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Friday, 29 April 2016

इस शौक के कारण स्वास्थ्य प्रभावित होता है

इस शौक के कारण स्वास्थ्य प्रभावित होता है



समुद्रशास्त्र के अनुसार गुरु पर्वत का अधिक ऊंचा होना बताता है कि व्यक्ति जरुरत से अधिक खाने पीने का शौकीन होगा। तंबाकू और शराब पीने का शौक हो सकता है। इसके कारण इन्हें पेट संबंधी रोग और अपच की शिकायत हो सकती है।

ऐसा व्यक्ति धर्म कर्म के काम तो करता है लेकिन जरुरत से अधिक दिखावा भी करता है। इस पर्वत पर क्रास के चिन्ह या जाली होने पर भी व्यक्ति बहुत अधिक खाने पीने वाला होता है। जिनके गुरु पर्वत पर जाली या क्रास का चिन्ह होता है उन्हें भी धन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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आर्थिक परेशानी बताता है

आर्थिक परेशानी बताता है



हथेली में तर्जनी ऊंगली के नीचे के स्थान को गुरु पर्वत कहते हैं। समुद्रशास्त्र के अनुसार यह स्थान व्यक्ति के जीवन में गुरु के प्रभाव को बताता है। गुरु धर्म, धन और व्यक्ति के चरित्र को भी दर्शता है।

गुरु पर्वत दबा हुआ होना व्यक्ति के जीवन में आर्थिक पक्ष की कमजोरी को दर्शाता है। लेकिन अधिक ऊंचा होना उससे भी बुड़ी स्थिति को बताता है।
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बंद मुट्ठी में ब्रह्मा जी का लेख

बंद मुट्ठी में ब्रह्मा जी का लेख



आपने देखा होगा कि बच्चा जब जन्म लेता है तो उसकी मु्ट्ठी बंद रहती है। कहते हैं इस बंद मुट्ठी में ब्रह्मा जी व्यक्ति का भाग्य लिखकर उसे धरती पर भेजते हैं।

अगर व्यक्ति अपनी कुंडली नहीं भी बनाए तो हथेली देखकर जीवन की हर छोटी बड़ी चीजें जान सकता है। ब्रह्मा जी ने समुद्रशास्त्र में कुमार कार्तिक को हस्तरेखा से जुड़ी कई राज की बातें बताई हैं। उनमें से एक राज यह भी है।
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Kya aapka anghutha aisa hai

अंगूठा छोटा और मोटा हो



समुद्रशास्त्र के अनुसार जिन व्यक्तियों का अंगूठा छोटा और मोटा होता है वह बड़े ही क्रोधी होते हैं। ऐसे व्यक्ति बुद्घि और विवेक की बजाय भावुकता से काम लेते हैं। ऐसे व्यक्तियों को सफलता के लिए बौद्घिकता योग्यता को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।




ऐसे व्यक्ति जल्दी बहकावे में आ जाते हैं



जिन व्यक्तियों के अंगूठे का ऊपरी भाग अधिक पतला होता है उनमें आत्मबल की कमी होती है। ऐसे व्यक्ति दूसरों की बातों और विचारों से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। इनमें निर्णय क्षमता की कमी होती है।



बुद्घिमान होते हैं ऐसे अंगूठे वाले



जिन व्यक्तियों के अंगूठे का दूसरा पोर पहले और तीसरे पोर से अधिक पतला होता है वह बड़े ही समझदार और दूरदर्शी होते हैं।

ऐसे व्यक्ति कोई भी निर्णय सोच-समझकर उठाते हैं। इनमें अच्छे सलाहकार के गुण पाए जाते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज और परिवार में सम्मानित होते हैं।





अंगूठा अगर ऊपर से मोटा है



समुद्रशास्त्र में बताया गया है कि जिस व्यक्ति के अंगूठे का तीसरा पोर यानी यानी ऊपरी भाग अधिक मोटा होता है वह बहुत ही चालक और जिद्दी व्यक्ति होता है।

ऐसे व्यक्ति में भावुकता की कमी रहती है। यह अपने मतलब और फायदे को ध्यान में रखकर ही दूसरों की सहायता करते हैं या उनसे नाता रखते हैं।




अगर आपका अंगूठा यूं मुड़ जाता है



जिन व्यक्तियों का अंगूठा लचीला होता है और पीछे के ओर मुड़ जाता है वह लचीले स्वभाव वाले व्यक्ति होते हैं। ऐसे व्यक्तियों में परिस्थिति के अनुसार खुद को ढाल लेने की योग्यता होती है। इन खूब धन कमाने की चाहत होती है लेकिन प्रयास करने पर भी धन बचाना इनके लिए कठिन होता है।

यह अपने समय को बेकार नष्ट करने की बजाय कुछ उपायोगी कामों में लगाना पसंद करते हैं। इनके स्वभाव में एक कमी यह होती है कि दूसरों की बातों से जल्दी प्रभावित हो जाते हैं और जल्दी भावुक हो जाते हैं।


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Thursday, 28 April 2016

गुरु पर्वत के सामान्य लक्षण

गुरु पर्वत के सामान्य लक्षण

तर्जनी के आधार पर स्थित पर्वत गुरु के पर्वत के रूप में जाना जाता है। यह व्यक्ति मे नेतृत्व, वर्चस्व, अधिकार, गर्व, आत्म-प्रशंसा और सम्मान की हद तक का प्रतिनिधित्व करता है। विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को शासन का नेतृत्व करने वाला तथा संगठित करने एवं असामान्य विचार पर काम करने की इच्छा को दर्शाता है लेकिन, यह अच्छे गुण केवल तभी कार्यान्वित हो सकते हैं यदि मस्तिष्क रेखा लंबी और स्पष्ट हो।

गुरु पर्वत की ऊंचाई | Elevation of the Guru Parvat

विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को महत्वाकांक्षी बनाता है। यह लोग धन से अधिक अपने ओहदे को महत्व देते हैं। ऐसे लोग अच्छे सलाहकार होते हैं। यह लोग कानून के दायरे मे रह कर कार्य करते हैं। ऐसे लोग अनेक तरह के व्यंजन खाने के शौकीन होते हैं और अपने परिवार से मोह करते हैं।
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अधिक विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को अहंकारी, दिखावटी, क्रूर और इर्ष्यालु बनाता है। ऐसे लोग अधिक खर्चीले होते हैं।
यदि गुरु पर्वत अर्धविकसित हो तो व्यक्ति में गुरु संबंधित बुनियादी प्रवृत्ति विकसित नही होती है।

गुरु पर्वत से संबंधित उंगलियां | Finger Related to Guru Parvat

गुरु की उंगली तर्जनी उंगली होती है। यदि तर्जनी उंगली सामान्य से अधिक लंबी हो, तो व्यक्ति में लापरवाही और तानाशाही बढ़ जाती है। जब यह छोटी हो तो व्यक्ति मे ये विशेषताएँ लुप्त होती हैं। यदि यह उंगली विकृत है तो व्यक्ति चालाक, स्वार्थी और  पाखंडी होता है।
जब तर्जनी उंगली का पहला खंड लंबा हो तो व्यक्ति राजनीति, धर्म, और शिक्षण क्षेत्रों में कुशल होते हैं। यदि उंगली का दूसरा खंड लंबा हो तो व्यक्ति व्यापारी होता है और उंगली का तीसरा खंड लंबा हो तो ऐसे व्यक्ति विभिन्न प्रकार के व्यंजन के शौकीन होते हैं।

गुरु पर्वत का शीर्ष | Apex of Guru Parvat

गुरु पर्वत के बिंदु पर जब चारों ओर से रेखाएं जुड़ती हैं तो उसे शिखर रुप मे जाना जाता है। यदि यह शिखर गुरु पर्वत के केंद्र मे हो तो व्यक्ति गुरु संबंधित गुणों को बनाए रखता है। यदि यह शिखर शनि पर्वत की ओर  झुका हो तो व्यक्ति अनुशासित, गंभीर, उदास और उपेक्षित होगा। जब यह शिखर हृदय रेखा के पास स्थित हो तो व्यक्ति अपने परिवार के लिये कार्य करेगा। जब यह शिखर मस्तिष्क रेखा के पास स्थित हो तो व्यक्ति बौद्धिक गतिविधियों में शामिल किया जाएगा ।
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मंगल पर्वत की सामान्य विशेषताएँ

मंगल पर्वत की सामान्य विशेषताएँ

हथेली में मंगल पर्वत दो स्थानों पर स्थित है। पहला, यह जीवन रेखा के ऊपरी स्थान के नीचे स्थित है,और दूसरा उसके विपरीत हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच मे स्थित है। पहला स्थान व्यक्ति मे शारीरिक विशेषताओं को और दूसरा मानसिक विशेषताओं को दर्शाता है। यह व्यक्ति मे निर्भयता, साहस, उद्दंडता, क्रोध, उत्साह, बहादुरी और वीरता की हद को दर्शाता है। ऐसे लोग अपने उद्देश्यों के प्रति दृढ़ संकल्प रहते हैं। आमतौर पर यह नेक दिल और उदार होते हैं लेकिन यह अप्रत्याशित और आवेगी भी होते हैं। इनका सबसे बड़ा दोष इनमें आवेग और आत्म नियंत्रण की कमी है। मस्तिष्क रेखा लंबी होने के बावजूद यह सभी प्रकार की कठिनाइयों और ख़तरों का सामना करते हैं।
लोग ऐसे व्यक्तियों कि आलोचना उनके क्रोध और विचारों में कट्टरवादी होने के कारण करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को आत्म -नियंत्रण का अभ्यास  करना चाहिये  और सभी प्रकार की मदिरा और उत्तेजक पदार्थो  से दूर रहना चाहिए।

उन्नत मंगल पर्वत | Elevation of Mangal Parvat

विकसित मंगल पर्वत, व्यक्ति को अत्यंत प्रभावशाली बनाता है और जल्दबाजी में निर्णय लेने वाला बनाता है। ऐसे लोग प्रत्येक कार्य को जल्दी मे करते हैं और आक्रामक स्वभाव वाले होते हैं। अक्सर अंत मे चीजें तोड़ते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत साहसी होते हैं और शत्रु की बड़ी संख्या होने पर भी यह नही डरते। मंगल ग्रह अगर विकसित हो तो  लोग अक्सर आर्मी या सशस्त्र बल के साथ जुड़े होते हैं।
यदि मंगल पर्वत अधिक विकसित है तो व्यक्ति मे मंगल संबंधित विशेषताएँ बढ़ती हैं। ऐसे लोग अत्यंत शक्तिशाली बन जाते हैं और अपनी शक्ति के द्वारा वह कमजोरों का शोषण करते हैं। अक्सर ऐसे लोग समाज विरोधी गतिविधियों जैसे चोरी, डकैती, लूट आदि मे शामिल होकर अत्यंत क्रूर बन जाते हैं।
कम विकसित मंगल पर्वत व्यक्ति को कायर बनाता है। लेकिन वह बहादुर  होने का दावा करता है।  जब अवसर की मांग और समय आता है, तो वह अपने कदम वापस ले लेता है।

मंगल पर्वत का शीर्ष | Apex of Mangal Parvat

यदि मंगल पर्वत का उन्नयन शुक्र पर्वत की ओर स्थित है, तो व्यक्ति प्यार में उत्साही होता है और जब वह गुरु पर्वत की ओर झुका हो तो यह प्रतिनिधित्व करता है कि व्यक्ति अपने जन्म से ही अनुशासित होगा। यदि इसका उन्नयन अँगूठे के पास शीर्ष पर उपस्थिति हो तो अर्थ है कि व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने की ओर प्रेरित रहेगा और हठी भी होगा। जब उन्नयन हृदय रेखा की ओर झुकाव लिये हो तो व्यक्ति भावनाओं मे कभी नही बहेगा। यदि उन्नयन चंद्र पर्वत के पास स्थित हो तो व्यक्ति रचनात्मक मस्तिष्क और चुंबकीय व्यक्तित्व वाला होता है।
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शनि पर्वत के सामान्य लक्षण

शनि पर्वत के सामान्य लक्षण

शनि पर्वत, मध्यमा उँगली के आधार पर स्थित होता है। यह एकांत प्रिय, विवेकी, मूक दृढ़ संकल्प, गूढ विध्या की ओर झुकाव, नियतिवाद और अंत में भाग्य मे परम विश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। विकसित शनि पर्वत व्यक्ति को ज्ञान की खोज का विश्लेषक बनाता है।

शनि पर्वत का विकास | Elevation of Shani Parvat

पूर्ण विकसित शनि पर्वत व्यक्ति को दार्शनिक बनाता है, और व्यक्ति सदैव जीवन और मृत्यु के विषय पर चिंतित रहता है। उसे सभी सांसारिक बातें व्यर्थ लगती हैं। ऐसे लोग मेहनती होते हैं। परन्तु अवसाद में जल्दी घिर जाते हैं। ये लोग कानून के अच्छे अनुयायी और अंतर्मुखी होते हैं। ऐसे लोगों का व्यवसाय मशीनरी उत्पादक या मूर्तिकार से संबंधित होता है।
एक हाथ पर अति विकसित शनि पर्वत अशुभ माना जाता है। अति विकसित शनि पर्वत व्यक्ति को सदैव  आतंक से त्रस्त, दुखी, मृत्यु पर चिंतित, लालच, अविश्वासी और जीवन के प्रति उत्साह में कमी को दर्शाता है।
एक हाथ पर अविकसित शनि पर्वत व्यक्ति को विचारशील और मेहनती बनाता है लेकिन वह सदैव जोखिम कार्य से दूर रहता है। वह कम वेतन में संतुष्ट रहेगा और जब तक कि उसे कोई जोखिम लेने की जरूरत नही पड़ती, वह नही लेता है।

शनि की उंगली | Finger of Shani

मध्यमा उंगली को शनि की उंगली कहते है। यदि शनि की उंगली का प्रथम खंड लंबा हो तो व्यक्ति का झुकाव धार्मिक ग्रंथ और रहस्यवादी कला के अध्ययन की ओर होता है। यदि मध्यमा का द्वितीय खंड लंबा हो तो व्यक्ति का व्यवसाय संपत्ति संबंधी, रसायन, जीवाश्म ईंधन या लोहा मशीनरी से संबंधित होता है, जब तीसरा खंड लंबा हो तो दर्शाता है कि व्यक्ति चालाक, स्वार्थी  और दुराचार मे युक्त रहता है।

शनि पर्वत का शीर्ष | Apex of Shani Parvat


यदि शनि का शिखर शनि के पर्वत पर स्थित हो, तो व्यक्ति विचारशील, दूरदर्शी और बुद्धिमान होता है। जब यह मध्यमा उँगली की ओर झुका हो, तो व्यक्ति गूढ कला में गहरी रुचि रखता है। यदि इसका शिखर सूर्य पर्वत की दिशा में थोड़ा बदलाव लिये हो तो व्यक्ति किसी के द्वारा व्यक्त राय से कभी सहमत नही होगा।  जब इसका शिखर हृदय रेखा की ओर हो तो व्यक्ति आत्म केन्द्रित हो जाता है। ऐसे व्यक्ति अंतर्मुखी होते हैं तथा भीड़ से दूर रहते हैं।
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