3
हेप्टेन C7H16 CH3CH2CH2CH2CH2CH2CH3
ओक्टेन C8H18 CH3CH2CH2CH2CH2CH2CH2CH3
नोनेन        C9H20 CH3CH2CH2CH2CH2CH2CH2CH2CH3
डेकेन C10H22  CH3CH2CH2CH2CH2CH2CH2CH2CH2CH3

मीथेन की संरचना (एकल आबंध):

अकेला कार्बन परमाणु जिसकी चार असंतुष्ट संयोजकता होती है हाइड्रोजन के परमाणुओं से इस आकृति की तरह जुड़ा होता है |
                                                                                 
मीथेन का इलेक्ट्रोन बिंदु संरचना

इथेन की संरचना (एकल आबंध):

C - C [ कार्बन परमाणु एकल आबंध से एक दुसरे से जुड़े रहते हैं |]

दिए गए आकृति की तरह कार्बन के बाकी असंतुष्ट संयोजकता को हाइड्रोजन परमाणुओं से जोडिए |
                                                                   
इथेन का इलेक्ट्रोन बिंदु संरचना

इसी प्रकार

प्रोपेन का संरचना सूत्र (एकल आबंध):

ब्यूटेन का संरचना सूत्र (एकल आबंध):

पेंटेन का संरचना सूत्र (एकल आबंध):

हेक्सेन का संरचना सूत्र (एकल आबंध): 
Read more

* हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbons):

* हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbons): वे सभी कार्बन यौगिक जो सिर्फ कार्बन और हाइड्रोजन से बने है हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं |
   
कार्बनिक यौगिकों के सूत्र (Formulae of organic compounds):

(i) समान्य सूत्र (General formula): किसी अणु में प्रत्येक परमाणु के n संख्या के लिए प्रदर्शित करने वाले फलन (function) को समान्य सूत्र कहते हैं |

उदाहरण: एल्केन के लिए: CnH2n+2

(ii) अणु सूत्र (Molecular formula): अणु सूत्र  किसी अणु में परमाणुओं के वास्तविक संख्या को प्रदर्शित करता है |

उदाहरण: एथेन के लिए : C2H6

2 कार्बन और 6 हाइड्रोजन

(iii) संक्षिप्त सूत्र (Condensed formula): संक्षिप्त सूत्र प्रत्येक कार्बन परमाणु से जुड़े परमाणुओं के समूह को प्रदर्शित करता है |

उदाहरण: एथेन के लिए: CH3CH3

(iv) संरचना सूत्र (Structural formula): Itयह किसी अणु के परमाणुओं के ठीक-ठीक व्यवस्था को दर्शाता है |

उदाहरण: एथेन के लिए:

(v) इलेक्ट्रोनिक सूत्र (Electronic formula): इलेक्ट्रॉनिक सूत्र किसी अणु के परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रोनों की साझेदारी को प्रदर्शित करता है |  इसे इलेक्ट्रोन बिंदु संरचना सूत्र भी कहते हैं | 
Read more

* कार्बन बंध के कुछ गुण

* कार्बन बंध के कुछ गुण

(i) अधिकतर अन्य तत्वों के साथ कार्बन द्वारा बनाए गए आबंध अत्यंत प्रबल होते
हैं जिनके फलस्वरूप ये यौगिक अतिशय रूप में स्थायी होते हैं।

(ii) कार्बन द्वारा प्रबल आबंधों के निर्माण का एक कारण इसका छोटा आकार भी है।

(iii) इसके कारण इलेक्ट्राॅन के सहभागी युग्मों को नाभिक मज़बूती से पकड़े रहता है।

(iv) बड़े परमाणुओं वाले तत्वों से बने आबंध तुलना में अत्यंत दुर्बल होते हैं।

कार्बन द्वारा बने यौगिक और अन्य दुसरे बड़े परमाणुओं द्वारा बने यौगिकों में अंतर :

कार्बन द्वारा प्रबल आबंधों के निर्माण का एक कारण इसका छोटा आकार भी है। इसके कारण इलेक्ट्राॅन के सहभागी युग्मों को नाभिक मज़बूती से पकड़े रहता है। बड़े परमाणुओं वाले तत्वों से बने आबंध तुलना में अत्यंत दुर्बल होते हैं।

कार्बन द्वारा बड़ी संख्या में यौगिक निर्मित होते हैं  |

कार्बन के निम्नलिखित गुणों के कारण प्रकृति में बड़ी संख्या में कार्बनिक यौगिक बनते हैं |

(i) सहसंयोजी आबंध का बनाना (Forming covelent bond): सहसंयोजी आबंध बनाने के गुण के कारण कार्बन बड़ी संख्या में यौगिक का निर्माण करता है |

(ii) श्रृंखलन (Catenation): कार्बन-कार्बन बंध बहुत ही मजबूत और स्थायी होता है | इसके कारण कार्बन से ही कार्बन में एक दुसरे से जुड़कर बड़ी संख्या में यौगिक देता है |

(iii) चतुसंयोजकता (Tetravalency): चूँकि कार्बन की संयोजकता चार होती है, अतः इसमें कार्बन के चार अन्य परमाणुओं अथवा कुछ अन्य एक संयोजक तत्वों के परमाणुओं के साथ आबंधन की क्षमता होती है। जिसके कारण बड़ी संख्या में यौगिक बनाता है | 
Read more

WorldGujjars © 2014. All Rights Reserved | Powered By Blogger | Blogger Templates

Designed by- Dapinder